શનિવાર, 27 ડિસેમ્બર, 2014

सुनी पड़ी है ये महफ़िल तेरे बगैर

आज तुम याद बेसुमार आते हो, आ के तसव्वुर में फिर बहलाते हो, दौड़ती है काटने को तन्हाईया, आँखों में अश्क़ तुम भर जाते हो, खुम है मय है साक़ी है तेरे लिए, फिर मयक़दे को क्यों तरसाते हो? रोशन कर दो फिर से हर चराग, मायुसो का दिल क्यों जलाते हो? सुनी पड़ी है ये महफ़िल तेरे बगैर, महफ़िले सरताज़ तुम कहलाते हो ! नीशीत जोशी 25.12.14

हसीं पल थे

हसीं पल थे गुजर गए कुछ पल में, चले गए हर कोई आनेवाले कल में, वक़्त का क्या फिर से आ सकता है, मगर न मुक़्क़मल होगा ऐसे बल में, समंदर में तलातुम होना लाज़मी है, आप ले के आये उसे नदी के जल में, हमें मिला आप सभी का ये जो साथ, खुदा ने दिया है अच्छे कर्म के फल में, इन्तजार रहेगा ऐसे ही कोई जश्न का, डूब जाए हमातन फिरसे ऐसे ही पल में !!!! नीशीत जोशी (तलातुम=storm,हमातन=fully) 21.12.14

घर में तू सब की लाडली

चिड़ियों की तरह चहकती थी,खुश्बू की तरह महकती थी, घर में तू सब की लाडली,सभी की घडकन में धड़कती थी, बड़ी हुयी जब तू ,सपने भी खुद के सजोने लगी लाजवाब, बातें तेरी घर के कोने कोने में पायल की तरह खनकती थी, उतर आया चाँद से एक राजकुमार,ले जाने तुजे अपने साथ, हो जाएगा घर वीरान बात यही हमारे जहन से उभरती थी, नियति है करनी होगी बिदा तो कर लिया है दिन मुक़्क़मल, जिम्मेवारी बढ़ेगी,थम जायेगी बर्फ सी जो कूदती उछलती थी, इम्तिहान अब शुरू होगा जिंदगी का असल 'ओ, लाड़ली', भरोषा है आओगी अव्वल, तू अव्वल आना ही समझती थी !!!! नीशीत जोशी 06.12.14

चॉंद को छत पे अब बुलायेगा कौन

रूठोगे जो अब तुम मनायेगा कौन, रोओगे जो अब तुम हसायेगा कौन, तन्हाई काटती होगी रात होगी सुनी, होगी जब सुबह फिर जगायेगा कौन, जिक्र होगा महफिल में नाम का तेरा, वहाँ ईश्क की गजल सुनायेगा कौन, हसीन लम्हो की आयेगी बहोत यादें, खींच के तेरा दुप्पटा सतायेगा कौन, छत की सीढीयाँ बहाती होंगी आंसू , चॉंद को छत पे अब बुलायेगा कौन ! नीशीत जोशी 21.11.14

रुसवा सारा ज़माना हुआ

बढ़ा जब दर्द दिल में, क़लम को जुबाँ आयी, महबूब की बातें, न जाने हमें ले कहाँ आयी, करते रहे जिक्र वफ़ा का, बेवफा की बाहों में, बहते रहे अश्क़ आँखों से, गुफ्तगू वहाँ आयी, समझते रहे सिकंदर, मुक्क़दर का खुद ही, मगर मुझे हाथ की लकीरे नजर कहाँ आयी, मनाते हुए उनको रुसवा सारा ज़माना हुआ, नफ़रत की सभी के हाथो जैसे कमां आयी, क़त्ल किया मेरा, कातिल अदाओने उनकी, आखिर शहरे खामोशा तक मेरी जाँ आयी !!!! नीशीत जोशी (कमां= command) 17.11.14

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बहा के आंसू, रवायत निभाता क्यों है ?

हर शाम मेरे दर, मेरे तसव्वुर में, तू आता क्यों है ? इतफ़ाक नहीं मुझ से, फिर, अपना बताता क्यों है ? रहा होगा कभी, मुहब्बत का भरम, मेरे ये दिल को, सितमगर बन कर, तू अब नफरत, जताता क्यों है ? लगता है, कुछ प्यार बाक़ी है तेरे जहन में, अब भी, वरना, चश्म-ओ-तर हो कर, यहां से जाता क्यों है ? बिछड़ कर मुझ से, जानते है, खुश नहीं हो तुम भी, बनके संगदिल, फिर, ज़ब्त-ए-ग़म सिखाता क्यों है ? मुद्दई, लाख इंकार करो तुम, यादो में नहीं आने का, हिज्र में, फिर, बहा के आंसू, रवायत निभाता क्यों है ? नीशीत जोशी { चश्म-ओ-तर=wet eyes, ज़ब्त-ए-ग़म= दुःख सहने की शक्ति) 10.11.14

