tag:blogger.com,1999:blog-54760818139692535742024-03-13T04:32:35.737+05:30પ્રેમી ના પ્રેમ મા છે તુનીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.comBlogger1561125tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-83707097552623375342017-09-01T13:52:00.000+05:302017-09-01T13:52:44.649+05:30है ये दर्दे जफ़ा कई दिन से<a href="https://2.bp.blogspot.com/-7r0EeqnkB_I/WakYi4dwMaI/AAAAAAAA_N0/ixqt92f3ItcH_EsQNIb4OZu2uT-Zn4LjQCLcBGAs/s1600/19437292_1335029083232977_6835212943724566303_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://2.bp.blogspot.com/-7r0EeqnkB_I/WakYi4dwMaI/AAAAAAAA_N0/ixqt92f3ItcH_EsQNIb4OZu2uT-Zn4LjQCLcBGAs/s320/19437292_1335029083232977_6835212943724566303_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
2122-1212-22
है ये दर्दे जफ़ा कई दिन से,
मिल रही है सजा कई दिन से !
वस्ल का तो किया था वादा पर,
मुन्तज़िर ही रखा कई दिन से !
अब कहाँ मंजिलो को ढूँढूँ मैं,
रास्ता खो गया कई दिन से !
प्यार में लाजिमन मेरे थे वोह,
फिर भी डरता रहा कई दिन से !
घाव जो जो दिए है दिलबर ने,
बन गये लादवा कई दिन से !
लादवा ज़ख़्म,और दिल ग़मगीन,
जी नहीं लग रहा कई दिन से !
जिंदगी प्यार बिन नहीं कुछ भी,
शोर फिर क्यों मचा कई दिन से !
नीशीत जोशी 'नीर'
(जफ़ा- सितम,लाजिमन- निश्चित रूप से,लादवा- नाइलाज)
નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-10289308821909963962017-09-01T13:48:00.000+05:302017-09-01T13:48:48.686+05:30खुद मुहब्बत को जताने आ गये !<a href="https://4.bp.blogspot.com/-JlOOZg-xy_4/WakXbj7xsyI/AAAAAAAA_No/WlfMkqyd-g4mogxoCfysIESBm3l7KWaogCLcBGAs/s1600/19224970_1329517617117457_7328587388027725415_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://4.bp.blogspot.com/-JlOOZg-xy_4/WakXbj7xsyI/AAAAAAAA_No/WlfMkqyd-g4mogxoCfysIESBm3l7KWaogCLcBGAs/s320/19224970_1329517617117457_7328587388027725415_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
2122-2122-212
क्या कहूँ कैसे जमाने आ गये,
राहज़न रस्ता दिखाने आ गये !
फिर कहाँ बाक़ी रहा अब होंश ही,
जब वो आँखों से पिलाने आ गये !
कैसे पाऊँगा मैं मंज़िल जब के वो,
हमसफर बनकर सताने आ गये !
जब क़फस का दर्द दिल में जा चुभा,
हम परिंदे को उडाने आ गये !
तन के ज़ख्मों को सहा हँस के सदा,
ज़ख्म-ए-दिल मुझको रुलाने आ गये !
सुनके अपनी बेवफाई की ग़ज़ल,
खुद मुहब्बत को जताने आ गये !
जब मिला औरों से धोखा इश्क़ में,
'नीर' से वो दिल लगाने आ गये !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-71216914389036969692017-09-01T13:44:00.000+05:302017-09-01T13:44:40.255+05:30दर्द जिगर में सोया होगा<a href="https://4.bp.blogspot.com/-dtrhhHTevEk/WakWq3HU8II/AAAAAAAA_Ng/yrW2qprcr_cvw-FpasvFX6cmhWfv6DwAQCLcBGAs/s1600/19105836_1326073980795154_2440272118138505399_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://4.bp.blogspot.com/-dtrhhHTevEk/WakWq3HU8II/AAAAAAAA_Ng/yrW2qprcr_cvw-FpasvFX6cmhWfv6DwAQCLcBGAs/s320/19105836_1326073980795154_2440272118138505399_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
22-22-22-22
यादो में वो खोया होगा,
पल पल फिर वो रोया होगा !
तडपाया होगा फुरकत ने,
शब भर क्या वो सोया होगा !
जिंदा रहने को ही उसने,
सांसों को फिर ढोया होगा !
आँखें तो अश्कों से भर लीं
दर्द जिगर में सोया होगा !
उल्फत को सह कर फिर उसने,
सब ज़ख़्मों को ढोया होगा !
