શનિવાર, 11 ઑક્ટોબર, 2014

उनकी यादें जुबाँ खुलने नहीं देती

आँखे अश्को को गिरने नहीं देती, दिल की दास्ताँ कहने नहीं देती, जीना पड़ता है उनके बगैर अब, उनकी वो क़सम मरने नहीं देती, खामोशी अपने पायाँ पे आ गयी, उनकी यादें जुबाँ खुलने नहीं देती, तड़पते है मुद्दत से दीदार के लिए, रवायत परदे को हटने नहीं देती, मुन्तज़िर है बागो के वो शजर भी, बहार भी फूलो से सजने नहीं देती !!!! नीशीत जोशी 10.10.14

आने का वादा निभा रहा है कोई

रूख से मेरे ये कफ़न हटा रहा है कोई, एहसास आने का जैसे दिला रहा है कोई, आये है वोह आखिर गुरूर के साथ यहाँ, जैसे आने का वादा निभा रहा है कोई, फूलो को चढ़ाते है वोह कुछ इस तरह, मैयत नहीं, खियाबाँ सजा रहा है कोई, समय न था कभी,मगर पास बैठे है आज, कुछ ऐसे जैसे रूठे को मना रहा है कोई, आखिरकार पहुंचा दिया क़ब्र तक, और आज, इंकार के बाद जूठा इकरार जता रहा है कोई !!!! नीशीत जोशी (खियाबाँ= flower bed) 07.10.14

એક સાદ બદલશે જિંદગી

shy-smile-girl_f_280x120 પાછળ થી કરેલો અમે તેમને એક સાદ, વિચારેલું થઇ જશું હવે અમે તો આબાદ, નજરો મળી અને તેમણે આંખો ઝુકાવી, વાત હતી એટલી 'ને અમે થયા બરબાદ, આગળ જે થયું તે જાણતા ના હતા અમે, જે હતું પોતાનું, હૃદય થયું અમ થી બાદ, ગુલામ થયા તેમના, તેની પહેલી નજરે, ન જાણે હવે ક્યારે થશું આમાંથી આઝાદ, હતા અજાણ કે એક સાદ બદલશે જિંદગી, અજાણતા જ કર્યો બીજા પ્રેમીઓ નો વાદ. નીશીત જોશી 05.10.14

શનિવાર, 4 ઑક્ટોબર, 2014

इन्तजार ने जाँ निकाली हुयी है

ऐसी तो मेरी बहाली हुयी है, रात हर मेरी काली हुयी है, इश्क़ ने किया है निक्कमा, दीवानगी वो संभाली हुयी है, साइल बन के गुजारिश की, रूह उसकी कंगाली हुयी है, उठे भी तो कैसे महफ़िल से, निगाहें मुझ पे डाली हुयी है, कह कर भी नहीं आते कभी, इन्तजार ने जाँ निकाली हुयी है !!!! नीशीत जोशी (साइल= a beggar) 03.10.14

ऐसी तो न थी

11-28_MaiKuraki-SilentLove गूंगी थी, मगर वो बात, ऐसी तो न थी, आँखों से हुई, वो बरसात, ऐसी तो न थी, तबस्सुम ने, बाँध रखा था, महफ़िल में, जश्न में, जो गुजारी रात, ऐसी तो न थी, चश्म-बरा में, उलजे रहे हम यूँ ही,मगर, कसक से, जो हुयी नजात, ऐसी तो न थी, खेलते रहे बाज़ी, उनकी ही, ख़ुशी के लिए, वो, जीती बाज़ी की मात, ऐसी तो न थी, कह के नागवार, कर दिये जख्म, हर शब्ज, नासूर, घावों की सबात, ऐसी तो न थी !!!! नीशीत जोशी (तबस्सुम= smile , चश्म-बरा= waiting to welcome, नागवार= unpleasant, unbearable, सबात= stability) 28.09.14