મિલનની આશ અમે છોડતા નથી

કહો છો કે કોઈનું દિલ તોડતા નથી, પકડેલો હાથ કોઈનો છોડતા નથી, અનુભવ અમારો તો કઈક રહ્યો જુદો, શાને થાય છે આમ તે બોલતા નથી, ઠુકરાવ્યો હાથ તોડી ને દિલ અમારું, છુપાવેલો દિલનો રાઝ ખોલતા નથી, બદ થી બદ્દતર બનાવી અમ જિંદગી, અને કહો છો સાથ અમે શોભતા નથી, ડૂબી ગઈ છે અમ જિંદગી વિરહ માહી, પણ મિલનની આશ અમે છોડતા નથી. નીશીત જોશી 06.11.14

सुखन ऐसा लिख के दिखा दो

pened वरक़ पर क़लम चला दो, लहू को मेरे स्याही बना दो, चलगे अल्फ़ाज़ खुद-बखुद, जज्बात लिख के बता दो, बनी नहीं जो बात कहने पे, एहसासे दिल यहाँ जता दो, रफ़्तार देकर के क़लम को, अफ़साने से वरक़ सजा दो, पढ़ के भूल न पाये कोई भी, सुखन ऐसा लिख के दिखा दो !!!! नीशीत जोशी 04.11.14

શનિવાર, 1 નવેમ્બર, 2014

साँसे बरक़रार रखता है

जिगर हमारा, फौलादी मिज़ाज रखता है, आँखों से बहता सैलाब भी, बाँध रखता है !! लगने नहीं देता चोट, पहला ग़म का बख्तर, नये घाव के आगे, पुराने ज़ख्म याद रखता है !! दे करके बेवफाई को, कोई मजबूरी का नाम, बचा के बदनामी से, मुहिब्ब की लाज़ रखता है !! हो जाता है शादाँ, जुगनू की रोशनी से भी, देने तस्सली, घर में बुज़ा चराग रखता है !! क़ायम है, मुहब्बत का वो जज्बा ऐसा की, लाश बन कर भी साँसे बरक़रार रखता है !! नीशीत जोशी (शादाँ=happy) 31.10.14

મહોબ્બત તેને પણ હતી

જોયું પાછળ વળીને તેણે, હસરત તેને પણ હતી, થયા'તા જેના પર ફના, મહોબ્બત તેને પણ હતી, દફનાવી દીધી'તી, મનની ઈચ્છાઓને મન માં જ, રીવાજો થકી, જમાના ઉપર નફરત તેને પણ હતી, જોયા વગર દિન પણ કાઢવો મુશ્કેલ હતો, બંનેનો, કરીએ છીએ પ્રેમ અપાર, એ ધરપત તેને પણ હતી, વિખુટા પડ્યાની પળો, કરી યાદ રડતા હતા હમેંશા, આશા હતી, પ્રેમ માં આવશે બરકત, તેને પણ હતી, મેળવતા હતા નજરો, છુપાઈ છુપાઈને જમાના થી, શરમાઈ, નયનો ઝૂકાવવાની ચાહત તેને પણ હતી. નીશીત જોશી 28.10.14

पैगाम न आया

उनका कोई पैगाम न आया, दिल का तड़पना काम न आया, निभा न पाये वोह आने का वादा, फिर भी उनपे कोई इल्ज़ाम न आया, रेज़ा रेज़ा कर दिया आईने को, मगर कहीं उनका नाम न आया, मुन्तज़िर ये दिल भी थक गया, कहीं से भी उनका सलाम न आया, कट जाती है करवटों में नींद भी, उनका कोई ख्वाब आम न आया !!!! नीशीत जोशी 26.10.14

ग़ज़ल बन गयी

तसव्वुर में याद आते ही ग़ज़ल बन गयी, दास्ताँ तेरी गुनगुनाते ही ग़ज़ल बन गयी, वरक़ पे क़लम ने बखूबी अपना काम किया, खून को स्याही में पाते ही ग़ज़ल बन गयी, हवा से उड़ते पन्नो से निकल पड़ा तरन्नुम, हवा के ज़ोकों के जाते ही ग़ज़ल बन गयी, छाया हुआ था सन्नाटा यूँह तो महफ़िल में, तेरे आने की खबर आते ही ग़ज़ल बन गयी, अल्हान के शौकीन हो यह मालूम था हमे, मुतरिब के रबाब बजाते ही ग़ज़ल बन गयी, तेरे नाम का जाम पीने की तिश्नगी बढ़ती रही, खुम को मुहँ तक लाते ही ग़ज़ल बन गयी !!!! नीशीत जोशी 19.10.14 (अल्हान= melodies, मुतरिब= singer, रबाब= a kind of violin, खुम= large jar of wine)

उनके पास वफ़ा का हुनर न था

हमारी उदासी से वोह बेखबर न था, पर उनके पास वफ़ा का हुनर न था !! डूब तो जाता वोह भी तन्हाई में पूरा, हमारे जैसा प्यार गहरा मगर न था !! हमराही समझ कर हम साथ हो लिए, हमारे साथ उनका मसरूर सफर न था !! बैठते दो पल तो शायद कुछ बात होती, कुछ सुनने का उनको तो सबर न था !! मुन्तज़िर रखा हरदम प्यार जता के, पर हालात का उन पे कोई असर न था !! नीशीत जोशी 15.10.14