नीशीत जोशी ' नीर '
નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-11177800120014749242017-09-01T13:40:00.000+05:302017-09-01T13:40:51.321+05:30ऐसा हर एक शख्श यहाँ ग़मज़दा मिला<a href="https://2.bp.blogspot.com/-4bhhgDLRKf8/WakVl7tuzjI/AAAAAAAA_NU/_7Frc3gFQAc_KffH5uX_XM19aaxwgWNnwCLcBGAs/s1600/18920191_1319212591481293_3199250105688490586_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://2.bp.blogspot.com/-4bhhgDLRKf8/WakVl7tuzjI/AAAAAAAA_NU/_7Frc3gFQAc_KffH5uX_XM19aaxwgWNnwCLcBGAs/s320/18920191_1319212591481293_3199250105688490586_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
221-2121-1221-212
ऐसा हर एक शख्श यहाँ ग़मज़दा मिला,
जैसे कि मर्ज़ कोई उसे लादवा मिला!
कैसे सहा ग़मों के वो नश्तर न पूछिये,
जब भी मिला तो दर्द का एक काफ़िला मिला!
कुछ पल भी जी सका न मैं चैन ओ सुकून से,
हर इक क़दम पे मुझ को नया हादसा मिला!
छाले तो पाँव में भी पड़े उम्र भर मगर,
हद्द तो ये है कि दिल में मुझे आबला मिला!
करते रहे थे इश्क़ रवायत को भुल कर,
लेकीन कभी न प्यार का मुझको सिला मिला!
नीशीत जोशी 'नीर'
(ग़मज़दा-दुखी, लादवा- नाइलाज, आबला-छाला)
નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-72640923788834520292017-09-01T13:37:00.000+05:302017-09-01T13:37:14.197+05:30होते अगर तुम यार तो<a href="https://4.bp.blogspot.com/-bs2kFSeN_L0/WakU-ysdN2I/AAAAAAAA_NM/39kA4aCIyBswezGu3g8_Fi7YYRQERUMbACLcBGAs/s1600/18767563_1313343602068192_3995294103802875285_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://4.bp.blogspot.com/-bs2kFSeN_L0/WakU-ysdN2I/AAAAAAAA_NM/39kA4aCIyBswezGu3g8_Fi7YYRQERUMbACLcBGAs/s320/18767563_1313343602068192_3995294103802875285_n.jpg" width="320" height="240" data-original-width="960" data-original-height="720" /></a>
होते अगर तुम यार तो,
होता मुझे फिर प्यार तो !
मरते जमाले हुश्न पर,
करते नजर से वार तो !
शरमा भी जाए चाँद फिर,
हो गर तेरा दीदार तो !
मीठी रहे जूबाँ भी फिर,
होता न दिल यूँ खार तो !
कुछ कर तलातुम का हिसाब,
कर फिर सफ़ीना पार तो !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-42264345217858443632017-09-01T13:34:00.000+05:302017-09-01T13:34:39.717+05:30वाह वाही <a href="https://2.bp.blogspot.com/-oTG4l0lTMmk/WakUTi-0enI/AAAAAAAA_NE/91IH9F4rynQSOTLrqEKErhsg2LyzCQnugCLcBGAs/s1600/18813977_1307220669347152_8387508732283224696_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://2.bp.blogspot.com/-oTG4l0lTMmk/WakUTi-0enI/AAAAAAAA_NE/91IH9F4rynQSOTLrqEKErhsg2LyzCQnugCLcBGAs/s320/18813977_1307220669347152_8387508732283224696_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
रू ब रू होने लगी थी वाह वाही,
चश्म तब ढोने लगी थी वाह वाही !
रात उनके ख्वाब भी आने लगे थे,
नींद में खोने लगी थी वाह वाही !
हाज़री दी जब ग़रूर को भूल कर तब,
फूट कर रोने लगी थी वाह वाही !
चाँद शरमाया तुझे ही देखकर जब,
फर्श पर होने लगी थी वाह वाही !
दर्द को मैंने वरक़ पर जब उतारा
बज़्म में होने लगी थी वाह वाही !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-23682324657391423292017-09-01T13:31:00.000+05:302017-09-01T13:31:39.196+05:30क्यों वो अपनी नजर फिर बचाते रहे ?<a href="https://2.bp.blogspot.com/-qO4WnAMF4X0/WakThAC3TMI/AAAAAAAA_M8/u7L7TRxskssAMGMYJr_dEa0EVC-CexdYgCLcBGAs/s1600/18620119_1303749916360894_6827728640876799571_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://2.bp.blogspot.com/-qO4WnAMF4X0/WakThAC3TMI/AAAAAAAA_M8/u7L7TRxskssAMGMYJr_dEa0EVC-CexdYgCLcBGAs/s320/18620119_1303749916360894_6827728640876799571_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
212/212/212/212
क्यों वो अपनी नजर फिर बचाते रहे ?
खुद को क्यों आइने से छिपाते रहे ?
