શનિવાર, 26 નવેમ્બર, 2011

દિકરીની વિદાય


પારકા ઘરની બનશે લાજ એ,
થશે દિકરીની વિદાય આજ એ,

ધન એ પારકુ,જતન કરી રાખ્યુ,
સોપવુ પડે શોધી જેનુ છે સાજ એ,

આપ્યા સંસ્કાર કેળવણી મુજ રીતે,
હવે પ્રમાણ આપશે કરીને કાજ એ,

કાળજાનો કટકો મુજ વહાલસોયો,
બનશે પોતાના પીયુનો સરતાજ એ,

સાચવેલી બાગના બાગવાન માફક,
સાંચવશે પોતાના બાગને આજ એ,

ખુશી કહુ પરંતુ અશ્રુ આપે છે પ્રમાણ,
પસાર થાય છે પ્રસંગેથી સમાજ એ,

નરમ હતો વધારે નરમ બન્યો આજ,
વહેતા આંસુનો છે આજે તો રાજ એ.

નીશીત જોશી 25.11.11

कौन कहता है


कौन कहता है हजारो चांद की ख्वाईश करो,
वो बनके आये चांद वही एक फरमाईश करो,

सीतारे तो बहोत है चांद मगर एक आसमांमे,
चांदनीसे कहो अब चांदकी न अजमाईश करो,

राहबर बनके मुश्कील राहमें भी साथ देते रहे,
फुलोको देख दर्द को अठारा से न बाईश करो,

माझी बनके कस्तीको ले आये किनारे पर अब,
मजधारमें डुब जानेकी न अब दिलेख्वाईश करो,

अपना कहा है,अपना भी लिया है,अपना बना के,
अब बार बार कहके महोब्बतकी न नुमाईश करो ।

नीशीत जोशी 24.11.11

मजबुरी कहती है

करवट बदल बदल कर काट रहे है रात वोह,
सपनो में आ के जगा के कर रहे है बात वोह,

कितना समजाया रुबरु आने की गुजारीशसे,
बहाना बनाकर दिखा देते है ये कायनात वोह,

प्यार का यह खेल बखुबीसे खेलना जानते है,
हर हारी बाझी जीत कर देते है मुजे मात वोह,

चीराग बुजाये नही महेफिल बतौर चलती रही,
परवानेको जला दिखाके जताते है जज्बात वोह,

आयना दिखाया,समजाया दिखाके खुद चहरेको,
मजबुरी कहती है अब करेंगे कब्रमें मुलाकात वोह ।

नीशीत जोशी 22.11.11

“देखते रह गये हैरत से जमाने वाले“

चांद की आहोंशमें रहे सीतारे सजाने वाले,
खुद रुठते रहे इश्कमें सबको मनाने वाले,

नफरत से भरी दुनीया होती बीना प्यारके,
शुक्रिया महोब्बतकी पगदंडीया बनाने वाले,

सीतमगर की फितरत है सीतमको फैलाना,
प्यार से मात खाते है वोह सब सताने वाले,

कदम हमने उठाया महोब्बतमें उसे देखकर,
तीलमीला उठे इश्कको दलदल बताने वाले,

पा लिया जब प्यार हमने इस कदर जहांमे,
दोनोको देखते रह गये हैरत से जमाने वाले ।

नीशीत जोशी 21.11.11

સંભાળીને ચાલો


આવી રહી છે યાદ તેની, ધબકાર જરા સંભાળીને ચાલો,
વીનવતા થાય મુશ્કેલ સ્વાસો જરા ધીમે નીકાળીને ચાલો,

હ્રદયની ધડકને ફુલો સમી મુરત વસેલી હજી સુધી અહીં,
આવતા એ રાહમાં કાંટાળા પથને અરીસો દેખાડીને ચાલો,

ન કોઇ સબંધ રહ્યો, ન રહ્યો હવે તો કોઇ મુલાકાતનો દૌર,
સમજાવે કોણ દિલને, નામ સાંભળી હવે ન ઉછળીને ચાલો,

દરીયો કોઇ ખોદકામ કરવાથી નહી બની શકે ઉંડો ક્યારેય,
વિરહ વેદનામાં એ ખારા પ્રવાહને તળીયે ડુબાળીને ચાલો,

ચાંદ ભલે ન કરે સીતારાઓ ની પરવાહ નીકળીને આભમાં,
અમાવસ્યાની રાતના સીતારાઓ ની ચમક નીહાળીને ચાલો.