એક દી'

chagall_flight પાંખ ફેલાવી ઉડ્યા'તા એક દી', એકબીજાના બન્યા'તા એક દી', વીતી ગયા એ દિવસો સુહાના, અજાણતા જ મળ્યા'તા એક દી', નામ લેતા થોથવાય જીભ આજે, દિનરાત જેનું લેતા'તા એક દી', તેની તો ખબર નથી અત્યારની, અમારાથી નથી ભૂલા'તા એક દી', બીજાના નામની લગાવી મહેંદી, અમ માટે જ જે જન્મ્યા'તા એક દી'. નીશીત જોશી 12.10.14

શનિવાર, 11 ઑક્ટોબર, 2014

उनकी यादें जुबाँ खुलने नहीं देती

आँखे अश्को को गिरने नहीं देती, दिल की दास्ताँ कहने नहीं देती, जीना पड़ता है उनके बगैर अब, उनकी वो क़सम मरने नहीं देती, खामोशी अपने पायाँ पे आ गयी, उनकी यादें जुबाँ खुलने नहीं देती, तड़पते है मुद्दत से दीदार के लिए, रवायत परदे को हटने नहीं देती, मुन्तज़िर है बागो के वो शजर भी, बहार भी फूलो से सजने नहीं देती !!!! नीशीत जोशी 10.10.14

आने का वादा निभा रहा है कोई

रूख से मेरे ये कफ़न हटा रहा है कोई, एहसास आने का जैसे दिला रहा है कोई, आये है वोह आखिर गुरूर के साथ यहाँ, जैसे आने का वादा निभा रहा है कोई, फूलो को चढ़ाते है वोह कुछ इस तरह, मैयत नहीं, खियाबाँ सजा रहा है कोई, समय न था कभी,मगर पास बैठे है आज, कुछ ऐसे जैसे रूठे को मना रहा है कोई, आखिरकार पहुंचा दिया क़ब्र तक, और आज, इंकार के बाद जूठा इकरार जता रहा है कोई !!!! नीशीत जोशी (खियाबाँ= flower bed) 07.10.14

એક સાદ બદલશે જિંદગી

shy-smile-girl_f_280x120 પાછળ થી કરેલો અમે તેમને એક સાદ, વિચારેલું થઇ જશું હવે અમે તો આબાદ, નજરો મળી અને તેમણે આંખો ઝુકાવી, વાત હતી એટલી 'ને અમે થયા બરબાદ, આગળ જે થયું તે જાણતા ના હતા અમે, જે હતું પોતાનું, હૃદય થયું અમ થી બાદ, ગુલામ થયા તેમના, તેની પહેલી નજરે, ન જાણે હવે ક્યારે થશું આમાંથી આઝાદ, હતા અજાણ કે એક સાદ બદલશે જિંદગી, અજાણતા જ કર્યો બીજા પ્રેમીઓ નો વાદ. નીશીત જોશી 05.10.14

શનિવાર, 4 ઑક્ટોબર, 2014

इन्तजार ने जाँ निकाली हुयी है

ऐसी तो मेरी बहाली हुयी है, रात हर मेरी काली हुयी है, इश्क़ ने किया है निक्कमा, दीवानगी वो संभाली हुयी है, साइल बन के गुजारिश की, रूह उसकी कंगाली हुयी है, उठे भी तो कैसे महफ़िल से, निगाहें मुझ पे डाली हुयी है, कह कर भी नहीं आते कभी, इन्तजार ने जाँ निकाली हुयी है !!!! नीशीत जोशी (साइल= a beggar) 03.10.14

ऐसी तो न थी

11-28_MaiKuraki-SilentLove गूंगी थी, मगर वो बात, ऐसी तो न थी, आँखों से हुई, वो बरसात, ऐसी तो न थी, तबस्सुम ने, बाँध रखा था, महफ़िल में, जश्न में, जो गुजारी रात, ऐसी तो न थी, चश्म-बरा में, उलजे रहे हम यूँ ही,मगर, कसक से, जो हुयी नजात, ऐसी तो न थी, खेलते रहे बाज़ी, उनकी ही, ख़ुशी के लिए, वो, जीती बाज़ी की मात, ऐसी तो न थी, कह के नागवार, कर दिये जख्म, हर शब्ज, नासूर, घावों की सबात, ऐसी तो न थी !!!! नीशीत जोशी (तबस्सुम= smile , चश्म-बरा= waiting to welcome, नागवार= unpleasant, unbearable, सबात= stability) 28.09.14

રવિવાર, 28 સપ્ટેમ્બર, 2014

तेरी हसी देखी है

तेरे शहर में वालिहाना दीवानगी देखी है, जादू की छड़ी तो नहीं, तेरी हसी देखी है, होती होगी जन्नत में नायाब से नायाब, यहीं पे हमने तो एक अहद परी देखी है, बिन तेरे हर महफ़िल अधूरी रहती होगी, देखते ही तुझे दीवानो में तफरी देखी है, न रखना खुद को तुम परदे में कभी यहाँ, दीदार न होने पे हर आँखों में नमी देखी है, तमन्ना है सबकी तुझसे गुफ्तगू फरमाये, खाइश पूरी न होने पे पज़मुर्दागी देखी है, नीशीत जोशी (वालिहाना= in madness, अहद= unique, पज़मुर्दागी= sadness) 24.09.14