एक खता ही तो थी जो हुई थी कभी,
क्यों सरेआम सब को बताते रहे ?
दिल किया है तुम्हारे हवाले मेरा,
फिर भी तडपा के उसको रुलाते रहे !
इश्क को ज़ुर्म माना था तुमने कभी,
ज़ुर्म करने मुझे क्यों बुलाते रहे ?
फैसला था ये कुदरत का फिर क्यों मुझे,
ज़िक्र तुम बेवफा का सुनाते रहे !
इश्क में हिज्र होना तो तय था मगर,
अश्क़ आँखों से फिर भी बहाते रहे !
सामना जब हुआ मेरा दिलबर से तो,
उनको इलज़ाम ही हम सुनाते रहे !
है भरोषा तो बस उस खुदा पर मुझे,
दर्द को 'नीर' दिल में दबाते रहे !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-69641810961831331052017-09-01T13:28:00.000+05:302017-09-01T13:28:30.196+05:30होंठ ही मेरे लिये तो सा'द प्याला बन गया<a href="https://3.bp.blogspot.com/-xvU4yyXeosI/WakS8snm0KI/AAAAAAAA_M0/pNEEzRmvKj46cl9LcwUEY7_y1UyQwurBgCLcBGAs/s1600/18519527_1299734443429108_1009445315079449542_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://3.bp.blogspot.com/-xvU4yyXeosI/WakS8snm0KI/AAAAAAAA_M0/pNEEzRmvKj46cl9LcwUEY7_y1UyQwurBgCLcBGAs/s320/18519527_1299734443429108_1009445315079449542_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
तीरगी लेने तुम्हारी मैं उजाला बन गया,
फिर चुरा कर अश्क सारे मैं फसाना बन गया !
नाम जो बदनाम था पहले वो बातें अब नहीं,
मैं तुम्हारे इश्क़ में पागल दिवाना बन गया !
देखना लहरों की ओर अच्छा लगा इतना मुझे,
मैं उन्हे पाने को दरया का किनारा बन गया !
इक मुनाज्जिम ने कहा तन्हा रहोगे तुम सदा,
तबसे तन्हाई से मेरा राब्ता सा बन गया !
महफिलों में रिंद सब मदहोश थे पी कर शराब,
होंठ ही मेरे लिये तो सा'द प्याला बन गया !
नीशीत जोशी
(तीरगी - अंधेरा,मुनज्जिम- ज्योतिषी,रिंद- शराबी)
નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-38774925060465017692017-09-01T13:25:00.000+05:302017-09-01T13:25:32.005+05:30सोचना मत और रोना मत अब<a href="https://3.bp.blogspot.com/-ham2jlfhXwU/WakSKg1Hm0I/AAAAAAAA_Ms/YGMT8cBgGqQV4SUI9dVBq281mfUy3rSRgCLcBGAs/s1600/18425045_1295279843874568_1270352149432452960_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://3.bp.blogspot.com/-ham2jlfhXwU/WakSKg1Hm0I/AAAAAAAA_Ms/YGMT8cBgGqQV4SUI9dVBq281mfUy3rSRgCLcBGAs/s320/18425045_1295279843874568_1270352149432452960_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
सोचना मत और रोना मत अब,
रात तन्हा हो तो सोना मत अब !
प्यार तरदीद कर दिया जब तुमने,
दिल तुम्हारा तुम तो खोना मत अब !
लोग दीवाने हुए जाते है,
नफ़रतों का बीज़ बोना मत अब !
प्यार की कोई करे तनक़ीद भी,
पर कहीँ ये इश्क़ खोना मत अब !
तुम मिरे हो फिर मिरे ही रहना,
और तुम कोई के होना मत अब !
नीशीत जोशी
(तरदीद=रद्द करना, तनक़ीद=आलोचना)
નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-44151946284507652952017-09-01T13:22:00.000+05:302017-09-01T13:22:39.110+05:30बज़्म में तीरगी का है आलम<a href="https://3.bp.blogspot.com/-Ho8LK7pIYLQ/WakRkZeVt9I/AAAAAAAA_Mk/itJ-fTq2yiYoE8iLHswRYnb2fj4jc291QCLcBGAs/s1600/18485347_1292073644195188_4627765920052967854_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://3.bp.blogspot.com/-Ho8LK7pIYLQ/WakRkZeVt9I/AAAAAAAA_Mk/itJ-fTq2yiYoE8iLHswRYnb2fj4jc291QCLcBGAs/s320/18485347_1292073644195188_4627765920052967854_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
2122-1212-22
जब उसे प्यार याद आता है,
गीत मेरे वो गुनगुनाता है !
हिज्र का जिक्र आ गया होगा,
सुन उसीको वो तिलमिलाता है !