નીશીત જોશી 19.11.11

રમી લઇશું હર બાજી તુજ સંગ


પ્રેમરમતના માહીર છો શીખડાવતા થઇ જાવ,
અનુભવી છો આ રમતના રમાડતા થઇ જાવ,

ભુલ નહી કરતા કોઇ પણ ચાલ ખોટી ચાલીને,
અજાણ્યો રમતનો મુજને સમજાવતા થઇ જાવ,

પાસા કોઇ જો પડી પણ જાય ખોટા કોઇક ભુલે,
અવળા પાસા સવળા કરી ચલાવતા થઇ જાવ,

બાળક જ્યારે પડે ત્યારે જ એ શીખે છે ચાલતા,
ઉભો કરી મુજને પાછા પથ સુજાડતા થઇ જાવ,

રમી લઇશું હર બાજી તુજ સંગ,પણ એક શરતે,
જીત્યેથી તુજને મળુ,હાર્યે દિલે વસાવતા થઇ જાવ.

નીશીત જોશી 18.11.11

ગુરુવાર, 17 નવેમ્બર, 2011

तुम मेरी ही हो


उस दिन तुम सहमी सहमी,
शरमाती, छुईमुई सी,
गभराती, डरी डरी सी,
फिरभी,
मनमें नव आनंद लिये,
मीलनका नव उन्माद लिये,
बैठी थी नयी दुल्हन बनकर,
मनमें अजीब ईन्तजार ले कर,
आज भी लगती हो मुजे वैसी ही,
चाहे बरसो बीते, उम्र बीती,
पदवी बदली,
लेकीन हो उस दिन जैसी ही,
मेरे लिये तो आज भी तुम वही हो,
जैसी थी वैसी ही हो, तुम मेरी ही हो ।
नीशीत जोशी 17.11.11

