ગુરુવાર, 15 જાન્યુઆરી, 2015
दुआ दे गया कोई
आ कर हमें आज, दुआ दे गया कोई,
न था घर मेरा, पर पता दे गया कोई,
रखा था बीमार, किसीकी यादो ने हमें,
बनकर तबीब, आज दवा दे गया कोई,
मुमकिन नहीं, किसीको भूल जाना यूँ,
तड़पने की, फिर से सज़ा दे गया कोई,
इश्क़ की आग में, बची थी जो चिंगारी,
आ कर फिर से, उसे हवा दे गया कोई,
मुन्तज़िर थे उनके वादे पे एतबार करके,
बहार में भी पतजड़ का सिला दे गया कोई !!!!
नीशीत जोशी 03.01.15
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