बागबाँ है रुठा ऱुठा जब से,
फूल भी खिल कहाँ तो पाता है !
हम रहें सामने उन्ही के ही,
पर वो दूरी सदा बनाता है !
शह्र खामोश है, मैं हूँ तन्हा,
ग़म भी दर्द अब बढाता है !
मंज़िलें और तो रही होगी,
कौन अब वो उफ़क दिखाता है !
बज़्म में तीरगी का है आलम,
'नीर' ही दिल यहाँ जलाता है !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-38400233436937205292017-09-01T13:19:00.001+05:302017-09-01T13:19:41.671+05:30रवायत तो कुछ निभायेगी<a href="https://2.bp.blogspot.com/-t0BmE62n53g/WakQ3HmWTFI/AAAAAAAA_Mc/J8Ortozl1n8dDVvlaJfcE9INRBCTmfiKwCLcBGAs/s1600/18301864_1288349441234275_5547358956161866924_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://2.bp.blogspot.com/-t0BmE62n53g/WakQ3HmWTFI/AAAAAAAA_Mc/J8Ortozl1n8dDVvlaJfcE9INRBCTmfiKwCLcBGAs/s320/18301864_1288349441234275_5547358956161866924_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="960" data-original-height="960" /></a>
1212-1122-1212-22
वो बेवफा हैै,रवायत तो कुछ निभायेगी,
लगा के दिल वो मेरा प्यार तो बढायेगी!
कहाँ कहाँ मैं तो भटका उन्हे ही पाने को,
किसे कहूँ कि वो हर राह में सतायेगी!
दिवानगी कि भी हद पार करके देखा जब,
पता न था कि मुहब्बत मुझे रुलायेगी!
न कोई प्यार करेगा उसे मेरे जैसे,
उसे भी वस्ल कि बातें तो याद आयेगी!
कभी उसे भी सजा प्यार में मिलेगी यूँ,
कि फिर उसे भी वो हर शब सदा जगायेेगी!
रही न कोई चरागों कि रोशनी वो जब,
वो महफिलों में पढी फिर भी नज़्म जायेगी!
अभी तो घाव नया फिर दिया गया दिल को,
ये दिल के दर्द से अब 'नीर' को जलायेगी !
नीशीत जोशी 'नीर'
નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-5895470461073330322017-09-01T13:13:00.002+05:302017-09-01T13:14:51.738+05:30प्यार दिलबर से यहाँ मिलता नहीं<a href="https://4.bp.blogspot.com/-Rd9auLrPV_E/WakPe6Vzu-I/AAAAAAAA_MQ/5C32x9HIPpgUskfH9ItHIQplfP_hc-b7ACLcBGAs/s1600/18222113_1282646695137883_5352510466998843449_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://4.bp.blogspot.com/-Rd9auLrPV_E/WakPe6Vzu-I/AAAAAAAA_MQ/5C32x9HIPpgUskfH9ItHIQplfP_hc-b7ACLcBGAs/s320/18222113_1282646695137883_5352510466998843449_n.jpg" width="320" height="240" data-original-width="960" data-original-height="720" /></a>
2122-2122-2122-212
क़त्ल करते थे वो आँंखो से मगर क़ातिल न थे,
प्यार करते थे उन्हे हम उसमें तो गाफ़िल न थे !
खो रहे थे इंतजारी के तसव्वुर में कभी,
प्यार की वो गुफ्तगू से हम भी क्या कामिल न थे ?
लग रहा है अब समुन्दर भी अकेला क्या वहाँ,
इश्क़ करती उन लहेरें और क्या साहिल न थे ?
अब तो दिल की बेकरारी बढ गयी है प्यार में,
इल्तज़ा हमने रखी ख़त की मगर हामिल न थे!
माँगने से प्यार दिलबर से यहाँ मिलता नहीं,
प्यार के क़ाबील अब कोई भी नादाँ दिल न थे !
नीशीत जोशी 'नीर'
(गाफ़िल - असावधान, कामिल - पूरा जानकार, साहिल - किनारा, हामिल - समाचार ले जानेवाला)નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-27662712551363897782017-09-01T13:08:00.000+05:302017-09-01T13:08:06.536+05:30काश कोई ख़्वाब लिखते,<a href="https://3.bp.blogspot.com/-2hAPZuwBTEQ/WakNqxXJTQI/AAAAAAAA_ME/6rcWzlGzV34FrK4saG5LdjeOBG_Um6krACLcBGAs/s1600/18056960_1278012405601312_4353270466881670335_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://3.bp.blogspot.com/-2hAPZuwBTEQ/WakNqxXJTQI/AAAAAAAA_ME/6rcWzlGzV34FrK4saG5LdjeOBG_Um6krACLcBGAs/s320/18056960_1278012405601312_4353270466881670335_n.jpg" width="320" height="320" data-original-width="553" data-original-height="553" /></a>
2122-2122
काश कोई ख़्वाब लिखते,
ख़्वाब में अहबाब लिखते !