बदलते मौसमका जीक्र


मौसम आती जाती रहेगी,
दिलको युं बहेलाती रहेगी,

ना करना सीकवा किसीसे,
जीन्दगी कुछ सीखाती रहेगी,

कली भी खील जायेगी अब,
ओशके बुंदोमे नहाती रहेगी,

युं तो चुपचाप गुजरे मौसम,
दिलमें आवाज मचाती रहेगी,

सर्द हवा भी गर्म हो जायेगी,
जब रुहसे रुह मीलाती रहेगी,

बदलते मौसमका जीक्र कर,
मौसम खुद समजाती रहेगी |

नीशीत जोशी 16.11.11

मौसम


कब जायेगा ईन्तजार करनेका मौसम,
कब आयेगा तेरेमेरे मीलनेका मौसम,

सुक गये हर शाक से आश के फुलभी,
आनेसे तेरे,आयेगा खीलनेका मौसम,

अब हवा ने कर लिया है तुफानी रुख,
करीब ही है झलझला आनेका मौसम,

सैलाब से डुब जायेंगे ये शहर ये गांव,
आयेगा वो हैवानी कयामतका मौसम,

पहाड सा कठीन समय,दरीया सा दर्द,
पल भी मुश्कीलसे गुजारनेका मौसम,

दौडा भागीके कालमें प्रेम है एक खेल,
कब आयेगा खुदा,प्रेम करनेका मौसम,

जीन्दा है अभी कुछ दिवानगीका मौसम,
ठहर जाओ अभी नही है जानेकी मौसम ।

नीशीत जोशी 14.11.11

आखरी सांस पे


दाग अगर लगे हो धोना पडता है,
प्यार करनेवालोको रोना पडता है,

हर गलीमें टहलना मुनासीब नही,
जहां छोडा वही खडा होना पडता है,

इज्जत चाहीये तो पहेले देना शीखे,
वरना कमाया नाम खोना पडता है,

बबुल के गाछ में आम नही फलते,
मीठे फलके बीजको बोना पडता है,

जीन्दगी की डगर हो चाहे बोझील,
खुश रहके जीवनको ढोना पडता है,

चाहे दौडलो जीवनभर तुम नीशीत,
आखरी सांस पे तो सोना पडता है ।

नीशीत जोशी 13.11.11

રવિવાર, 13 નવેમ્બર, 2011

प्यार कर गये


कौन कहता है की हम डर गये,
हम तुम्हारी खातीर ठहर गये,

तन्हाई जुदाई वो अपनी जगह,
हम तुम्हारी यादोमें बसर गये,

हवा चली तुफानो सी शहर मे,
अफवां फैलायी हम गुजर गये,

किसी कब्रके तो काम आये वो,
फुल रखे मानके हम मर गये,

न सोचा महोब्बत करोगे ऐसे,
बीना सीकन के प्यार कर गये ।

नीशीत जोशी 12.11.11

तस्सवुर की जो रंगत होते

तेरे तस्सवुर की जो रंगत होते,
तो हम बादशा-ए- जन्नत होते,

वो फरिस्तेभी साथ रहते हरदम,
खुद खुदा भी हमारी संगत होते,

आठो पहर करते रहते पहरेदारी,
तकदीर बनानेवालेभी अंगत होते,

बागके कुचे से महक उठती रहती,
वो हर फुल आपकी खीदमत होते,

ये जीन्दगी फिर मील जाती दुबारा,
वो सांस दुसरी सांसकी मन्नत होते,

गर रहेमत करता मेरा नबी मुजपे,
हर ख्वाबमे बसना मेरी हसरत होते ।

नीशीत जोशी 11.11.11

કોઇ આપો


કોઇ કલમ આપો મુજને કાગળ લખવો છે,
કોઇ મલમ આપો મુજને ઝખમ ભરવો છે,

નથી આવતા હવે તો તુજના સપના પણ,
કોઇ ચાંદ આપો મુજને યાદને ધરવો છે,

હવે તો ગણાતી નથી કોઇ ધડી તુજ વીના,
કોઇ સમય આપો મુજને પ્રેમને ભણવો છે,

પ્રેમ કરતાં ખોઇ નાખ્યુ જે હતુ પોતાનુ એક,
કોઇ હ્રદય આપો મુજને વધુ પ્રેમ કરવો છે,

સ્વર્ગ પણ તરછોડ્યુ તુજ સાથ કાજ, કહ્યુ,
કોઇ મૃત્યુલોક આપો મુજને આંટો ફરવો છે.

નીશીત જોશી 09.11.11

(इतने हुए करीब मगर दूर हो गये,inspired by this line writer Jawed Akhtar sahaab)