પ્રેમ માં અસરદાર નથી હું ?

crying-heart-1 ના કરો શિકાયત, ગુન્હેગાર નથી હું, પુજારી છું પ્રેમનો, ફોજદાર નથી હું, બને છે ઘણા પથ્થર પૂજવા યોગ્ય, છું રાહનો કાંકરો, વજનદાર નથી હું, ભૂલી જવાનું કહેશો તો ખાશો થાપ, માનું છું કહ્યું પણ, તાબેદાર નથી હું, કમજોરી છે મુજ ની ફક્ત તુજ પ્રેમ, રડી પડાય, દિલનો જોરદાર નથી હું, જોઈ પાળિયા પ્રેમીના આવે વિચાર, શું આવો પ્રેમ માં અસરદાર નથી હું ? નીશીત જોશી 22.09.14

શનિવાર, 20 સપ્ટેમ્બર, 2014

कुछ सुखन, फिदाई वास्ते बचाना अच्छा है

करम फरमाने का ये बहाना अच्छा है, नजरो से समजा कर सताना अच्छा है, तिरछी नजरो से घायल करते हो क्यों ? क़त्ल के वास्ते खंजर चलाना अच्छा है, छलकती रहती है शराब नजरो से तेरी, उसे पीनेवाले को रिन्द बताना अच्छा है, गुरूर में रहता है चाँद फलक में अक्सर, तेरे हुश्न से उसे वाक़िफ़ कराना अच्छा है, अधूरी लगती है रानाई की तफ़्सीर मुझे, कुछ सुखन, फिदाई वास्ते बचाना अच्छा है !! नीशीत जोशी (रानाई= grace, lovliness, beauty, तफ़्सीर= explanation, सुखन= speech, words,poetry, फिदाई= lover) 19.09.14

कभी सरगम बन कर, तुम भी मज़ा दिया करो

कभी हमे भी, कुछ अशआर बता दिया करो, रंग ग़ज़लों का, हम पर भी चढ़ा दिया करो, कभी बताओ जिंदगी जीने की तरकीब हमे, सिखा के, ख़ुशी का आबशार बहा दिया करो, जब देखो चश्म-ए-तर, मुलाक़ात पे हमारी, उस हिज्र को, वस्ल-ए-जानाँ बना दिया करो, रखी नहीं है ख्वाइश, कभी मिले सनद हमे, कर के इमदाद, हर इल्जाम की सजा दिया करो, ताउम्र गुनगुनाते रहे हम, तेरे नाम की ग़ज़लें, कभी सरगम बन कर, तुम भी मज़ा दिया करो !!!! नीशीत जोशी (अशआर= verses couplets, आबशार= waterfall, चश्म-ए-तर= wet eyes, हिज्र= separation, वस्ल-ए-जानाँ= meeting with lover, सनद= certificate, इमदाद= help) 15.09.14

રસ્તાઓ તો, ક્યાંક બીજે નીકળતા રહ્યા

ભૂલી જઈ આપેલા દુ:ખો, રોજ હસતા રહ્યા, હસતા હસતા જ, પાંપણોને ભીજવતા રહ્યા, માન્યું હતું, આપણે હવે મળશું નહિ ક્યારેય, આવતા એ વિચારે જ, નિસાસા ભરતા રહ્યા, જામી જતી હતી ધુળો, સમી-સાંજના સમણે, સપના પણ મુજના બધા, ખોટા ઠરતા રહ્યા, યાદોથી દુર તો, ક્યારેય કર્યા ન હતા હૃદયે, હાથોની લકીરો પર જ, ભરોષો કરતા રહ્યા, લઇ આવી જિંદગી, તુજ પાસ છેવટે મુજને, પણ રસ્તાઓ તો, ક્યાંક બીજે નીકળતા રહ્યા. નીશીત જોશી 13.09.14

गज़ब का दस्तूर है

2519740121_f892f3d8dd_z गज़ब का दस्तूर है, तेरे इस शहर का !! सभी के हाथो में है प्याला, पर ज़हर का !!!! भूल चुके फ़र्ज़, करने को किसी पे रहम का !! हैवानियत में रात गुजारी, ख्वाब अच्छे सहर का !!!! इत्तिफ़ाक़ तो है खुदा से, पर कोई खौफ नहीं !! खुद के लिए मुनाफ़ा, ख्वाइश दुसरो के तलफ का !!!! बैठे है खोल के दूकान खुदा के नाम की यहाँ !! परदे के पीछे काम वो सब करते है हवस का !!!! लगी है होड़ एक दूजे में आगे निकल जाने की, मक़सद सिर्फ रखा है अपने नाम के लक़ब का !!!! नीशीत जोशी (सहर= morning, तलफ= loss, लक़ब= honour) 08/09