करके तुम दीदार दिलबर,
फिर उसे महताब लिखते !
अश्क से भर जो गया दिल,
भूल कर सब, आब लिखते !
हो कहानी में जगह तो,
इश्क का एक बाब लिखते !
रह नहीं सकते अकेले,
प्यार में बेताब लिखते !
जब्त में जज्बात हो फिर,
आ रहा शैलाब लिखते !
है सुख़नवर 'नीर' तो फिर,
कुछ ग़ज़ल नायाब लिखते !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-89417928889963904452017-04-23T17:16:00.001+05:302017-04-23T17:16:21.797+05:30क्या करे कोई !<a href="https://4.bp.blogspot.com/-avkx3-V6IKM/WPyT2oRYZdI/AAAAAAAA8HU/Ej-PtPmdT_QNEQYqO9DUVFGhZURsazBbQCLcB/s1600/17951615_1270057699730116_5876289047246442894_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://4.bp.blogspot.com/-avkx3-V6IKM/WPyT2oRYZdI/AAAAAAAA8HU/Ej-PtPmdT_QNEQYqO9DUVFGhZURsazBbQCLcB/s320/17951615_1270057699730116_5876289047246442894_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
221-2121-1221-212
अब क्या किसी के इश्क का दावा करे कोई,
करता नही है कोई कि चर्चा करे कोई !
क्या जुर्म है ये इश्क?करो सात जन्म तक,
चाहे सता सता के भी रूठा करे कोई!
आँधी से भी चराग बुझाये न अब बुझे,
फिर महफिलो में क्यों सर नीचा करे कोई !
हर वस्ल बाद हिज्र का होना तो तय है तब,
फिर वस्ल का भी क्यों तो ये वादा करे कोई !
जिन्दा रखे है घाव, दिखाए किसे किसे,
बँधे तबीब के हाथ यहाँ, क्या करे कोई !
नीशीत जोशीનીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-74151299279794460732017-04-23T17:14:00.000+05:302017-04-23T17:14:30.891+05:30इश्क में कुछ तो अलामत ही सही<a href="https://2.bp.blogspot.com/-dYuZteibxUY/WPyTXz-3_8I/AAAAAAAA8HQ/wLB9F7LeErQZnsvAP7OXQ52X8D2rhLiXwCLcB/s1600/17883660_1262406263828593_816865454374089364_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://2.bp.blogspot.com/-dYuZteibxUY/WPyTXz-3_8I/AAAAAAAA8HQ/wLB9F7LeErQZnsvAP7OXQ52X8D2rhLiXwCLcB/s320/17883660_1262406263828593_816865454374089364_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
इश्क में कुछ तो अलामत ही सही,
कुछ नहीं है तो अदावत ही सही !
हो तुझे परहेज़ गर फिर झूठ से,
गुफ्तगू में तब सदाकत ही सही !
आ नहीं सकते वो अब जब वस्ल पर,
दरमियाँ है ग़म,फलाकत ही सही !
खुश रहे नाराज हो कर हम बहुत,
कुछ हमारी ये अलालत ही सही !
बज़्म में खामोश हैं ये सोच कर,
कुछ तसव्वुर में बगावत ही सही !
शायरी की साहिरी तुम सीख लो अब,
महफिलों में फिर वो दावत ही सही !
है तलातुम इस जहन में क्या करें,
हिज्र का दिल में दलालत ही सही !
नीशीत जोशी
(अलामत-sign,अदावत-hatred, सदाकत- true,फलाकत-misfortune,अलालत-sickness, साहिरी-जादूगरी, दलालत-proof)નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-8293901809270830052017-04-23T17:08:00.001+05:302017-04-23T17:08:56.870+05:30तीर जब रोज़ चल रहें हैं अब<a href="https://1.bp.blogspot.com/-Tn2UiCIir7k/WPyRfxchA2I/AAAAAAAA8HE/LJXYc3w_FiQh8iCT2DKovhZfwAnfYvuNgCLcB/s1600/17796696_1257067711029115_6550407860117203384_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://1.bp.blogspot.com/-Tn2UiCIir7k/WPyRfxchA2I/AAAAAAAA8HE/LJXYc3w_FiQh8iCT2DKovhZfwAnfYvuNgCLcB/s320/17796696_1257067711029115_6550407860117203384_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
जब मुहब्बत में दर्द पाना है,
किस लिए दिल यहां लगाना है !
इम्तिहाँ प्यार की कहाँ तक दें,
जब सवालों में ही फसाना है !
पी लिया जह्र सोचकर ये जब,
मौत ही आखरी ठिकाना है !
