રવિવાર, 25 માર્ચ, 2012

मुझे अच्छा नही लगता


तडप तडप कर ईन्तजार में रहना मुझे अच्छा नही लगता,
बार बार उन गमो को जाहीर करना मुझे अच्छा नही लगता,

दिल तो करता है ये जीन्दगी किसी कातील के हवाले कर दु,
उनकी जुदाई में रोज रोज का मरना मुझे अच्छा नही लगता,

एक ही बार में जला के खाक कर दो ना मुझे चिता पे सुलाके,
दिल में जल जल के फिर से जलना मुझे अच्छा नही लगता,

वोह गर दे दे हाथो से एक कतरा भी तो समंन्दर सा मान लेगें,
दूसरो के हाथो अमृत प्याला भी भरना मुझे अच्छा नही लगता,

वो रात कि नींद भी खफा हो गयी है मेरी हालत देख कर, गोया,
जाग जाग के रोज 'नीर' सपनो को पढना मुझे अच्छा नही लगता ।

नीशीत जोशी 'नीर' 25.03.12

नाजुक ये दिल


नाजुक ये दिल अश्को में बह जायेगा,
साया भी मेरे बाद ये बात कह जायेगा,

भरोषा रखना अपनी वो मोहब्बत पर,
मेरा हर लम्हा तेरे दर्द को सह जायेगा,

बनाले चाहे एक खुबसुरत महल रेतोका,
समुन्दरी लहेर आयेगी वो ढह जायेगा,

इश्क पे पाबंधी लगानेवालो अब जानलो,
यह मेरा प्यार उसीका हो के रह जायेगा,

लोग तो आज भी रश्क से कहते रहते है,
इश्क में पागल 'नीर', अब यह जायेगा ।

नीशीत जोशी 'नीर’ 24.03.12

શનિવાર, 24 માર્ચ, 2012

BIRTHDAY THANX


आज के दिन को बहार बना दिया,
प्यार दे दिन को तौहार बना दिया,

कुछ न थे हम तो, पडे थे राह पर,
मेरे रास्ते को खुश्बुदार बना दिया,

दुआए असर भी करती है,ये जाना,
नबी के लिये दिदार-ए-यार बना दिया,

आप सभी की दुआ,मोहब्बत ने तो,
कुछ नफरत को भी प्यार बना दिया,

न भुलना मुजे मोहब्बत के दस्तुर में,
आज सभीने नीरको ताबेदार बना दिया ।

नीशीत जोशी 'नीर' 21.03.12

प्यार में अक्सर


प्यार में अक्सर ईन्तजार करना पडता है,
जीन्दा रह के कतरा कतरा मरना पडता है,

लोगो की भीड में कहीं फिर खो न जाये वो,
हर नग्मे को उनके नाम से पढना पडता है,

प्यार के आसार में नींद आती नही रातभर,
सपनोको भी बाहर ईन्तजार सहना पडता है,

बेदर्द जमाना न जाने दर्द-ए-इश्क कि दास्तां,
छुपाके गम को सबके सामने हसना पडता है,

कोई तो बनाके रखता है प्यार में ताजमहल,
जहांवाले को वो तौफा संभाल रखना पडता है,

अपनो के मुश्कुराने से महक उठती है फिझा,
प्यार में आंखो को अश्को से सजना पडता है,

बहोत कठीन है डगर इस मोहब्बतके राह की,
इस राह पे चलनेवालो को 'नीर' जलना पडता है ।

नीशीत जोशी 'नीर' 20.03.12

सपने

सपने भी कैसे कैसे आते है,
कभी रुलाते कभी हसाते है,

माना सपने नही होते अपने,
सपने तो अपनो को सजाते है,

दफन है यादे दिलके कुचे में,
वही यादे सपने बन जाते है,

नीद नही?जागके सपने देखो,
सपने ही सही राह बताते है,

एक बार नबी के सपने देखलो,
देख फिर सपने कैसे मुश्कुराते है ।

नीशीत जोशी 'नीर'