રવિવાર, 7 સપ્ટેમ્બર, 2014

तू नाज़ां है खुदा का

रूख से, तूने जब परदा हटाया होगा, दिल, सब का जरूर डगमगाया होगा, हसीं चहेरा,नशीली आँखे,गोरा बदन, खुदा ने तुझे फुर्सत में बनाया होगा, गुलाबी गाल, ओठ लाल, क़यामत है, खुदा ने तुर्बत में फरीद सजाया होगा, शरमा गई होगी जन्नत की सब हूरें, छुपा है चाँद, किसीने आइना दिखाया होगा, तू नाज़ां है खुदा का, लोग सब बोल उठे, तेरा रानाई चहेरा, सामने जब आया होगा !!!! नीशीत जोशी (फरीद= unique, नाज़ां= proud , रानाई=lovliness, beauty) 07.09.14

वह आये बागो में

वह आये बागो में, रुख हवा का बदल गया, खिले थे फूल, मुरझाना उनका अटक गया, लहराया जो दुप्पटा,फ़ज़ा सारी महक गयी, मायूस बैठे वो दीवानो का चहेरा चमक गया, दिखायी होगी उनकी तस्वीर चाँद को किसीने, तभी चाँद आज फलक में ही कहीं भटक गया, बेजान पड़ी थी शहर की गलियाँ बगैर उनके, आते ही उनके, शहरे खामोशा भी चहक गया, सूखे पत्ते भी शजर के अब होने लगे है शब्ज़, चमन के दिल से उजड़ जाने का भरम गया !!!! नीशीत जोशी 03.09.14

થોડો કર્જ તો ઉતારી શકે છે

0 'માં' ના આંસૂ ની કિંમત કોઈ ચુકાવી શકે છે ? શું 'માં' ની હર ઈચ્છા કોઈ પૂરી કરાવી શકે છે ? જીરવી જાય છે હર ઘાવ બાળક ના પોતે જ, 'માં' ને જિંદગીભર શું તેઓ નિભાવી શકે છે ? પેટે પાટા બાંધી મોટો કરે છે 'માં' બાળક ને, એ બાળક મોટો થયે એક ટંક જમાડી શકે છે ? નાની બીમારી થયે પણ માને છે માનતાઓ , શું રિસાયેલી 'માં'ને એ સંતાન મનાવી શકે છે ? કોઈ તો કહો શું જરૂરત છે ઘરડાઘર ની અહીં, 'માં'ની સેવા કરી થોડો કર્જ તો ઉતારી શકે છે. નીશીત જોશી 01.09.14

રવિવાર, 31 ઑગસ્ટ, 2014

कतरो में जिंदगी को जीना मान लिया है

कतरो में जिंदगी को जीना मान लिया है, ग़म का समंदर पीना होगा जान लिया है, उल्फत की राहो में, निकले सोच समझ के, हो चाहे कांटो की राह, चलना ठान लिया है, तन्हाई में नहीं बहायेंगे अब आँखों से आब, बिना दिलबर, जिंदगी जीने का ज्ञान लिया है, गीला नहीं, शिकवा नहीं, चराग बुझ जाने का, जुगनू से रोशनी करने का हुनर जान लिया है, मुश्किल तो होगी पर साँसे लेते रहेंगे बाबस्ता, शहरे खामोशा ही होगा ठिकाना मान लिया है !!!! नीशीत जोशी 30.08.14

बस में नहीं था, इलाज बेवफाई का, तबीब के पास

नासूर घावों के खून से, खुद की दवाई करने लगे !! ना जाने क्यों, तबीब भी, मेरी ही बुराई करने लगे !!!! बस में नहीं था, इलाज बेवफाई का, तबीब के पास !! गहराई की, पैमाइश वास्ते, दिल खुदाई करने लगे !!!! इलाज था इस दर्द का, सिर्फ मेरे मुहिब्ब के पास!! नासमज तबीब, अपने हुन्नर की, नुमाई करने लगे !!!! होश में रहते हुए भी, बेहोशी का आलम छाया था !! तरस खा कर मुझ पे, हरकोई रहनुमाई करने लगे !!!! देख कर, खस्ता दिल को, आये चश्म-ऐ-तर सभी !! पी रहे थे तल्ख़ाबे ग़म, तब सब जुदाई करने लगे !!!! नीशीत जोशी (पैमाइश - measurement, survey,खस्ता - broken/sick/injured ,चश्म-ऐ-तर - wet eyes ,तल्ख़ाबे गम-प्रेम के दुख का पानी रूपी विष) 25.08.14

બનાવી તુજ બુત, નમી લઈશ હું

sculptris-greek-statue_reference ટુકડાઓ માં જિંદગી, જીવી લઈશ હું , મળેલું ઝેર જિંદગી નું, પી લઈશ હું, મળશે અજાણ્યા પથે, બહુ અજનબી, દુશ્મનો ને પણ સાથે, લઇ લઈશ હું, હૃદય છે કાંચનું, એ હતું જ તુટવાનુ, સ્મિતના થીગડેથી, સીવી લઈશ હું, કોશિશ છે, ઉર્મીને શબ્દો આપવાની, રુધિર-સ્યાહીથી, કલમ ભરી લઈશ હું, મીણ પણ બની ગયું છે, હવે પથ્થર, બનાવી તેનું તુજ બુત, નમી લઈશ હું. નીશીત જોશી 24.08.14

