રવિવાર, 26 મે, 2013

उनके आने की खबर जबसे आयी है

shilpa हवा अजीबसी खुश्बू संग लहेरायी है, उनके आने की खबर जबसे आयी है, थनगनाते है पाँव,नाचने लगा है मन, तबसे सारे बदन में रूमानी छायी है, सिद्दत से बसी थी उदासी अब जायेगी, मैंने महेफिल आज फिरसे सजायी है, संभाल लेना,ख़ुशी से कहीं मर न जाए, जिन्दगी में फिरसे हरियाली छायी है, उन अधूरे सपने की करनी है बाते पूरी, दिल में कई सवालों की बौछार आयी है | नीशीत जोशी 26.05.13

નાં મળ્યું

ForkinRoadResize તું નાં મળી, તુજનું સરનામું નાં મળ્યું, જીવવા માટે નું કોઈ બહાનું નાં મળ્યું, મહેફિલ સણગારાતી રહી ચિરાગ સામે, તુજ સમું હૃદયને કોઈ મજાનું નાં મળ્યું, અંધારી ગલીઓમાં ભટકતા રહ્યા એવા, સુમસાન પથે ક્યાય અજવાળું નાં મળ્યું, બાગે સુગંધી ફુલો જોઈ મલકાયા ઘણા, અડ્યા બધાને,તુજ સમું સુવાળું નાં મળ્યું, ખોવાય ગયા હવે તો અમે તુજને શોધતા, ચૌ રાહેથી પોતાને ખુદનું ઠેકાણું નાં મળ્યું. નીશીત જોશી 22.05.13

बर्षो हो गए

68886_506025939419622_998677365_n रुकी पड़ी सब बात को बर्षो हो गए, वो अधूरी मुलाक़ात को बर्षो हो गए, ना रहे कोई अल्फाज,बने हम गूंगे, वोही तन्हा हालात को बर्षो हो गए, तस्सवूरमें आना मुनासिब न समजे, रुसवा हुए जज्बात को बर्षो हो गए, भुलाना आसान होता तो भूल जाते, उठते उन सवालात को बर्षो हो गए, नाशाद होने के पहले मुहोब्बत तो थी, प्यार की वो बरसात को बर्षो हो गए | नीशीत जोशी 21.05.13

एक नाम मेरा होगा

394220_336813723037549_100001267727346_951409_1810562686_n प्यार करने के जुर्म में एक नाम मेरा होगा, चाहे हर मोड़ लाख बिछा कोई पहेरा होगा, मुमकिन हो शायद किसी राह भटक जाए, नबी बनके राहबर हर मोड़ पे ठहेरा होगा, माना मुहोब्बत की वो राह होती है कठिन, बुलंद हौसले से चलते ही प्यार गहेरा होगा, खामोश रहकर बहोतसे अल्फाझ कह देंगे, बोलेंगे तब हर एक बात में जिक्र तेरा होगा, अँधेरी रातका आलम ज्यादा ठहेरता नहीं, वो रात कटते ही फिर प्यार का सवेरा होगा | नीशीत जोशी 19.03.13

સંગાથ તરશો તો ચાલશે

middle of sea કોરી હથેળી પર નામ મુજનું લખશો તો ચાલશે, ભીડ માં હાથ ન પકડો ફક્ત સ્પર્શશો તો ચાલશે, પ્રેમભર્યો સંગાથ જ ઈચ્છીએ છીએ ખરા હૃદયથી, આ અભરખા મુજના તમે પણ ભરશો તો ચાલશે, ચાર દિવસ ની તે કેવી જિંદગી આપી એ કુદરતે, બે દિવસ નીકળ્યા બચેલા દાડે મળશો તો ચાલશે, કબરે ચડાવેલ ફૂલના ગુક્ષાની કદર નહિ રહે ત્યારે, હાલ ફક્ત એક ફૂલ ની સોગાદ કરશો તો ચાલશે, મઝધારે ડુબાળશો નહિ તેની તો છે મુજને ખાતરી, પણ તોફાની દરિયામાં સંગાથ તરશો તો ચાલશે. નીશીત જોશી 18.03.13

