બુધવાર, 29 ફેબ્રુઆરી, 2012

नींद आती नही


उन्हे रातो को नींद आती नही है,
पलके मीठे सपने सजाती नही है,

यादो का मंझर कम ही नही होता,
पूरानी यादे जहन से जाती नही है,

तस्सवूर में रह जागना अच्छा नही,
कोइ लाश वापस सांस पाती नही है,

अंधेरे के डर से न कुछ हासिल होगा,
वो चराग कि लौ घर जलाती नही है,

इतिहास के पन्नो से बाहर नीकलो,
अश्को को पलके अब उठाती नही है,

दूआ है चैन कि नींद आ जाये आज,
अपनो की दूआ फिजूल जाती नही है ।

नीशीत जोशी

मुलाकात


आज फिर उनसे मुलाकात हुयी,
फिर भी कोई न खास बात हुयी,

आरजू दिल में लिए बैठे रहे,
न कोइ बात की शुरुआत हुयी,

वो जो पूछे हमारे दिल की बात
वो बयां करने में मुश्किलात हुयी,

तेरे खामोश से लब कह गए कुछ
आँखों आँखों में सारी रात हुयी,

चादनी रात,साथ हम दोनों
प्यार के रंग में बरसात हुयी |
नीशीत जोशी

मुस्कान


हम तेरी मुस्कान के मुन्तजीर रह गये,
पर लोग रश्क से अल्फाजो को कह गये,

मोहब्बत के समंन्दर में डुब जाते मगर,
एक वायदे पर उस तूफान में भी बह गये,

सीख रखा था हमने चोट खाने का हुन्नर,
वोह देते गये हम हर घाव बखुबी सह गये,

तीरछी नजरो से देखते हुए बीना कुछ बोले,
मुश्कुराते रहे, हम वोही मुस्कान पे दह गये,

बेतासिर बना दिया था उस मुस्कान ने हमे,
आखिर हर गझल में उन्ही का नाम कह गये ।

नीशीत जोशी 27.02.12
मुन्तजीर= one who is awaited, रश्क = jealousy, बेतासिर= useless

રવિવાર, 26 ફેબ્રુઆરી, 2012


कहा अब नही आते, न आने से दिलको बुरा लगता है,
भले हो मशहुर गलीया,ये दिलका कुचा सुना लगता है,

जैसे भी दुरीया गर रखनी है तुजे, रखो मेरे हमनवाज,
मेरी हरएक सांसमे सिर्फ तेरा ही नाम गुंजता लगता है,

महसुस हमने भी किया है, ईन्तजार मे हर रातका रोना,
करवट बदलते रहते है बिस्तर भी कंटक सा लगता है,

अचानक उठ जाते है रात मे, सताता है अंधेरो का डर,
चीराग कि रोशनी में खुदका साया भी डरावना लगता है,

और तुम कहते हो, " हम नही आयेंगे,जाओ ", लेकिन,
जाए तो कहां?हर तरफ हर चहेरा हमे तुज जैसा लगता है ।

नीशीत जोशी

जीन्दगी बसर कर गये


जीन्दगी बसर कर गये मगर जीये नही,
हालत पे कभी अपनी भरोषा किये नही,

गुजर जाता रहा कारवा युहीं बे-मंजील,
राहोको कभी मंजीलका रास्ता दिये नही,

वोह जहर अगर देते तो पी भी लेते हम,
दुसरो के हाथो दिया अमृत भी पीये नही,

प्यार कि दास्तां सुनना अच्छा लगता था,
इसलिये प्यारके अल्फाज कभी सीये नही,

बदनाम न हो जाये कहीं जमाने के सामने,
अपनो के बीच कभी उनका नाम लिये नही।

नीशीत जोशी

બુધવાર, 22 ફેબ્રુઆરી, 2012

मकतूल थे हम


मकतूल थे हम, मकतल मेरा दिल बनाया,
कब्र पहोचाके उसने आंखो को झिल बनाया,

वाह रे उनकी महोब्बत ? उसको क्या कहेना,
जीने नही दिया,मरने को भी मुश्किल बनाया,

आलि माने थे पर दिये उसने आबेचश्म मुजे,
सीतम सहकर भी उसे हमने बिस्मिल बनाया,

चश्मेजाम पी के मखमूर बन अदम हो गये थे,
आशुफ्तः हो कर भी हमने उसे साहिल बनाया,

महोब्बत कि राह के वोह काहिल क्यों रह गये?
इनाम दे कर मुजे महोब्बत का जाहिल बनाया ।