इतने हुए करीब मगर दूर हो गये,
यादोमें रहके तेरी हम चूर हो गये,

थे राहके भटकते हुए पथ्थर हम,
टकराके तुजसे हम मशहूर हो गये,

जमानाने सुनाये बेवफाईके किस्से,
प्यारमें तेरे हम तो मजबूर हो गये,

दिलके घावो को भी खरोचके देखा,
गहरे हूए मेरे वो घाव नासूर हो गये,

परवरदिगारने इम्तिहां लेकर देखा,
प्यारमें दुश्मनभी आंखके नूर हो गये,

मुफलीशी भी रास न आयी ज्यादा,
छू लिया जो तुने हम कोहीनूर हो गये ।

नीशीत जोशी 08.11.11

"दोहा" के उपर की पहेली कोशीश

(1)ना उनकी कोई सुनीए, न कान धरीये बात,

जुठे उसुलोकी बात कहे, वो नेताकी है जात ।





(2)रखना है एक ही रखीये, प्यार करने का उसुल,

बांटते रहे प्यार जो , जिन्दगी हो जायेगी वसुल ।


नीशीत जोशी

तुम


किसी कूचे में पडे होते जो न मीलते तुम,
बगीचाभी मुरजा जाता जो न खीलते तुम,

होश भी न रहेता, पयमाना हाथोमें रहेता,
महोब्बतका ईजाहारे पैगाम न लीखते तुम,

नींदको भी कर देता खामोश,रात जाग कर,
सिमटी यादोके सपनो में गर न दीखते तुम,

आंखे बन जाती एक बेखौफ तुफानी दरीया,
प्यारकी पतवार चलाना गर न सीखते तुम,

परिन्देभी पंख खोल कर आसमां नापते नहीं,
गर हाथोमें हाथ पकडके साथ न फिरते तुम,

फरिस्तो को भी रास्ता मील गया होता गर,
नबी के चाहनेवालो का वाकीया न गीनते तुम ।

नीशीत जोशी 06.11.11

શનિવાર, 5 નવેમ્બર, 2011

પળ ક્યાં પાછી પળ ધરે


દિવાલો પણ આજ વાતો કરે છે,
સપનામાં આવી તે પાછો ફરે છે,

આંખો પણ વરસે છે ધીમે ધીમે,
અશ્કો પણ આજ દરિયો ભરે છે,

યાદોએ કર્યો છે આજ એ હુમલો,
હ્રદયના સૈનીકો અવાચક મરે છે,

તળીએથી શોધ્યુ બહુમુલ્ય મોતી,
રેતી માફક મોતી હથેળીથી સરે છે,

ખોટા તર્કોથી વેડફાઇ છે જીન્દગી,
ગયેલ પળ ક્યાં પાછી પળ ધરે છે,

હયાતીનો આનંદ માણી લે નીશીત,
પ્રેમ બધામાં જ એક સરખો ઝરે છે.

નીશીત જોશી 05.11.11

बना देना


हर मुश्कीलात को आसान बना देना,
रास्तेके पथ्थरको सिंहासन बना देना,

नफरतो में जिये जो जीने दो उन को,
फैलाके प्यार प्यारकी दुकान बना देना,

गर्दिशमें चले भी जाये जो चांद तारे,
यादो से सजा के उसे सामान बना देना,

क्या हुआ जो साथ न दे पाया कोई,
कदम बढाते हुए खुद पहेचान बना देना,

न सोच, परिंन्दे आयेंगे लौटके कैसे,
हर शाक पे उनका आशीयाना बना देना ।

नीशीत जोशी 04.11.11

मेरा तेरे आगे

मत पुछ के क्या हाल है मेरा तेरे आगे,(inspired by this line of GALIB)
हर एक जशन बेहाल है मेरा तेरे आगे,

खामोश निगांहे बहोत कुछ बयां कर दे,
बीते पलो का कमाल है मेरा तेरे आगे,

जुस्तजुको रखी है जीगर में सभाल कर,
ये सब यादोका धमाल है मेरा तेरे आगे,

कुदरत ने दिया तुजे हुश्न और मुजे दिल,
दो को जोडना बेमीसाल है मेरा तेरे आगे,

बात सब मानके रुठने भी नही देते तुजे,
ये हून्नर दिलका संभाल है मेरा तेरे आगे ।

नीशीत जोशी 02.11.11

अगर होता


हर लब्ज अगर मंन्जर बना होता,
मिला गम फिर अंन्दर फना होता,
आस्तिनमें पालते बीच्छु कभी तो,
सांपके असरे-जहर कम सुना होता,
मुफलीसी भी छुट जाती आहिस्ता,
गर फकिरो का सीना भी तना होता,
कारवां दिखता तो साथ हो लेते पर,
उम्मीदमें भी साथ चलना मना होता,
रंजीश होती प्यारके फरिस्तोको, गर,
चांदनीने फिर नये चांदको जना होता ।
नीशीत जोशी 01.11.11