શુક્રવાર, 17 મે, 2013

थोडा जी लेते है

images wine मयखाने जा कर थोडा जी लेते है, थोड़ी ज्यादा थोड़ी कम पी लेते है, साकी करती है मदहोश आँखों से, प्याला छुट जाता है,मूह सी लेते है, मना लिया है खुदा को पीने के लिये, ली हुई जिन्दगीको वापस भी लेते है, लोगोने नाम दे दिया है अब 'शराबी', उसी नाम की खातिर चल पी लेते है, आँखों में डूबने की डाली है जो आदत, इत्मिनान से मजा बेहोशी की लेते है | नीशीत जोशी 16.05.13

किसीसे कम नहीं है

images अदायगी में वोह, किसीसे कम नहीं है, लोग समजते है हर बात, इल्म नहीं है, लाख छुपा रखे दिल में अपने राझ को, मुहोब्बत को छुपाये उतना दम नहीं है, आती है खुश्बू प्यार की उनके बदन से, पर कहते है उस गलियारेके हम नहीं है, दफ़न किया रखा है दर्द जिगर में अपने, दिखावा करते है जैसे कोई गम नहीं है, बखूबी जानते है झख्म छुपाने की अदा, आयना बता देगा,क्या आँखे नम नहीं है? नीशीत जोशी 14.05.13

कैसे कैसे करिश्मे देखे

6488d56b7b66646e73fe578e647bd383 कुदरत के कैसे कैसे करिश्मे देखे, मौजूद होते भी गुमशुदा बन्दे देखे, एक छोटी चोट भी क्या रंग लायी, क़फ़स में अर्श छुनेवाले परिंदे देखे, रूह ऐसे तो निकलती नहीं बाबस्ता, मोत के सामने लड़ते फरिस्ते देखे, जिस्म में हर अंग की है अहेमियत, हर पुर्जे की वजूदगी के फायदे देखे, उल्फत का काम तो है आना-जाना, खुश रहके हर लम्हा आजमाते देखे. नीशीत जोशी 12.05.13

મુક્તક/ मुक्तक

nj રૂદન ની લઇ લો મજા, દિલાસો નહિ મળે, સુંઘી લ્યો બાગના ફૂલો, સુવાસો નહિ મળે, પોતે જ શોધ્યો જે પથ એ છે બહુ કાંટાળો, મઝેદાર સુવાળા હવે એ પ્રવાસો નહિ મળે, નીશીત જોશી 11.05.13

મુક્તક/ मुक्तक

nj રૂદન ની લઇ લો મજા, દિલાસો નહિ મળે, સુંઘી લ્યો બાગના ફૂલો, સુવાસો નહિ મળે, પોતે જ શોધ્યો જે પથ એ છે બહુ કાંટાળો, મઝેદાર સુવાળા હવે એ પ્રવાસો નહિ મળે, નીશીત જોશી 11.05.13

શુક્રવાર, 10 મે, 2013

दो किनार॓

kamiah_006 दो किनार॓ है उनका मँझर कहाँ? शाँत है नदी उनकी लहर कहाँ? चल॓ है नदी क॓ साथ साथ दोनो, मगर मीलन हो ऎसा सफर कहाँ? नीकलत॓ है काट क॓ पहाड,जँगल, ना एक गली मील॓ तब शहर कहाँ? हरियाली तो है दोनों के चारों और, पर वो हरियाली उनक॓ अँदर कहाँ? मीसाल है दोनो प्यारम॓ इन्तजारकी, यही बात का लोगो प॓ असर कहाँ? नीशीत जोशी 09.05.13