नीशीत जोशी

મંગળવાર, 21 ફેબ્રુઆરી, 2012

नजर


तेरी नजर का ही कसूर था,
जीसे पाके मै तो मगरूर था,

घायल फिरते रहे गलीओमें,
जीस शहरमें मै मशहूर था,

ऐसी नजरोने कयामत ढायी,
पर प्यार वास्ते मजबूर था,

ना देखे तो सब बेजान लगे,
दिल का वही चश्मे-नूर था,

नजरे उठती लगता पैमाना,
उसे पीना प्यारका गुरुर था,

मदहोश हो गये नीगाहो से,
वो नशा उतरना तो दूर था ।

नीशीत जोशी

શનિવાર, 18 ફેબ્રુઆરી, 2012

बसे अन्जान शहरमें


अपनोको छोड बसे अन्जान शहरमें,
दोस्ताना तोड बसे अन्जान शहरमें,

खास बात भी नही कर पाए लोगोसे,
सपनोको जोड बसे अन्जान शहरमें,

अपनोकी कमी तो होती थी महेसूस,
बनाये कैसे मोड बसे अन्जान शहरमें,

हुन्नर जो था कहीं भी दिखा सकते थे,
न रास आयी दौड बसे अन्जान शहरमें,

दिल-ओ-जानसे चाहनेवाले वहां भी थे,
आये आयना तोड बसे अन्जान शहरमें ।

नीशीत जोशी

શુક્રવાર, 17 ફેબ્રુઆરી, 2012

कुछ तो कहो



कैसे बिताया है आपने आज? कुछ तो कहो,
क्या है आपकी खुशीका राझ? कुछ तो कहो,

मिलन कि आश थी पूरी करली होगी शायद,
पहन लिया क्या सर पे ताज? कुछ तो कहो,

थाम लेते थे सब का हाथ मासूक समज कर,
क्या न आये आप फिर बाज? कुछ तो कहो,

पूराने खतो को पढ के चूमा करते थे अक्सर,
क्या छोड दी आपने सब लाज? कुछ तो कहो,

महोब्बत के शहेनशाह बने हो पथ्थर के दौरमे,
क्या हुआ उसे भी आप पर नाज? कुछ तो कहो,

आयना भी देख कर शरमा जाता रहा है यूं तो,
क्या सजा रखे थे बहोत से साज? कुछ तो कहो,

अब न करो ज्यादा बेचैन इस दिल को तडपा के,
बया भी करो खुद छोड के हर काज, कुछ तो कहो ।

नीशीत जोशी

ગુરુવાર, 16 ફેબ્રુઆરી, 2012

प्यारका अंजाम


प्यार में आशिक गुल-ए-गुलफाम होता है,
पर बहोतो के प्यारका बूरा अंजाम होता है,

गिरती रहती है बीजलीयां सर पर अक्सर,
रोना, तडपने का ही बस ईन्तजाम होता है,

सोचता रहता है दिन रात उनको खयालोमें,
नींदको न आने देना यही इन्तकाम होता है,

तस्सवूरमें भी तोडते नही वादेको वफा करके,
फिर भी आखिर बेवफाई का ईल्जाम होता है,

बताये न बताये दास्तां अपनी कायनात को,
छिपाया हुआ दिल का दर्द भी सरेआम होता है ।

नीशीत जोशी

બુધવાર, 15 ફેબ્રુઆરી, 2012

શીખી રાખી છે એવી રીત.


