બુધવાર, 21 ઑક્ટોબર, 2015

क्यों दिल में परेशानी है

Sistine-Chapel-Art-for-God-1 न जाने आज क्यों दिल में परेशानी है, मिला है सब तिरी ही तो महेरबानी है , मिली होती नज़र गरचे महोब्बत होती, जमाने को बताकर क्यों पशेमानी है, फ़िदा होना तिरे ही प्यार में ओ जानम, मिरे वास्ते सिर्फ तू ही तो जावेदानी है, न कोई साथ है कोई न देनेवाला है, यही सब से बड़ी बातों में गिराँजानी है, परेशाँ अब नहीं होना मुझे आसानी से, जिगर में हौसले की अब बड़ी फरवानी है !! नीशीत जोशी (पशेमानी= shame,जावेदानी= eternal,गिराँजानी= unhappiness,फरवानी= plentifulness, abundance) 15.10.15

नहीं होना, तन्हा मशहूर मुझ को

419681_337865599580594_771971226_n जहां से क्यों रखे हो, दूर मुझ को, नहीं होना, तन्हा मशहूर मुझ को, बयाँ कैसे करें, तेरा फ़साना, जबाँ होती लगे, रंजूर मुझ को, दिखाई दे गर तूफां, सामने भी, खुदा पे है भरोषा, भरपूर मुझ को, बचाले या मुझे मारे, खुदा जाने, तिरा हर फैसला, मंजूर मुझ को, तिरा ममनून हूँ, नेमत तिरा है, न करना तू कभी मगरूर मुझ को !! नीशीत जोशी

પડીને પ્રેમમાં

21 પડીને પ્રેમમાં આપણે આબાદ થઇ જઈએ, નજરમાં દુનિયાની છો બરબાદ થઇ જાઈએ, ન તૂટે એવા એકમેક સાથે કરાર તો કરીએ, ઈતિહાસને પાને એવા અપવાદ થઇ જઈએ, અહી ઈર્ષામાં ઘણુએ લોકોને કહેતા સાંભળ્યા, છતાં લાગણીનો સાચો આસ્વાદ થઇ જઈએ, હશે સચ્ચાઈ નો રણકો દાબી કોઈ શકશે નહિ, મંદિરના પવિત્ર ઘંટનો ઉંચો નાદ થઇ જઈએ, ન થાય કદી આંસુની ખારાશ ઓછી વહેવાથી, છતાં સ્નેહસભર વાતોનો ઉન્માદ થઇ જઈએ, ન ભૂલાય એવો પ્રેમ પરસ્પર પાંગરવા દ્યોને, હૃદયમાં નામ ચીતરી મીઠી યાદ થઇ જઈએ, ગજબ કુદરત કરે, થાય વિરહ પ્રેમમાં આપણો, કરાવે મેળાપ એવી આપણે ફરિયાદ થઇ જઈએ. નીશીત જોશી 13.10.15

क्यों दिल से लगा रक्खा है

1173_c839dbc2700bfc40c910a223ec4bacc6 रात की बात को क्यों दिल से लगा रक्खा है, सो गया है चाँद मगर दिया जला रक्खा है, जो करो आज हि कर के उसे पुरा करना, आज की बात को क्यों कल पे उठा रक्खा है, हाथ उठेगा दुआ के लिए असर हो जाएगा, बूतखाना न जाने क्यों फिजूल बना रक्खा है, आ सकते नही यह मजबूरी ही तो है शायद, सामने खुद के क्यों मेरा अक्स सजा रक्खा है, खोखली है मुहब्बत खोखला प्यार जताना, खाँमखा मेरे दिल को तूने ग़म पिला रक्खा है !! नीशीत जोशी 11.10.15

दर्द को लिखते लिखते

sad दर्द को लिखते लिखते उंगलीयां जल गयी, रश्मो की रवायत में चिठ्ठीयां जल गयी, गर्मी में पसीने बहे, बारिश ने भिगो डाला, शर्द हवाओं के मौसम में शर्दीयां जल गयी, बंध कमरे में बैठ के, खयालो में खोते रहे, अकेली रात देख कर, तन्हाईयां जल गयी, उज़डे दिलों का हाल, हो गया बेहाल ऐैसा, देख के लपटें आग की, बस्तीयां जल गयी, उठा था लावा अंदर, बाहर था तूफान बहुत, उन बादलों के हालात से, बिजलीयां जल गयी ! नीशीत जोशी 08.10.15