सपनो में


आज उनसे एक मुलाकात हो गयी,
सपनो में उनके पुरी रात खो गयी,

चैन की नीदसे सोये हुए थे हम तो,
मेरे सपनेको दिदार देके सजो गयी,

रातभर करते रहे मोहब्बत की बाते,
सर रख कर मेरे कंधे पे वो सो गयी,

खलेल न पडे नींद में धडकन सुनके,
खुदबखुद धडकती सांसे धीमी हो गयी,

एक बचा था दिल खुदका कहने जैसा,
जताके प्यार सपनोमे 'नीर'को भीगो गयी ।

नीशीत जोशी 'नीर' 19.03.12

सीख लिया


समुंन्दर को देखके डरना सीख लिया,
लहेरो को हाथो में भरना सीख लिया,

ना मीली थी तामील हमको उडान की,
होसलो से ही हमने उडना सीख लिया,

कमजोर था ये दिल खेल में थक गया,
उसे भी अब तन्हा रखना सीख लिया,

लाये बिसात बीछा दी उसने एक बाझी,
उनकी चालो पे चाल चलना सीख लिया,

जमी पर थे ख्वाईश रख ली आसमां की,
उस मुराद को बरबाद करना सीख लिया,

जज्बात जता के घावो को नासूर बनाया,
खयालोमें खो कर दर्द सहना सीख लिया,

अब तुम कभी न आना मेरी कब्र पे 'नीर',
आंसू बहानेसे बहेतर तो मरना सीख लिया ।

नीशीत जोशी 'नीर' 18.03.12

पलको के अश्को को अब न बहाना


पलको के अश्को को अब न बहाना,
बनाके हमे आसीक दिलमे बसाना,

हो जायेगी फिझा खुशनुमा,
वादीयां बन जायेगी रहनुमा,
बहारो से खुद को अब न बचाना,
पलको के अश्को को अब न बहाना,

सुना पडा था जो मंझर तेरा,
शूकून पहोंचायेगा दिल मेरा,
सीतमगर अब भूल जायेगा सताना,
पलको के अश्को को अब न बहाना,

हर गझल में तेरा नाम लेंगे,
तेरे गमो को ही इल्जाम देंगे,
भूल जाओगे अपने दर्द को जताना,
पलको के अश्को को अब न बहाना ।

नीशीत जोशी ' नीर ' 16.03.12

Muktak

तुटके भी फुल खुद फितरत नही छोडता,
इत्र बन कर, जमाने में महकने लगता है ॥
हमे तो इश्क करने का भी हक नही 'नीर',
सुन कर हमे, आसमां भी बरसने लगता है ॥
नीशीत जोशी 'नीर' 15.03.12

બુધવાર, 14 માર્ચ, 2012

ऐसी न थी


पहले ऐसा तो न था, मेरी हालत ऐसी न थी,
आंखो में तो थे आंसू पर आफत ऐसी न थी,

मुन्तझीर थे उनकी मोहब्ब्त के खुश्क जहांमें,
मान बैठे थे उसे अपना पर बाबत ऐसी न थी,

बदख्तर मुनहसिर हो गये थे उनके प्यार में,
पर उसने तो कह दिया मेरी चाहत ऐसी न थी,

इन्तजार का आलम इतना बढा दीया था उसने,
रात सारी जागते रहे हमारी आदत ऐसी न थी,

नाजुक था बदन उनका नजाकत थी हर अदा में,
उनकी बांहो में लगता था 'नीर' राहत ऐसी न थी ।

नीशीत जोशी ' नीर ' 12/13.03.12
मुन्तझीर= one who is awaited खुश्क=dry
बदख्तर= unfortunate मुनहसिर= dependent

हमे जीने कि वजह मील गयी है


हमे जीने कि वजह मील गयी है!
तेरे ही दिल में जगह मील गयी है!
वो तेरा भुलना,
फिर याद करना,
हमें फिर ढूंढना,
फिर मुश्कुराना,
यही बातो से जीन्दगी जी गयी है,
हमे जीने कि वजह मील गयी है !
वो तेरा बिछडना,
फिर मील जाना,
फूलो कि तरहा,
खिल खिल जाना,
अब जीन्दगी भी गम पी गयी है,
हमे जीने कि वजह मील गयी है !
सपनो में आना,
इश्क को जताना,
गीले सब भूलाके,
मुजे चूम जाना,
ना भूलने कि कसम दी गयी है,
हमे जीने कि वजह मील गयी है !
नीशीत जोशी 'नीर' 09.03.12