जब टूटता है दिल

50113634914912503859 जब टूटता है दिल तो दुःख होता है, प्यार करके किसीसे ये दिल रोता है, एहसास दर्द का तो तब होता है जब, दिलबर के दिल में कोई और होता है, एक और निकले हर रात तन्हाई मे, दूसरी तरफ दिलबर चैन से सोता है, एक उठे डोली में,दूजा उठे जनाजे पे, कोई पाता है और दूजा सब खोता है, वह ही किस्मत में हो मुमकीन नहीं, वो सोच के,एक जिन्दगी को ढोता है. नीशीत जोशी 07.05.13

રવિવાર, 5 મે, 2013

साथ थे हम,

8649483608_9e85427092_o साथ थे हम,अक्सर अल्फाझो से लड़ते रहे, दूर रहकर करीब हुए,ख़ामोशी से मिलते रहे, बाँधी थी कभी शमा,चाँद सितारों को देखकर, गर्दिश में गये सब,अंधेरो के साथ फिरते रहे, बाकी थे जिन्दगी की किताब के अधूरे पन्ने, उन पन्नो को खून भरी कलम से लिखते रहे, होश में रहते हुए भी आलम था मदहोशी का, जाम वही पिने को अब मयकदे में तरसते रहे, नादाँ थे हम जो न चाहकर,वो गुन्हा कर बैठे, मिली है उसी की सझा,खामोशी से सहते रहे. नीशीत जोशी 05.05.13

लोग कहत॓ है

215320_468715989864295_1390691982_n लोग कहत॓ है मैन॓ मूहोब्बत की है, मैन॓ तो सिर्फ उनकी ईबादत की है, वोह शह॓नशाह है पूर॓ इस जहान क॓, ना कह॓ उसन॓ सब प॓ ईनायत की है, दर स॓ किसीको ना खाली भ॓ज॓ वोह, सब प॓ उसन॓ अझ-हद रह॓मत की है, प्यार क॓ खिलाफ होत॓ है कुछ लोग, वो सबने फरिस्तो स॓ बगावत की है, म॓रा दावा य॓ नही,मै पाक हूँ.ल॓कीन, पत्थरो स॓ भी मैन॓ तो शराफत की है, नीशीत जोशी 04.05.13

મુકુંદ જોશી તથા નીશીત જોશી ની સહ્યારી રચના

14509148-red-canoe-at-river-shore-the-water-of-the-river-reflecting-green-hues-of-surrounding-boreal-forest-w મુકુંદ જોશી તથા નીશીત જોશી ની સહ્યારી રચના આપણે સાથે હતા , સદા શબ્દોથી ઝગડતા રહ્યા, હવે દૂર રહી પાસે થયા, મૌન થી મળતા રહ્યા ! કાંઠા છે બે હજીયે, વચ્ચે સરસ્વતિનું વહેણ ક્યાં ? લુપ્ત નદીને જળ ઝાંઝવે સદા રળજળતા રહ્યા ! વિતાવી હતી એવી વહાલની ક્ષણો એ નદી પારે , યાદ કરી એ પ્રેમ પળો ને એકાંતમાં રમતા રહ્યા ! રહ્યા અધ-અધૂરા જિંદગીની કિતાબના પાનાઓ , પાનખર પત્તાઓ ની માફક એ પાના ઉડતા રહ્યા .! હોશમાં તો હતા પણ હાલત થઈ ગઈ બેહોશીની , હવે એ જામ પામવા બિચારા મનડા તરસતા રહ્યા.! મુકુંદ જોશી/નીશીત જોશી 01.05.13

अजब मुक्कदर के खेल है

004 अजब मुक्कदर के खेल है, लड़ते हुए कहते हे, मेल है, मुहोब्बत की,निकाह किया, अब कहते हे, शादी जेल है, हर दौड़ शायद अव्वल लाये, जिन्दगी की दौड़ में फ़ैल है, संसार किया, सोचते पहले, कितना तो ढिबरी में तेल है, तलाक तक पहोचाते है बात, जाने हर चीज एक खेल है | नीशीत जोशी 26.04.13