શનિવાર, 23 ઑગસ્ટ, 2014

नासाज़दार असर, अदाओं का हुआ होगा

फ़िज़ा पे असर, हवाओं का हुआ होगा, प्यार पे असर, अदाओं का हुआ होगा, नहीं होता कोई ऐसे, किसी का दीवाना, दिल पे असर, निगाहों का हुआ होगा, हो जाते है ख़ाक, वो परवाने जल कर, कुछ ऐसा हश्र, चरागों का हुआ होगा, आ गया है इंक़लाब, जंग-ए-इश्क़ में, तनिक असर, अफवाओं का हुआ होगा, खामोश हुए सितमगर, खुद के सितम से, नासाज़दार असर, अदाओं का हुआ होगा !!!! नीशीत जोशी (नासाज़दार= विपरीत) 21.08.14

રહશે એક જ તુજ યાદ

યાદ તો ઘણી આવશે તુજ ઝુલ્ફોની એ સાંજ, મળશે નહિ માથે જ્યારે તડકામાં કોઈ છાંવ, દેખાશે જ્યારે મઝધારમાં તડપતી કોઈ નાવ, બેઠેલા સાથે,યાદ કરશે સુની પડેલી એ પાળ, આવશે યાદ એ અગાસી અને એ દાદરા પણ, બેઠો હોઈશ એકાંતમાં 'ને પડશે કોઈનો સાદ, નીકળી જ પડશે એ સુકાયેલી આંખોથી આંસુ, યાદ કરી,તુજ ગળે કોઈ બીજાના નામનો હાર, શ્વાસ ચાલશે 'ને જીવવું પણ પડશે ત્યાં સુધી, સહારો બીજો નહિ પણ રહશે એક જ તુજ યાદ. નીશીત જોશી 19.08.14

उसने मरने ना दिया

bougie10 चैन से मुझ को कभी, अपना रहने ना दिया, मेरे थे वोह मगर, खुद अपना कहने ना दिया, आयी थी वो बहारे, ले कर दिलकश नज़राना, रोक कर उन हवाओ को, उसे बहने ना दिया, देने को रोशनी, रोशन हो रहा था एक चराग, खोल कर के खिड़कियाँ, उसे जलने ना दिया, रोती हुयी रातो को, दे दी थी मैंने थोड़ी हसीं, मालूफ़ के ख्वाबो को, मगर उसने सजने ना दिया, सोचा था, कतरो में जीने से अच्छा है, मर जाए, पी गया था मैं ज़हर, मगर उसने मरने ना दिया !!!! नीशीत जोशी (मालूफ़ = beloved ) 16.08.14

શનિવાર, 16 ઑગસ્ટ, 2014

બનવું પડશે દુર્ગા

nirbhaya-rape કેવો તે હળાહળ કળયુગનો બિહામણો કાળ છે? રોજનો બાળકીઓ પર ગુજરતો અત્યાચાર છે, એક "નિર્ભયા" ફક્ત નથી રહેતી રાજધાનીમાં, ગામડાઓમાં પણ આવી અબળાઓ અપાર છે, થાય છે નારી નું સન્માન ફક્ત હવે શબ્દો માં, અહી તો દ્રોપદીનાં ચીરો રોજબરોજ હણાય છે, નીતનવી રોજ બનાવી વાર્તા એ અબળાઓની, ટેલીવિઝનની ચેનલો નાણાં કમાતી જણાય છે, સુરક્ષા માગે કોની પાસે,બન્યા છે રક્ષક જ ભક્ષક, છતાં ન માનજો ક્યારેય બાળકીનો જન્મ શ્રાપ છે, કરે તો કરે કોના પર વિશ્વાસ બિચારી અબળાઓ, આ જમાનામાં સગો બાપ પણ નરાધમ જણાય છે, ઉઠવું પડશે હવે પોતે જ પોતાની એ સુરક્ષા કાજે, બનવું પડશે દુર્ગા, ત્યારે જ મહિસાસુરનો સંહાર છે. નીશીત જોશી 14.08.14

कलम के पहले मेरे वो अश्क़ सरक पड़े

Pietro Rotari-Young Girl Writing a Love Letter,1755 ओस के बूंदो की जब जब चमक पड़े ! प्यार की जहन में तब तब कसक पड़े !! आसमाँ में जब छाये हो बर्षा के बादल ! बारिस के पहले तेरी अक्स ज़लक पड़े !! कागज़ पर कुछ लिखने बैठे जब हम ! कलम के पहले मेरे वो अश्क़ सरक पड़े !! काबू में ना रहा दिल तेरा नाम सुन के ! जज्बात तो दूर ये अल्फाज बहक पड़े !! दूर रहना तुझसे इतना तो मुहाल हुआ ! तसव्वुर में तुझे देख ये दिल धड़क पड़े !! नीशीत जोशी 12.08.14

