શનિવાર, 25 જૂન, 2016

सभी दोष उसकी जवानी में था !

122 122 122 12 कभी फूल अपनी रवानी में था, चमन जब मेरी बागबानी में था ! परिंदें कफस तोड कर उड गये, भरोसा उन्हें जाँफिशानी में था ! कहा था मगर वो सुने तो सही, मेरा वाकिया भी कहानी में था ! करेंगे मुहब्बत कहा था कभी, मेरा दिल उसी की निशानी में था ! असर भी हुआ था उसे प्यार का, सभी दोष उसकी जवानी में था ! नीशीत जोशी (जाँफिशानी = extreme effort)

કાઢશો શીશા એ દિલનો, વારો હવે ?

કેમ કહવો, ઝખ્મને સારો હવે, બે કદમ તું આપ, સથવારો હવે, વીજ ઝબકે, તો સારા શુકન છે, જામશે સાચે જ, વરસારો હવે, જે અબુધ થઈને જ, હંકારે હોડી, તેમની ડુબાડે નાવ, કિનારો હવે, એમ લાગ્યું હજુ, ક્યાં ભૂલ્યા છે ? એકધારું પ્રેમથી, પુકારો હવે, જેમ તોડયો કાંચ, એવું થાય નહિ, કે, કાઢશો શીશા એ દિલનો, વારો હવે ? નીશીત જોશી

कीमतें जो है वफा की

तिश्नगी वो है जिसे शबनम बुझा सकती नहीं, है मुहब्बत वो जिसे नफरत मिटा सकती नहीं ! आसमाँ में चाँद तारे आ गये फिर देखलो, रात काली भी कभी तन्हा सुला सकती नहीं ! तोडने को फिर उदासी, रात कोई आ गई, ख्वाब भी पज़्मुर्दगी को अब हटा सकती नहीं ! पी लिये है जाम तेरे बैठकर आग़ोश में, वो जिगर की प्यास फिर भी तू बुझा सकती नहीं ! बेवफाई की कभी होती नहीं कीमत कहीं, कीमतें जो है वफा की वो गिरा सकती नहीं ! नीशीत जोशी (पज़्मुर्दगी= sadness)

अकेले कदम ही, बढाना पडेगा

जमाना कहेगा, बचाना पडेगा। दरिन्दों तुम्हे अब, डराना पडेगा। बहा के तुझे, ले चला हूं कहाँ पर, नदी को, समंदर दिखाना पडेगा। उतारा गया बाम पे, चाँद को भी, कि पहरा वहाँ भी, लगाना पडेगा। दिखाया न रास्ता, कभी भी किसीने, अकेले कदम ही, बढाना पडेगा। मिले गर बुलंदी, न भूलों मुहब्बत, फसाना हमें ही, सुनाना पडेगा। नीशीत जोशी

तेरा भी है मेरा भी

2112 2212 2122 राग पुराना तेरा भी है मेरा भी, प्यार बचाना तेरा भी है मेरा भी, दो गज़ की पाने जमी नींद खोई, ये अफसाना तेरा भी है मेरा भी, रोशन कर देना जला के ख्वाब सारे, हाल बताना तेरा भी है मेरा भी, फूल खिला के नदारद है हवा भी, बंध फसाना तेरा भी है मेरा भी, अब तुमसे क्या कहें ग़म के लिये हम, साथ खजाना तेरा भी है मेरा भी ! नीशीत जोशी

तू तो मेरा ही दिलदार है

तीरगी है और, मेरा ये सफर पुरखार है, जिंदगी तू है मगर, जीना मेरा बेकार है, आ गये है आजमाने, आजमा लेना जरूर, बेवफाई कर नहीं सकते, हम इज्जतदार है, क्या गया तेरा, बहें आंसू तुम्हारे गर यहाँ, बेफिक्र रह, हादसा होना यहाँ हरबार है, लामुहाला, दर्द को, अपना बना लेंगे सदा, जान लेना, आसमाँ में भी, तबीब का दरबार है, आखरी है वक्त मेरा, आँख नम कर लो जरा, कह रहे थे लोग, के तू तो मेरा ही दिलदार है ! नीशीत जोशी

શનિવાર, 4 જૂન, 2016

चूम लूँगा

तेरे हाथो को चूम लूँगा, तेरी आँखों को चूम लूँगा, करूँगा इजहारे इश्क़ मैं, तेरे होठों को चूम लूँगा, फिर खामोशी होगी वहाँ पे, तेरे बालों को चूम लूँगा, करेंगे बातें प्यार की भी, तेरे लफ्जों को चूम लूँगा, तेरी रातों का होके महेंमाँ, तेरे ख्वाबों को चूम लूँगा ! नीशीत जोशी 02.06.16

बन गया

डूब कर वो इश्क में, कैसा सिकन्दर बन गया, आईने के सामने आते ही, पत्थर बन गया ! आ गये वो, दास्ताँ मुझको सुनाने, प्यार की, बात तो ये है, तसव्वुर भी, मुकद्दर बन गया ! ख्वाब तो लेते रहे अंगडाईयाँ, शब भर, यहाँ, और हमारी रात, बिस्तर भी, सितमगर बन गया ! हद नचाता है 'मदारी', जो समझ आता नहीं, फिर बुतों से क्यों सजा, मंदिर भी, दर दर बन गया ! अब रहूँगा मैं, तेरी आग़ोश में हरदम, यहाँ, पा लिया मैने तुझे, तू आज, रहबर बन गया ! नीशीत जोशी 31.05.16

तो कोई बात बने

आब में आग लगाओ, तो कोई बात बने, दीप से दीप जलाओ, तो कोई बात बने ! राज़ को खोल, न फरमाओ कोई इश्क यहाँ, सिर्फ तुम प्यार जताओ, तो कोई बात बने ! अब मेरी हालत पर, देना कोई ध्यान जरा, शाम होते जाम, पिलाओ तो कोई बात बने ! ढूँढ लेना एक कोना, बच जाना फिर तुम, रूबरू जुर्म मिटाओ, तो कोई बात बने ! प्यार भूले, दरिया भी, फिर भूले सफिना, जिंदगी याद दिलाओ, तो कोई बात बने ! नीशीत जोशी 27.05.16