रातभर चैन से जो सोते हो,
ख्वाब अक्सर मेरे ही आना है !
बेवफा तुम नहीं तो क्या हो फिर,
वो खयानत भी क्या बहाना है ?
करते हो प्यार जब मुझे तुम तब,
शर्म में वक्त क्यों गवाना है ?
तीर जब रोज़ चल रहें हैं अब,
हर नया घाव 'नीर' खाना है !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-82047234242823769802017-04-23T17:03:00.000+05:302017-04-23T17:03:19.290+05:30और क्या क्या ?<a href="https://4.bp.blogspot.com/-F5Msvrk2CDM/WPyQwA40jlI/AAAAAAAA8G8/Msggsb_e-NwsMEt6LYDKhn1i8XOHevTKwCLcB/s1600/17757666_1251536174915602_3160895746139189798_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://4.bp.blogspot.com/-F5Msvrk2CDM/WPyQwA40jlI/AAAAAAAA8G8/Msggsb_e-NwsMEt6LYDKhn1i8XOHevTKwCLcB/s320/17757666_1251536174915602_3160895746139189798_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
प्यार यादें फिर वफा है और क्या क्या ?
शाम की ये सब दवा है और क्या क्या ?
राज़ तो है इस सुखन के कुछ मेरे भी,
उसमें वादे है जफ़ा है और क्या क्या ?
अश्क बहते है यहाँ आँखो से फिर अब,
ये जिगर भी सह रहा है और क्या क्या?
गुल के ही मानिंद तो सीखा था जीना,
ये अदा है या खता है और क्या क्या ?
अब नहीं कोई किसी का है यहाँ पर,
बस बची ये तेरी दुआ है और क्या क्या ?
कारवाँ तो बन गया था उस सफर में,
अपनी मंजिल लापता है और क्या क्या ?
तीरगी में ही कटी जब 'नीर' हर शब,
ख्वाब भी तेरा खफा है और क्या क्या ?
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-18106472791756022292017-04-23T16:58:00.000+05:302017-04-23T16:58:24.487+05:30दौर-ए-हाजिर की ये कहानी है!<a href="https://3.bp.blogspot.com/-hbRXz_peV9Y/WPyPilAPLAI/AAAAAAAA8Gw/LHTJIGuW2rIOR3Sye_PMhDMeF8gyGRLTwCLcB/s1600/17629881_1246770965392123_981689513050396285_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://3.bp.blogspot.com/-hbRXz_peV9Y/WPyPilAPLAI/AAAAAAAA8Gw/LHTJIGuW2rIOR3Sye_PMhDMeF8gyGRLTwCLcB/s320/17629881_1246770965392123_981689513050396285_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
क्या यही इश्क की निशानी है,
हुस्न उस में है और जवानी है!
है मुहब्बत में अब हवस दाखिल,
दौर-ए-हाजिर की ये कहानी है!
इश्क में नाम उसका भी है आज,
जिसने सहरा की खाक छानी है!
सच बताने की है कहाँ हिम्मत,
हार को जीत अब बतानी है!
देखकर ज़ुल्म दिल नहीं रोता,
आजकल खून भी तो पानी है!
कुछ तो ऐसे हैं जो खिजाँ में भी,
कहते फिरते हैं रुत सुहानी है!
जिंदगी में खुशी है ग़म भी 'नीर',
ये कहावत बहुत पुरानी है !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-83592728715835920872017-04-23T16:54:00.000+05:302017-04-23T16:54:42.511+05:30दर्द के कोई बहाने यूँ न होते !<a href="https://3.bp.blogspot.com/-mELoltgR-q4/WPyOq0Ct_jI/AAAAAAAA8Gk/89lZo5QRH00psd_IPCQGcz0ftOvPF1Q5ACLcB/s1600/17523647_1244206198981933_890308552027649751_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://3.bp.blogspot.com/-mELoltgR-q4/WPyOq0Ct_jI/AAAAAAAA8Gk/89lZo5QRH00psd_IPCQGcz0ftOvPF1Q5ACLcB/s320/17523647_1244206198981933_890308552027649751_n.jpg" width="320" height="286" /></a>
2122-2122-2122
तेरी दुन्या के दिवाने यूँ न होते,
महफिलों में वो तराने यूँ न होते !
ये तमाशा भी न होता प्यार का तब,
बाद मरने फिर शयाने यूँ न होते !
प्यार से तो बेखबर था मैैं उन्हीके,
जानते गर मुझ पे ताने यूँ न होते !
दीद से मिलती खुशी मुझको अगरचे,
दिलशिकस्ता के ये माने यूँ न होते !
बात हो जाती मेरी तुझसे उसी दिन,
दर्द के कोई बहाने यूँ न होते !