શનિવાર, 9 ઑગસ્ટ, 2014

मेरे महबूब को खबर देना

fantasygir_S3yPZ3OW बनके क़ासिद, मेरे महबूब को खबर देना, खुश हूँ मैं, मगर मेरे क़फ़स पे नजर देना, निकाल पाओ तो, निकाल के नजात दिलाना, वरना, मुझे जिंदगी का आखरी सफर देना, भटक गए हैं राह से, बिना हमराही के हम, तेरी ही, उम्मीदों के, आशियाने में बसर देना, खामोश रह के, बेपायां प्यार करते रहे हम, समजा सके वही, वो खामोशी को असर देना, दम घूँटता है, अब अकेले, तेरे इन्तजार में, इजाबत करके, मिलन का एक पहर देना !!!! नीशीत जोशी (इजाबत= reply) 07.08.14

દિવસો હવે જુદાઈમાં જાય છે

vintage_books_old_flowers_roses_candles_candle_holders_letters_cards_paper_table_74949_2560x1440 દિવસો હવે જુદાઈમાં જાય છે, 'ને દરિયો આંખોથી છલકાય છે, હૃદય પણ જો થયું છે બેબાકળું, મિલનની આશ ક્યાં છુપાય છે, નદીની પાળો પણ થઇ છે સુની, લહેરો યાદોના હિલોળા ખાય છે, બગીચા ના બાંકડા જુએ છે રાહ, એ ફૂલો પણ ત્યાં હવે કરમાય છે, સાચવેલા પત્રો આવ્યા છે ફાટવા, એ કલમ પણ વિરહ ગીતો ગાય છે. નીશીત જોશી 05.08.14

HAPPY FRIENDSHIP DAY

FRIENDSHIP DAY 2014

अब भी है

tumblr_m3dyrbWhiA1qe49wpo1_500 तेरी ग़ज़ल का, दिल में, सुरूर अब भी है, तेरी चाहत में,हुआ था मशहूर,अब भी है, याद आती है हमे, रह रह कर, सभी बातें, साथ बिताये, लम्हों का ग़ुरूर, अब भी है, चुप रह कर, जो करते थे, हम गुफ्तगू, हम, खामोश इश्क़ से, मसरूर अब भी है, जुबाँ खामोश हैं, मगर, आँखे अब बोलेगी, समंदर बहाने का,उसका फुतूर, अब भी है, तेरी तौक़ीर-ए-मुहब्बत, दिल में, अब भी है, तुम, अब भी हो मेरे, मुझे ये ग़ुरूर अब भी है !!!! नीशीत जोशी (फुतूर= weakness, मसरूर=happy, तौक़ीर= respect ) 02.08.14

શનિવાર, 2 ઑગસ્ટ, 2014

બધું અહીં જ રહી જશે

vesak0404 દેખાય છે જે સુરજ,સાંજ પડ્યે ઢળી જશે, લીલું છે જે ઝાડ,સમય આવ્યે મરી જશે, દેખાતું ભલે હોય આજ, કાલે તે નહીં રહે, પંચતત્વનું આ પુતળું માટીમાં ભળી જશે, મારા તારા ની હૈયા હોળીમાં કાઢ્યું જીવન, કંઈ નહીં જાય સાથ બધું અહીં જ રહી જશે, પોતાના પણ જટ કાઢવા લાશ રહેશે તત્પર, આવીઆવીને બધા બે-ચાર દિવસ રડી જશે, સાચું છે જગ માં બસ એક જ ઈશ્વર નામ, લીધું હશે એ નામ તો જીવતર તરી જશે. નીશીત જોશી 30.07.14

हवा से ही ये जज्बा पाया है

large_romantic_girl_10323 अभी अभी, हवा का एक झोका, आया है, बनकर वो क़ासिद, तेरी ही खबर लाया है !! न रोकना उसे, दिवार-ए-दरमियाँ बनकर, भरम तोड़ो, वो हवा नहीं, उसीका साया है !! आयी होगी छू के, ये पुरवैया उनको शायद, इन वादीओ में, खुश्बू का माहौल छाया है !! न करना अब, दिल तोड़नेवाली कोई बाते, उन फूलो से ही, हमने हर झख्म खाया है !! कर देगी वो आकर, मेरी जिंदगी खुशहाल, रूबरू ना सही, हवा से ही ये जज्बा पाया है !! नीशीत जोशी 27.07.14

રવિવાર, 27 જુલાઈ, 2014

તુજને જ શોધું છું

article-2239040-163AD58D000005DC-869_634x389 ભાંગી પડું છું જ્યારે હું, તુજને જ શોધું છું, આવતા હર શ્વાસે નામ તુજનું જ બોલું છું, ભટકાવી ભટકાવી મુજને કરી દીધો રીઢો, વણજારા માફક રોજ નવો રસ્તો ખોલું છું, રુધિર પગલે ચાલતા,જોઈ કદમ ની છાપો, સંતાળવા તુજથી હું રાતોળું પાણી ઢોળું છું, સહેલું છે કહેવું કે પ્રેમ કરો અને જીવો પ્રેમે, એ વિચારી હું,નફરતને લાગણીએ તોલું છું, સથવારો છે તુજ સંગ છેલ્લા શ્વાસ સુધીનો, ન પૂછજે હવે કેમ તુજ નામ મુજથી જોડું છું ? નીશીત જોશી 26.07.14

देखकर हश्र मुहिब्ब का, यहाँ लौटता कौन है ?

