રવિવાર, 20 સપ્ટેમ્બર, 2015

जरूरी तो नहीं

हर वाकिया हर किसीको बताया जाए जरूरी तो नहीं, किसी पराये को अपना बनाया जाए जरूरी तो नहीं, राह चलते नजरें तो बहोतो से चार होती होगी मगर, हर किसीके साथ इश्क फरमाया जाए जरूरी तो नहीं, आता नहीं काम कोई फिर भी समझे आरिफ खुद को, हर करतब उनसे ही करवाया जाए जरूरी तो नहीं, कोई अमीर है कोई है गरीब अपने नसीब से मगर, गुनाहगार खुदा को ही बताया जाए जरूरी तो नहीं, गर हो शामिल सुख में, तो दु:ख में भी होना चाहीए, सभी को मशवरा ये समझाया जाए जरूरी तो नहीं !! नीशीत जोशी 19.09.15

हमने आश लगा रखी है

11889516_1018252958219971_8352683862812137416_n हद्द कर दी सितमगर ने सितम ढाने की, ठुकरा के मुहब्बत मेरी शब कर जाने की, लगा रखी है महेंदी दूजे के नाम की,और, करते है ताक़ीद बार बार जहर खाने की, खिलाते है कसम उन्हें भूलने की हमे,और, बिन उनके खुशहाल जिंदगी लाने की, वह करते रहे नफरत हमसे रक़ीब की तरह, हमने ख्वाइश रखी उन्हींसे प्यार पाने की, समझ गया है क़ासिद भी झूठे वादो का सबब, फिर भी हमने आश लगा रखी है उनके आने की !! नीशीत जोशी 16.09.15

લાગી છે લગન તારા નામની

12004036_10206234859703842_3108867601839452677_n લાગી છે લગન તારા નામની, ઓ શ્યામ, લાગી છે લગન તારા નામની, કાને સંભળાય ના સુર હવે, આવે સંભારણાના પુર હવે, રાતો થૈ મગન તારા નામની, ઓ શ્યામ, રાતો થૈ મગન તારા નામની, લાગી છે લગન તારા નામની...... ક્યારે આવશે પુરા કરવા કોલ, ક્યારે તો હ્રદય ફાટક ને ખોલ, લાગી છે અગન તારા નામની, ઓ શ્યામ, લાગી છે અગન તારા નામની, લાગી છે લગન તારા નામની...... બંસી વાગવા ઇન્તઝાર કરું, તારા પ્રેમનો જ ઇઝહાર કરું, હ્રદયમાં રટણ તારા નામની, ઓ શ્યામ, હ્રદયમાં રટણ તારા નામની, લાગી છે લગન તારા નામની...... વૃંદાવન જોને થયું છે બાવરું, ગોપીઓ પૂછે છે કેમ પામવું, સૌને બસ તડપ તારા નામની, ઓ શ્યામ, સૌને બસ તડપ તારા નામની, લાગી છે લગન તારા નામની...... નીશીત જોશી 13.09.15

मेंरा पेशा था हसाने का

1100641F46547969E6AB95059A2B607B601D7B-DF0E-613A-A04E-F167F7A1C9B4 मौका था बातें बताने का, टूटा आईना दिखाने का, फुर्सत ना पायी कभी रोने की, मेंरा पेशा था हसाने का, दास्ताँ ख़ूबां की कहें ना कोई, इल्जाम पाया दिल जलाने का, ना थी तवक़्क़ो ये हश्र की, हस हस के रोना जताने का, फुर्सत ना पायी जिगर रोंदने की, पेशा था वादा निभाने का, तेरी अज़मत ले मुझे आयी है, होगा इंतजाम दिल बसाने का !! नीशीत जोशी (ख़ूबां= sweethearts, तवक़्क़ो= expectation, अज़मत= greatness) 11.09.15

મનથી મનને બાંધતી, કોઈ તો સાંકળ હશે.

12004073_10206211338795834_8543965750369934995_n એકલા છો આજ, કાલે કાફલો પાછળ હશે, જે હતા વિરોધમાં, ઝંડો લઇ આગળ હશે, બીજ વાવ્યું હોય ઉગવાનું અને ફળ પણ આપશે, તોડશો દાંતણ,કદાચિત જંગલી બાવળ હશે, છે અદા કાતિલ ઘણી, ઘાયલ કરે છે આંખથી, ખાસ મકસદથી જ આજ્યું આંખમાં કાજળ હશે, વાયરો વાયો, સિમાડે ગામનાં પુરજોશથી, પ્રિયતમાના આગમનના, આજ વાવળ હશે, હોય વણદેખ્યા ભલે, મનના ખરા બંધન હતા, મનથી મનને બાંધતી, કોઈ તો સાંકળ હશે. નીશીત જોશી 09.09.15

શનિવાર, 5 સપ્ટેમ્બર, 2015

उड़ जायेगा जरूर

bird-escape-97373083-resized दुःख आया है तो पीछे सुख भी लायेगा जरूर, गर दर्द है तो मरहम लगाने से जायेगा जरूर !! बैठ के किनारे पर कुछ भी हासिल नहीं होता, जो उतरा समंदर में वही मोती पायेगा जरूर !! एक भूखे को रोटी का टूकडा मिल जाए काफी है, सुखी रोटी में पकवान का ज़ायका आयेगा जरूर !! कैद में रहके परिंदा भूल जायेगा ना परवाज अपनी, गर हौसला हो बुलंद, तोड़ कफ़स उड़ जायेगा जरूर !! आँख मूंदे कहीं पे भी चलना समझदारी तो नहीं, युही चलता रहा, एक दिन ठोकर खायेगा जरूर !! नीशीत जोशी 04.09.15

शे'रो में कहानी लिखी थी

11947656_10206153749756144_7147966510172385695_n हर मेरे शे'र पर आ कर उसने तफ़्सीर रखी थी, जिस शे'र में उनकी और मेरी तक़दीर लिखी थी, वस्ल की ख़ुशी और हिज्र का ग़म भी लिखा था, हर वो जगह लिखी थी जहाँ जहाँ वोह दिखी थी, महफ़िल की रौनक भी, आँखों की मयकशी भी, जिक्र मीना का भी किया था मैय जिसमे चखी थी, तब्बसुम ओठो की,नजाकत भी बयाँ की थी उसमें, यह भी कहा था दास्ताँ-ए-इश्क़ में कैसी सखी थी, अब वोह किसी और की है तो क्या? मुहब्बत तो है, पल पल को याद करके शे'रो में कहानी लिखी थी !!!! नीशीत जोशी 01.09.15 ( तफ़्सीर=comments,सखी=large-hearted)