તમે ન બોલાવવાની શીખી રાખી છે એવી રીત,
અમે ન ભૂલાવવાની શીખી રાખી છે એવી રીત,

લાખ કરો કોશિશ પણ નહી હંફાવી શકો મુજને,
અમે ન થાકી જવાની શીખી રાખી છે એવી રીત,

અમીનજરોની અપેક્ષાએ કપાઇ જશે આ જીવન,
હ્ર્દય માં વસાવવાની શીખી રાખી છે એવી રીત

બહુ તો તમે વિરહમાં તડપાવી રડાવશો મુજને,
અમે અશ્રુ વહાવવાની શીખી રાખી છે એવી રીત,

કારણ ન પૂછો અમે તો બાંધી રાખી છે એવી પ્રીત,
અમે દુઃખોમાં હસાવવાની શીખી રાખી છે એવી રીત.

નીશીત જોશી

સોમવાર, 13 ફેબ્રુઆરી, 2012

वोह सोया है


अभी अभी वोह चैन की नींद सोया है,
इसके पहले तो वोह बेहिसाब रोया है,

हसरत ,एक खिलौने कि, मांग लिया,
जो खुदके हाथो से ही कही पे खोया है,

खिलौने कि भीडमें चाहिये था बस एक,
उसने दिन रात सीनेसे लगाकर ढोया है,

खोया वो पाने कि फितरत रहे है सबकी,
माने मोती जीसे खुदने धागोमें पिरोया है,

आवाज ना करना वोह कहीं जाग जायेगा,
मुश्कील से नींदने उसे बांहोमें सजोया है ।

नीशीत जोशी

શનિવાર, 11 ફેબ્રુઆરી, 2012

यह कलम क्या क्या लिख लेती है


यह कलम क्या क्या लिख लेती है,
कभी तुम्हे कभी मुजे लिख लेती है,

कभी जख्म, तो कभी मल्हम,
कभी ईकरार, तो कभी ईन्कार,
वो नफरत भी प्यारसे लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,

कभी रुठना, तो कभी मनाना,
कभी सोना, तो कभी जागना,
वो रातो को भी दिन लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,

कभी पथ्थर, तो कभी फूल,
कभी बसंत, तो कभी पतजड,
वो मौसमका भी रुख लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,

कभी विरह, तो कभी मिलन,
कभी दोस्त, तो कभी दुश्मन,
वो हर रसम बखुबीसे लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है,

कभी शायरी, तो कभी कविता,
कभी नज्म, तो कभी गजल,
कभी हिन्दी कभी उर्दू लिख लेती है,
यह कलम क्या क्या लिख लेती है ।

नीशीत जोशी 10.02.12

नादानी कि हद


ख्वाब भी नही आते रातोको सो कर,
गुजार देते है यूंही विरान रात रो कर,

अपना कहा फिरभी परायो की तरहा,
मूंह घुमा रखा है उसने रुसवा हो कर,

दिल के हर कूचे में बसा लिया है उसे,
कब तलक फिरते रहेंगे तस्वीर ढो कर,

हमने तो बीछाये थे फूल उनकी राह पर,
चल दिये वोह मेरे रास्तोमें कांटे बो कर,

अरे!! उनकी नादानी कि हद तो देखलो,
वोह मेरे जैसा ही ढूंढते है मुजे ही खो कर ।

नीशीत जोशी 09.02.12

બુધવાર, 8 ફેબ્રુઆરી, 2012

કોઇ કીમત નથી


સૂરજ વગર સવાર ની કોઈ કીમત નથી,
લહેરો વગર કિનાર ની કોઈ કીમત નથી,

વિશ્વાસ ઉપર દુનિયા કાયમ હોય તે છતાં,
લખાણ વગર કરાર ની કોઇ કીમત નથી,

ઇશ્વરને પામવાની ઇચ્છા તો હોય ઘણાને,
શ્રદ્ધા વગરની પુકાર ની કોઇ કીમત નથી,

એક આત્મવિશ્વાસે દરિયો પણ તરી જવાય,
આ પાર વગર પેલી પાર ની કીમત નથી,

આ દુનિયા થઇ ગઇ છે એવી તે હોશિયાર,
અહીં ઘાવ વગર વાર ની કોઇ કીમત નથી.