1681334-bigthumbnail बिन बादल, बारिश में भीगता कौन है ? हो आँखों में अश्क़, पर बोलता कौन है ? मौत ही है, आखरी मंझिल जिंदगी कि, जानते है सब, मगर यह सोचता कौन है ? बिन तक़वा के, तक़सीर किये जाते है लोग, अपनी रूह के भीतर, झाँकता कौन है ? रहा नहीं भरोषा, अपनों पर भी किसीको, राज़-ओ-नियाज़ में, राज़ खोलता कौन है ? तोड़ कर दिल, चले जाते है महफ़िल से, देखकर हश्र मुहिब्ब का, यहाँ लौटता कौन है ? नीशीत जोशी (तक़वा =fear of god, तक़सीर =sin) 22.07.14

રવિવાર, 20 જુલાઈ, 2014

Love to Mriganka Bhattachaarjya

mrigaaNko "मृगांको" आज बांगुर की जनता तेरी दिवानी है, हर चहरे की हँसी में आज तेरे काम को सलामी है, सेवा हो बाढ़ में या बि.सि.राय की तबीबी इमदाद, हर किसीके काम में दस्तगीर होना तेरी कहानी है, जो था बांगुर, उसे क्यासे क्या बना के दिखा दिया, आज नयनझली,रूपसीबाँग्ला हर एक की जुबानी है, रोकने प्रदुषण,बंध करवाया इस्तमाल प्लास्टिक का, रुक गया पानी भरना,अब बांगुर की जिंदगी सुहानी है, कुछ करने की चाहत हो,क्या नहीं किया जा सकता, बात यही तूने हर किसीको करके काम दिखायी है, गर्व है आज हमें तुम्हारे हमारे "अतीन राय" पर भी, चल के तेरे नक़्शेक़दम पे उसने हर परंपरा निभायी है, बढ़ते रहे तेरे क़दम और कठिन मंझिल भी पार करे, हर कामयाबी चूमे रास्ता तेरा,यही दुआ हमारी है !!!! नीशीत जोशी (इमदाद=helpदस्तगीर=helper) 20.07.14

કંઈ નહિ યાદોમાં તો તેને પામ્યા અમે

3 નજીક લઇ જિંદગી જ્યારે ચાલ્યા અમે, અરીસા ને પણ અજાણ્યા લાગ્યા અમે, સારાનરસાનાં ભેદેભાવે ઉજાડી વસ્તી, મજબૂરી માં સૌને મળવા જાગ્યા અમે, લાગી તો હતી આગ બન્ને બાજુએ મિત્રો, થવા કાળ હતું, એકલા જ દાઝ્યા અમે, વાંચી ન શક્યા હથેળીની લકીરો બધી, એટલે જ તેને નસીબમાં ભાખ્યાં અમે, શાને કરીએ અફસોસ હવે જિંદગી માં, કંઈ નહિ યાદોમાં તો તેને પામ્યા અમે. નીશીત જોશી 18.07.14

નથી આવ્યા તેઓ

2 સમય થયો હૃદય રડાવવા નથી આવ્યા તેઓ, કોઈ જુના વાવડ જણાવવા નથી આવ્યા તેઓ, નભ પણ લાગે છે આજ ઉજ્જડ વીરાન ને ખાલી, તારલાઓથી ઘર સજાવવા નથી આવ્યા તેઓ, એ રાત, હવે તુ જ જઈને લઇ લેજે ખબર તેમની, વીત્યા છે વર્ષો, દિલ દુખાડવા નથી આવ્યા તેઓ, પ્રસ્થાન કાજ ક્યારની તૈયાર છે મુજ એ મૃત સૈયા, બનીને રૂદાલી લાશ ઉપાડવા નથી આવ્યા તેઓ, દિલને કહી દો બની જાય એ પથ્થર તેમની માફક, ખોટખોટા પણ આંસુ વહાવવા નથી આવ્યા તેઓ. નીશીત જોશી 16.07.14

बारिश की भीगी रातो में

10456817_553774058066723_129945020937037674_n बारिश की भीगी रातो में जब अश्क आँखों से बहते हैं, एक तेरा तसव्वुर होता है और हम रातो को जगते हैं ! होती नहीं नींद आँखों में, बिस्तर भी काटने दौड़ता है, चक्कर काटें कमरों में, या करवटे बदला करते हैं ! याद आती है वस्ल की बाते, रूह भी कांपने लगती है, सहलाते हुए दिए घावों को, हम हर उस दर्द को सहते हैं ! छा जाती है फ़सुर्दगी दिल में, हर उम्मीद छूट जाती है, आती हुयी मौसम-ए-गुल को, पतझड़ मान के चलते हैं ! नशेब-ए-फराझ तेरे इश्क़ में यहाँ बहुत हमने देखे है, बर्फीली ठण्ड रातो को भी हम आफ़ताबी गर्मी कहते हैं ! नीशीत जोशी