શનિવાર, 5 નવેમ્બર, 2011

बना देना


हर मुश्कीलात को आसान बना देना,
रास्तेके पथ्थरको सिंहासन बना देना,

नफरतो में जिये जो जीने दो उन को,
फैलाके प्यार प्यारकी दुकान बना देना,

गर्दिशमें चले भी जाये जो चांद तारे,
यादो से सजा के उसे सामान बना देना,

क्या हुआ जो साथ न दे पाया कोई,
कदम बढाते हुए खुद पहेचान बना देना,

न सोच, परिंन्दे आयेंगे लौटके कैसे,
हर शाक पे उनका आशीयाना बना देना ।

नीशीत जोशी 04.11.11

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