રવિવાર, 11 માર્ચ, 2012

मेरी सांस चलती है


तेरी सांस चले तो ही मेरी सांस चलती है,
जब मचलती दिखे तो मेरी सांज ढलती है,

अपनी सांसो कि गरमी से फिझा गरमाना,
वादियों में तेरी ही खुश्बु महक सकती है,

मजा तो तब है जब एक हो जाये वो सांसे,
पता ही न चले कि किसकी सांस जलती है,

सांस ही क्या जीस में किसीका न नाम हो,
गर सांस से सांस न जुडा पाए मेरी गलती है,

रफ्ता रफ्ता सांसे कम होने लगी है यूं तो,
अकेले में मुजे तेरे बगैर कि सांसे खलती है,

करिश्मा तुम देख लो मेरे हमनवाज,यह भी,
तेरी सांसोसे छुए पथ्थरसे मेरी कब्र बनती है ।

नीशीत जोशी 'नीर'

HAPPY WOMEN'S DAY

શનિવાર, 10 માર્ચ, 2012

शमा जली नीशी रात के लिये


वो नीशी को एक शमा ने दी आवाज....
और उजालो से भर गये हर परवाज.....
******

क्या वो शमा जली नीशी रात के लिये,
महेफिल सजी थी वो मुलाकात के लिये,

सूबह जब जागे वो रात का पता न था,
पर शमा जलती रही किसी बातके लिये,

आयेगा वो बांहोमें भर ठंडी कर देगा लौ,
डुब जायेंगे बस उनकी कायनात के लिये,

मोहब्बत कि बिसात पे लगा रखे थे दाव,
हर दाव खेले सिर्फ अपनी मात के लिये,

कल का वायदा किया है शमा ने जलनेका,
नीशी भी आयेगा 'नीर' वो जज्बात के लिये ।

नीशीत जोशी 'नीर'

ગુરુવાર, 8 માર્ચ, 2012

प्यार हमारा


जीन्दगी जीये कैसे किसीने बताया नही,
बेबसी का आलम किसीको जताया नही,

जो मिले जहे-नसीब मान कर ठहर गये,
प्यार मांग मांग के किसीको सताया नही,

जीन्दा रखी है सांस हमने उनके लिये ही,
हमने अभी अपनी कब्रको भी सजाया नही,

आब और आग का मिलन अधुरा रह गया,
आब ने आग को दिल से दुर हटाया नही,

नसीब खुशनसीब होते है नही जानते हम,
हमने तो मोहब्बत का खजाना कमाया नही,

बदनाम ना हो जाये जहां में प्यार हमारा,
इसीलिये 'नीर' आंखो ने अश्क बहाया नही ।

नीशीत जोशी 'नीर'
आब = पानी

MUKTAK

बेबसी बयां कर के क्यों सता रहे हो ?

ईजहार-ए-मोहब्बत क्या जता रहे हो ?

गुजर दी इन्तजार में हज्र कि रात भी,

अब खयालो में 'नीर' क्या बता रहे हो ?

नीशीत जोशी 'नीर'

यह कैसी होली आयी रे


होली आयी रे.... होली आयी रे ....
देखो यह कैसी होली आयी रे ....

थी वो प्रहलाद कि होली,
होलीका दहन कि होली,
थी वो कुरुक्षेत्र कि होली,
धर्म अधर्म के बीच की होली,
थी वो राधा-कृष्ण कि होली,
प्यार के रस कि वृदांवन कि होली,


आज है मां-बेटे के बीच कि होली....
आज है भाई-भाई के बीच होली....
आज है दोस्ती दुश्मनी में बदलती होली....
आज है हवस में प्रेम कि होली....
आज है आतंकवादीओ कि होली....
आज है बोम्ब-ब्लास्ट से जलती होली....
आज है संम्बध बीगाडती होली....
आज है खानाखराबी करती होली....