આપેલા ઝખ્મો ગણી લઈએ

12003923_1499517063700648_5619434417207263790_n ચાલ ને મન સવાલોના જવાબ લઈ લઈએ, વેડફાયેલી લાગણીઓના ખિસ્સાં ભરી લઈએ, ખાતરી ન્હોતી તેઓ પીઠ પાછળથી વાર કરશે, આદતથી લાચાર છે માની એમને સહી લઈએ, એમની ખુશી માટે મોતને પણ આવકાર્યું હર્ષથી, ડૂબકાં ખાઈને આખરે, દરિયો દુઃખનો તરી લઈએ, એમના આવવાની આશા મનમાંથી ભુંસાઈ નથી, હાલ આવી કહેશે ચાલ એજ જૂની રમત રમી લઈએ, બસ થયું ભૈ-સાબ એક કોરે મુકો મહોબતની વાતો, ક્યાંક બેસી એકબીજાને આપેલા ઝખ્મો ગણી લઈએ . નીશીત જોશી 06.10.15

ऐसे तो बाहों में थी मेरी

कहने को तुम मेरे प्यार को सजाये हुए हो, मुझ से रूठ कर मेरे दिल को जलाये हुए हो, तुम भी किसी रोज ऐसे तो बाहों में थी मेरी, फिर आज क्यों इतनी दूरी बनाये हुए हो? गुमशुदा हो गया हूँ तेरी याद में ओ दिलबर, तुम आज क्यों तसव्वुर में घबराये हुए हो ? मयखाने आते है सब अपना ग़म भूलने को, मगर मेरा हाल है मुझे तुम ही भुलाये हुए हो, क्या था मैं और क्या हो गया इस मुहब्बत में, कहने लगे है लोग तुम किसी के सताये हुए हो !! नीशीत जोशी 04.10.15

શુક્રવાર, 2 ઑક્ટોબર, 2015

कहने को बहुत है मगर

big_thumb_35e3e1aceaf5f83c12f1a9a6ab8b19e2 कहने को बहुत है मगर कुछ कह नहीं सकते, सहने को सह लिए बहुत अब सह नहीं सकते, मिल जाओ तुम अब सुनी वो सड़क पे कहीं, हम तेरे इन्तजार में अब रह नहीं सकते, रोया क्यों करें रात भर हम याद में तेरी, हम आँखों के सैलाब में अब बह नहीं सकते, जलने दो बस्तियां, धुंआ उठने कि देर है, दिल में राख लेकर अभी हम रह नहीं सकते, अपना वो फ़साना हमे भाता नहीं अब तो, दिल का वो तड़पना मगर हम कह नहीं सकते !! नीशीत जोशी 01.10.15

ग़ज़ल का कोना लिखना

bdcdd-stevens_linda_journalist लिखो मुझ पे सुखन तो मेरा रोना लिखना, देखके अक्स तेरे खयालो में खोना लिखना, कफ़न ओढ़ कर हम हो गए है दफ़न जहां, तेरी ही याद के पीछे वहीँ मेरा सोना लिखना, ज़ब्त में रखते है अक्सर जज्बात दिल के, ज़ख्म सहती इस जिंदगी का ढोना लिखना, समंदर में तुण्ड लहरें उछलती है जिस तरह, उसी तरह जिंदगी के हालात का होना लिखना, कर के जिक्र मेरी मोहब्बत का किसी शे'र में, मेरे ही नाम का उस ग़ज़ल का कोना लिखना !! नीशीत जोशी 28.09.15

याद आएगी

Aaj Achanak_Teri Yaad Ne_Mujhe Rula Diya_._Kya Karu_tumne Jo Mujhe_Bhula Diya_._Na Karti Wafa_Na Milti Ye_Saza_._Shayad Meri Wafao Ne hi_tujhe Bewafa_Bana Diya..!! पहले शे'र में, पहली लाइन (मिस्रा-ए-ऊला) जाने माने गज़लकार जनाब बशर नवाज़ जी की कही हुई है ! करोगे याद तो हर बात याद आएगी, हमारे साथ की हर रात याद आएगी, गुजारे वक्त का कोई हिसाब तो होगा, मिठे लम्हों की सौगात याद आएगी, खिलाडी हो बखूबी खेल का मज़ा लेना, पुराने खेल की हर मात याद आएगी, सफर जो भी रहा मुश्किल करे भी क्या? पडी जो वक्त में वो हर घात याद आएगी, बहारें लौट आने का सबब करे कोई, तभी पतझड़ को भी औकात याद आएगी !! नीशीत जोशी 25.09.15

चाहते है

11755197_10205893357606503_3585889793856076850_n तेरे ही सहारे कुछ करना चाहते है, बाहों में तुझे ही हम रखना चाहते है, कर देना हमे बेहोश पिला के काबा, आँखों की मस्ती में हम मरना चाहते है, छूपाया कभी शायद आये सामने भी, तूने जो लिखे थे खत पढ़ना चाहते है, यादो के हुजूमो में खो जाएंगे हम, तेरे ही तसव्वुर में रहना चाहते है, प्यासा रख दिया है हम आदी है उसीके, समंदर को तिश्ना में अब रखना चाहते है, कोई इक सबा तो हो जो चाहे हमें भी, तेरी ही बहारो में खिलना चाहते है !! नीशीत जोशी 22.09.15