तोड़ दी तुने प्यार की कसमे

003 तोड़ दी तुने प्यार की कसमे, पहेंन के जोड़ा शादी का, क्यों रोती हो अब तुम सुन कर, जिक्र मेरी बर्बादी का, नादाँ समझ कर खेलती रही, वो मुहब्बत का खेल तू, उलझते गये हम भरम में, शायद हो फ़न बुनियादी का, बे-शुमार देती रही घाव दिल पर, बन चुके जो नासूर, बन बैठा है दिल भी अब, उसे बर्दाश्त करने के आदी का, लगा दी पाबंधी तूने,ज्यादा दिले बेक़रारी दिखाने की, लूट लिया सब कुछ, और न रहा कोई पल आबादी का, दिल तो आखिर दिल है,न समझे किसी को कनीझ, दुपट्टा ओढ़ाना, कफ़न के नाम, मेरी उस शहजादी का !!!! नीशीत जोशी 26.01.13

રહેવા 'દો

002 રહેવા 'દો, નથી ચાલવું એ રાહે હવે, અજાણ્યા પથ થી કોઈ બચાવે હવે, નીર્ધાર્યો પથ ખોવાયો ચૌરસ્તે થી, આવેલ વિટમ્બણા કોઈ હટાવે હવે, સાંભળેલું રળિયામણો હશે એ પથ, ચાલતા દરેક અંગે કાંટા વાગે હવે, રાહબર શોધવા ફાંફા મારતા રહ્યા, એ હૈયા ને સમજાવી કહો થાકે હવે, વિધાતાનું લખ્યું કષ્ટ પૂરું તો થશે, ભાગ્યની રેખા ને કહી 'દો જાગે હવે. નીશીત જોશી 24.01.13

तेरे बगैर

74624_427169104018984_692942188_n आ गये हम कहाँ तेरे बगैर, कैसे खोलेगे झुबाँ तेरे बगैर, फैसला लेना भी हुआ मुहाल, कमझोर पड़ा वहां तेरे बगैर, मौसमे बहार के इंतज़ार में, ना गयी कभी खजां तेरे बगैर, काटो की खलिश से फूल न चुने, बाग़ न हुआ आसाँ तेरे बगैर, जाबित बन खुद ज़ाबिता तोड़े, नहीं है सलामत जहाँ तेरे बगैर !!!!! नीशीत जोशी 23.01.13

લગાવી છે હીના

001 લગાવી છે હીના કોઈ બીજાના નામ ની, ક્યાં રહી પછી એ હીના, મુજના કામ ની, લઈને નીકળ્યા'તા હાથો ઉપર હાથ મૂકી, મુક્યો સાથ,લીધી પરિક્ષા મુજના હામ ની, લે-વેચ ની દુનિયામાં કર્યો પ્રેમ નો સોદો, તરછોડી, ના કરી કદર પ્રેમ કેરા દામ ની, હોશમાં હતો જ્યાં સુધી રહેલો સાથ તુજનો, બેહોશીની અસરે હવે રહીશું ફક્ત જામ ની, ચડાવી જજે હાર થી તૂટેલા ફૂલ મુજ કબરે, ઈજ્જત વધી જશે થયેલા મુજ અંજામ ની. નીશીત જોશી 22.01.13

आँखों से बहते अश्क के पीछे छुपा क्यों है ?

000 आँखों से बहते अश्क के पीछे छुपा क्यों है ? ये तो दिल है फिर प्यार वास्ते रुका क्यों है ? परिंदे बैठ जाते है सब्ज़ दरख्त की शाख पर, प्यार की दहलीज़ पे चहेरा तेरा सूखा क्यों है ? मुहब्बत करना खुदकिस्मती है हर इन्सान की, अपने हाथ की लकीरे देखकर तू रूठा क्यों है ? प्यार में हर हरकत बनती है दास्ताँ मुहब्बत की, जिक्र होता है ये भी,आसमाँ प्यार में झुका क्यों है ? इतने कच्चे आशियाने में तो बसर करता नहीं दिल, पत्थर किसी ने फेंके नहीं फिर आईना टूटा क्यों है ? नीशीत जोशी 21.01.13