पता नही कहां पहोचायेगी ये होली रे,
होली आयी रे.... होली आयी रे ....
देखो यह कैसी होली आयी रे .... ।
नीशीत जोशी 'नीर' 07.03.12

દિલની વાત


હર કોઇને બધા જવાબ અપાય નહી,
દિલની વાત સૌ સમક્ષ રખાય નહી,

હો ભલે ને દર્દ સંઘરેલા હ્રદય માંહી,
હર કોઇની પાસે મલ્હમ મંગાય નહી,

દોસ્તો ની ભીડ માં મોજુદ છે દુશ્મનો,
ભીડે ઉભેલા સૌનો વિશ્વાષ કરાય નહી,

ડાહપણ ની વાતો કહી સમજાવે ઘણા,
પણ બધા ની વાતો કાને ધરાય નહી,

લહેરો પણ આવીને કાપે છે કિનારાને,
પાછા વળતા વહેણ 'નીર' ફંટાય નહી .

નીશીત જોશી 'નીર' 06.03.12

સોમવાર, 5 માર્ચ, 2012

સારા નથી હોતા


ઉતાવળમાં કરેલા કામ સારા નથી હોતા,
નકામા માં કરેલા નામ સારા નથી હોતા,

હોય તો છે ઘણા મયખાના માં પ્યાલાઓ,
પણ હર પ્યાલાના જામ સારા નથી હોતા,

કિમંત આંકવી ખોટી ઠરે ખુદાના બંદાની,
લગાડો ગમે તેવા દામ, સારા નથી હોતા,

સંગીતના પારંગત તો જોયેલા હશે ઘણા,
બધા ના સજેલા સરંજામ સારા નથી હોતા,

જલતી હશે શમા પોતાના પ્રેમની ખાતીર,
'નીર' પરવાનાના અંજામ સારા નથી હોતા.

નીશીત જોશી 'નીર'

રવિવાર, 4 માર્ચ, 2012

प्यार कभी कमजोर नही होता


प्यार कभी कमजोर नही होता,
उस पे किसीका जोर नही होता,

अकेलापन एक अहेसास बनता,
सन्नाटो में कोई शोर नही होता,

माना ये दर्द सहना आसान नही,
यह दर्द कभी बिल्लौर नही होता,

मोहब्बत करते नही,हो जाती है,
हो जाने का कोई दौर नही होता,

सांस रुके, बदन दफन करते है,
महोब्बत का कोइ गोर नही होता ।

नीशीत जोशी
बिल्लोर=transparent, दौर=period, गोर=grave

શનિવાર, 3 માર્ચ, 2012

तेरी ये आंखे


उफ्फ ! ये तेरी ये आंखे,
मदहोशी,
मतवाली ये आंखे,
सरबती,
कयामत ढाती ये आंखे,
चिलमन में खिला गुलाब सी ये आंखे,
बिस्मील को घायल करती ये आंखे,
जब जब
उसे देखते है,
पीने को ललचाती ये आंखे,
नीली नीली
उफ्फ ! तेरी ये आंखे !

नीशीत जोशी 01.03.12

वोह कहते है


वोह कहते है हमने कुछ बताया ही नही,
मोहब्बत के जज्बात को जताय ही नही,

रुठ गये थे वो एक लिखा इजहार पढकर,
मान गये थे पर कहते है मनाया ही नही,

घर नीचे खडे रहते थे उनके दिदार वास्ते,
जानते हुए भी वो कहते है सताया ही नही,

जब तलक रहे तेरे शहर कि उन गलियोमें,
हमने किसी ओर को अपना बनाया ही नही,

वो दिन से आज तलक ख्वाबो में जागते रहे,
पर कहते है हमने सपनो को सजाया ही नही,

इस जनम में न सही, अगले जनम ही सही,
खुदासे कहना दूसरेको दिल में बसाया ही नही ।

नीशीत जोशी