રવિવાર, 1 ડિસેમ્બર, 2013

जाम दे साकी

maxresdefault अब मेरे पीने का कोई अंजाम दे साकी, तेरे मयखाने में मुझे एक नाम दे साकी, हर गलिओ को मोड़ दे तेरे दर की और, ढूंढने कि परेशानीओ से आराम दे साकी, पैमाने से बना देना एक ऐसा रिस्ता मेरा, रहे वही मेरे पास ऐसी हर शाम दे साकी, तुम रहो और हाथो में हो मय का प्याला, हंगामा न करे कोई ये अहकाम दे साकी, रोज पिलाने में तुझे गर हैरानी हो शायद, तो कभी न होश में आये वो जाम दे साकी !!!! नीशीत जोशी 28.11.13

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