नीशीत जोशीનીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-39867825002991495432017-04-23T16:50:00.000+05:302017-04-23T16:50:52.001+05:30जिंदगी पल पल हँसाती ही रही<a href="https://4.bp.blogspot.com/-AmQDRtnn6VE/WPyN1A61MwI/AAAAAAAA8Gc/rQhPhXrk_RMQ1andvY-4e0bFvt3k5_dlgCLcB/s1600/17352106_1240535656015654_5951207900813370930_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://4.bp.blogspot.com/-AmQDRtnn6VE/WPyN1A61MwI/AAAAAAAA8Gc/rQhPhXrk_RMQ1andvY-4e0bFvt3k5_dlgCLcB/s320/17352106_1240535656015654_5951207900813370930_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
2122-2122-212
जिंदगी पल पल हँसाती ही रही,
प्यार में जीना सिखाती ही रही !
मौत आती है बिना दस्तक दिये,
सोच उसकी पर डराती ही रही !
खोजते ही रह गये हम शाद पल,
याद आ कर फिर सताती ही रही !
मेरी तन्हाई बदौलत है तेरे,
शाम डर से मूँह छिपाती ही रही !
वो कभी तो प्यार कर लेगा मुझे,
इल्तज़ा दिल को लुभाती ही रही !
भूलना आसाँ नहीं होता कभी,
बात वो यादें दिलाती ही रही !
महफिलों में 'नीर' का अब क्या रहा,
वो ग़ज़ल सब कुछ बताती ही रही !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-85238499132739736532017-04-23T16:47:00.000+05:302017-04-23T16:47:38.114+05:30हिज्र के ग़म को बढ़ा कर वो गए !<a href="https://1.bp.blogspot.com/-DpcWw4k0k7A/WPyM2rsm63I/AAAAAAAA8GQ/mtJ-E_PnybEiXWST9ce8ty48jc3dGl7EwCLcB/s1600/17265231_1237210626348157_1666611175243896520_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://1.bp.blogspot.com/-DpcWw4k0k7A/WPyM2rsm63I/AAAAAAAA8GQ/mtJ-E_PnybEiXWST9ce8ty48jc3dGl7EwCLcB/s320/17265231_1237210626348157_1666611175243896520_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
२१२२ २१२२ २१२
वो कभी तन्हा सफर में खो गए,
कैद फिर मेरे तसव्वुर हो गये !
तोडकर दिल फिर सुकूँ उनको मिला,
देख सादाँ हम उसे खुश हो गए !
वस्ल की उम्मीद उसने छोड़ दी,
हिज्र के ग़म को बढ़ा कर वो गए !
शाम तन्हा रात भी खामोश थी,
ख्वाब ने ओढा फलक फिर सो गए !
मुद्दतो से वो रहे खामोश पर,
गुफ्तगू को *बेबहा लब हो गए ! *बहुमूल्य
नीशीत जोशीનીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-63330950090583209832017-04-23T16:41:00.000+05:302017-04-23T16:41:38.420+05:30मैं जो मरता हूँ, मरोगे तुम भी क्या?<a href="https://1.bp.blogspot.com/-dHUIM0ffvaw/WPyLh7br6sI/AAAAAAAA8GE/l2f0aJ2GjA01C8yMK7aVeFdkbq0jQYfYQCLcB/s1600/17361814_1235217533214133_7016193198524594157_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://1.bp.blogspot.com/-dHUIM0ffvaw/WPyLh7br6sI/AAAAAAAA8GE/l2f0aJ2GjA01C8yMK7aVeFdkbq0jQYfYQCLcB/s320/17361814_1235217533214133_7016193198524594157_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
2122-2122-212
प्यार है तुमसे, करोगे तुम भी क्या?
मैं जो मरता हूँ, मरोगे तुम भी क्या?
बेवफा तुम हो नहीं सकते कभी,
खुदकुशी से अब, डरोगे तुम भी क्या?
मत झुको तुम, नफरतो के सामने,
प्यार में लेकिन, झुकोगे तुम भी क्या?
हौसला है, तो बुलंदी कुछ नहीं,
गर मिले तो, रख सकोगे तुम भी क्या?
तू नहीं, यादें सताती है तेरी,
दिल की वीरानी, सहोगे तुम भी क्या?
आ गया, वादा निभाने का ही पल,
गुफ्तगू करने, रुकोगे तुम भी क्या?
रातभर जागा रहा, दिल 'नीर' का,
दूर करने ग़म, उठोगे तुम भी क्या?