નીશીત જોશી

સોમવાર, 6 ફેબ્રુઆરી, 2012

बस तु, तु ओर तु


वो तेरा नूरानी चहेरा,
उन पे केशूओ का पहेरा,
नयनो में सजा काजल,
आसमां भरा हो जैसे घने बादल,
मांग पे लगा सीदूर,
जैसे छीपा हो कोई दुर्र,(pearl)
उफ्फ! तेरी हर अदा,
याद आ जाये सदा,
खामोश आसमान, मायूस परिन्दे,
विरान वादियां,
सर्द आलम,
और तुम्हारी यादो के सिलसिले,
उफ्फ!!!!!!
उल्फत बना जीना,
जैसे हो ताज बीना मीना,
तु नही तो कुछ भी नही,
बस तु, तु ओर तु,
जहा भी नजर करू, बस तु !

नीशीत जोशी

શનિવાર, 4 ફેબ્રુઆરી, 2012

दिया है हुश्न


दिया है हुश्न खुदाने उसकी हिफाजत कर,
रहे बरकरार अपना प्यार ये ईबादत कर,

राहदार बनके आयेगा हर मुश्कील राहमें,
करिश्मा जो दिखाये उसकी इनायत कर,

जो हो रहा है मानले हे ये करमो का फल
रहनूमा के सामने न उनकी शिकायत कर,

औकातसे ज्यादा दिया फिरभी जो कम हो,
गलती मान ले खुदकी न कभी बगावत कर,

चंद लोग जिन की फितरत है नफरत बोना,
उन सभी को महोब्बत बांटने की हिदायत कर ।

नीशीत जोशी

શુક્રવાર, 3 ફેબ્રુઆરી, 2012

હું


રૂધીરના આંસુ પી રહ્યો છું હું,
તુજની યાદે જીવી રહ્યો છું હું,

સળગી ના જાય મોઢુ ખોલ્યે,
માટે જ હોઠો સીવી રહ્યો છું હું,

અપેક્ષાની કોઇ સીમા ન હોય,
દર્શન અપેક્ષા કરી રહ્યો છું હું,

ઉંડાણ ન જાણ્યુ કુદ્યો દરિયામાં,
તુજ ભરોશે જ તરી રહ્યો છું હું,

દફનાવજે તુજ હસ્તક કબરમાં,
આજીવન પ્રેમી બની રહ્યો છું હું.

નીશીત જોશી

डर से


हर तरफ करी रोशनी उनसे साथ छूटने के डर से,
बैठे ही रह गये महेफिलमें उनके ऊठने के डर से,

जमी पे खडे थे और मीला आसमान हमे तौफे में,
उची ऊडान न ली मैने उनकी सांस घुटने के डर से,

हर ख्वाईश पूरी करते रहे जो कहते गये वोह हमसे,
वो दर्द में भी हसते हसाते रहे उनके रुठने के डर से,

महोब्बत कि राह पर नीकल पडे थे दोनो साथ साथ,
हमने आयना सा दिल संभाल रखा फूटने के डर से,

बेखबर सोये थे वोह हमारे सीने पे रख के सर अपना,
हमने धडकन भी रोक ली उनकी नींद तूटने के डर से ।

नीशीत जोशी

બુધવાર, 1 ફેબ્રુઆરી, 2012

हमे सिखाया


किसी ने हमे चहेकाना सिखाया,
किसी ने हमे मुश्कराना सिखाया,

ऐसे शायर न थे कभी भी हम तो,
प्यारने हमे वो शायराना सिखाया,

दिदारके लिये रखी थी तस्वीर वो,
उन्की शयने हमे बहेकाना सिखाया,

बागबान बनने पहोंचे जो बाग हम,
वहां फूलोने हमे महेकाना सिखाया,

तीनका बून बूनके घर को, परिन्दोने,
कैसे बनाते है वो आशीयाना सिखाया ।

नीशीत जोशी