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-33306052944541616562017-03-12T16:55:00.001+05:302017-03-12T16:55:42.653+05:30कोई ठोकर लगी है क्या ?<a href="https://3.bp.blogspot.com/-zQkusmGF2MU/WMUwDGQcFDI/AAAAAAAA7K8/9bnxPw7Lb6sxikmSBSK_O2fyIvF9MIjfQCLcB/s1600/17201101_1232081710194382_4569282447682997161_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://3.bp.blogspot.com/-zQkusmGF2MU/WMUwDGQcFDI/AAAAAAAA7K8/9bnxPw7Lb6sxikmSBSK_O2fyIvF9MIjfQCLcB/s320/17201101_1232081710194382_4569282447682997161_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
221-2121-1221-212
दुनिया के खत्म होने की आयी घडी है क्या ?
ग़ैरत की शम्आ चारों तरफ बुझ गयी है क्या ?
हर सिम्त कत्ल ओ खून का मंजर गवाह है,
शैतान से भी बढ के नहीं आदमी है क्या ?
मज़हब के नाम पर जो लडाते हैं हर जगह,
खुद उन से पूछिए के यही बंदगी है क्या ?
अपने तमाम फर्ज शनाशी को छोड कर,
बेफिक्र जिंदगी भी कोई जिंदगी है क्या ?
कुछ पल की जिंदगी है, मुहब्बत से जी ले यार,
नफरत में कोई एक भी सच्ची खुशी है क्या ?
कल तक तो हँस रहे थे ज़माने पे तुम निशीत,
संजीदा आज हो, कोई ठोकर लगी है क्या ?
निशीत जोशी
(ग़ैरत = शर्म ओ हया, फर्ज शनाशी= फर्ज की समझ)નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-66365597016005012082017-03-12T16:53:00.000+05:302017-03-12T16:53:16.097+05:30अपनों को भुला डाला है दौलत की हवस ने<a href="https://1.bp.blogspot.com/-YQSytfCnKP4/WMUvJR5OwbI/AAAAAAAA7Ko/ngaPi7xwADkRh_VeAczQotsYC0CsdVuKgCLcB/s1600/17155221_1226542314081655_3178122020128763321_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://1.bp.blogspot.com/-YQSytfCnKP4/WMUvJR5OwbI/AAAAAAAA7Ko/ngaPi7xwADkRh_VeAczQotsYC0CsdVuKgCLcB/s320/17155221_1226542314081655_3178122020128763321_n.jpg" width="213" height="320" /></a>
221-1221-1221-122
इंसान तो है सब कोई दिलदार नहीं है,
ये शह्र है कैसा की यहाँ यार नहीं है,
अपनों को भुला डाला है दौलत की हवस ने,
रिश्ते हैं ज़रूरत पे टिके, प्यार नहीं है,
महफिल में सुनी सब की ग़ज़ल हमने भी लेकिन,
इस बज्म में तुम सा कोई फनकार नहीं हैं,
ये अब के बरस कैसी हवा आयी चमन में,
गुलशन तो कोई इक भी गुलजार नहीं है,
तुम दिल को कभी चोट न पहुंचाओ मेरे दोस्त,
ये फूल सा नाज़ुक है कोई खार नहीं है !
नीशीत जोशीનીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5476081813969253574.post-25637271125074546022017-03-12T16:48:00.000+05:302017-03-12T16:48:44.002+05:30जिंदगी फिर मुझे क्यों डराती रही<a href="https://4.bp.blogspot.com/-hd4bgpB1oUk/WMUuR2wxzbI/AAAAAAAA7Kc/v7FCM6Lf3GUrQtK0JIBy-nyzE9dT53b8gCLcB/s1600/17021836_1223545777714642_7137286466532830616_n.jpg" imageanchor="1" ><img border="0" src="https://4.bp.blogspot.com/-hd4bgpB1oUk/WMUuR2wxzbI/AAAAAAAA7Kc/v7FCM6Lf3GUrQtK0JIBy-nyzE9dT53b8gCLcB/s320/17021836_1223545777714642_7137286466532830616_n.jpg" width="320" height="320" /></a>
जान जाती रही,रात आती रही,
याद आ कर मुझे फिर सताती रही,
जब्त जज्बात थे,चुप रहे लब मेरे,
आँख ही थी जो सब कुछ बताती रही,
आजमातेे रहे इश्क को इस कदर,
जिंदगानी मेरी लडखडाती रही,
तुम बने फूल तो मैं भी भँवरा बना,
तुम मुझे बागबाँ फिर बनाती रही,
रो पडा आसमाँ दास्ताँ सुन तेरी,
फर्श पे फिर कयामत वो ढाती रही,
मैंने दे कर खुशी ले लिये सारे ग़म,
जिंदगी फिर मुझे क्यों डराती रही,
चेहरे पे खुशी और दिल में थे ग़म,
बेबसी 'नीर' का दिल जलाती रही !
नीशीत जोशी 'नीर'નીશીત જોશીhttp://www.blogger.com/profile/14053371933327552999noreply@blogger.com0