શનિવાર, 23 જુલાઈ, 2016

न कोई आरजू है अब,न कोई जुस्तजू है अब

न कोई आरजू है अब,न कोई जुस्तजू है अब, तेरी हरएक अदा जैसे नजर की साद खू है अब, न कोई हादसा होगा,न कोई रूसवा होगा, तेरा दीदार ही तो इस शहर का सब वकू है अब, यहां तो इश्क़ के फरजंगी नदारद हो गए है सब, न कोई अब सुनेगा भी, न कोई गुफ्तगू है अब, मेरे दिल का यहां बेहाल हुआ जाता दिखा है,पर, न आँखों से मेरी बहती, वो कोई आबजू है अब, अंधेरो से मुझे अब डर नहीं कोई मेरे घर में, चिरागो का वहाँ होना भी उसीका अदू है अब ! नीशीत जोशी (खू=habit,वकू=happening, फरजंगी=wisdom,आबजू=rivulet, अदू=enemy) 21.07.16

वो तन्हाई के आलम में

1222 1222 1222 1222 मिले ग़म रात के आते, वो तन्हाई के आलम में, अकेले रह नहीं पाते, वो तन्हाई के आलम में निदा कर के बुला लेना मुझे तुम जब भी जी चाहे, न ताखीर हो मेरी आते, वो तन्हाई के आलम में, मेरे दिल को सुकूँ होता, मुझे लगती नहीं दूरी, तुम्हे ही हम अगर पाते, वो तन्हाई के आलम में, सफर मुमकीन नहीं है यूँ, अकेले अब मेरा ऐसा, मेरे तुम दोस्त बन जाते, वो तन्हाई के आलम में, वो ग़म ने फिर पहुँचाया है,मुझको आसमाँ तक अब, मुझे फिर ग़म कहाँ लाते, वो तन्हाई के आलम में ! नीशीत जोशी (निदा=sound, ताखीर=delay) 18.07.16

हमें दिल लगाने कि फुर्सत कहाँ है

१२२ १२२ १२२ १२२ कहाँ है कहाँ है फसाहत कहाँ है, कभी नाम था अब वो ग़ीबत कहाँ है, तुम्हारी हमारी मुहब्बत कहाँ है, हमें तू बता वो अलामत कहाँ है, गुजारी जो हमने तुम्ही अब बतादो, वो अब दरमियाँ सब अक़ीदत कहाँ है, नहीं है फ़राग़त तुम्हे क्या करे हम, हमें दिल लगाने कि फुर्सत कहाँ है, कभी दे दिया था तुम्हे 'नीर' तौफा, हमें अब बता वो अमानत कहाँ है ! नीशीत जोशी 'नीर' 14.07.16 (फसाहत= purity of language, ग़ीबत= slander, अलामत= sign, अक़ीदत= faith, belief, फराग़त=leisure)

जहाँ भी आब हो मुझको सराब लगता है

1212 1122 1212 22 तेरा जमाल भी अब आफताब लगता है, ये हुस्न तेरा जहाँ का खिताब लगता है, न जाने क्या हुआ उस को के बीच शहनाई, बुझा बुझा हुआ सहमा शिहाब लगता है, न दे जवाब मुझे ,रहने दे सवाल मेरा, तेरा जवाब मुझे एक अज़ाब लगता है, कभी तो दोस्त कहा मुझको तो कभी दुश्मन, तेरा ये बात बदलना खराब लगता है, फरेब इतना मिला 'नीर' के अब क्या मैं कहूँ, जहाँ भी आब हो मुझको सराब लगता है ! नीशीत जोशी 'नीर' 11.07.16 शिहाब=a bright shining star, अजाब=punishment,सराब=mirage

आँखें मगर आंसू मेरे, बहने नहीं देती कहीं

2212 2212 2212 2212 जीने नहीं देती मुझे, मरने नहीं देती कहीं, यादें तेरी अब तो मुझे, बसने नहीं देती कहीं, गूंगे रहे अल्फाज, खोले भी नहीं हमने कभी, खामोश हूँ तो, इश्क वो करने नहीं देती कहीं, उम्मीद को भी छोड कर, जाने लगे है हम कहाँ, मौजूदगी अब तो तेरी, चलने नहीं देती कहीं, रोने मुझे दे तो, बहा दूँ मैं समंदर आँख से, आँखें मगर आंसू मेरे, बहने नहीं देती कहीं, हम हौसले से ही बना लेंगे नसीबा भी यहाँ, अब तो फकीरी भी मेरी डरने नहीं देती मुझे ! नीशीत जोशी 07.07.16

हम मुहब्बत में कहाँ तक आ गए

जख्म सारे अब जुबाँ तक आ गए, हम मुहब्बत में कहाँ तक आ गए, ख्वाहिशें तो गुफ्तगू की थी उसे, ले उसे दिल के मकाँ तक आ गए, लामुहाला आग दिल में है लगी, हम बुझाने को यहाँ तक आ गए, हादसों के उस शहर में खो गए, तीर ही के हम निशाँ तक आ गए, बेवफा ने तो दिया धोखा मगर, कुफ्र भूले हम ईमाँ तक आ गए ! नीशीत जोशी (लामुहाला=surely,कुफ्र=disbelief, ईमाँ=faith) 04.07.16

जिंदगी से अब तेरी, कोई निभायेगा नहीं

2122 2122 2122 212 जिंदगी से अब तेरी, कोई निभायेगा नहीं, बाद मेरे कोई भी, तुझको सतायेगा नहीं, ग़र बहाओ, चोट खा कर, खून बेपायाँ, यहाँ, ठीक करने ज़ख़्म, चारागर बुलायेगा नहीं, अक्स दीवारों पे उभरे हैं, बुरे हालात में, ठीक वो करने, मुसव्विर को बतायेगा नहीं, हो परेशाँ तुम, सताने यूँ लगेगी याद भी, ख्वाब आ कर भी तुम्हें, शब भर सुलायेगा नहीं, छोड दी मैंने कहानी, प्यार के उस मोड पर, दौड़ लो, यूँ प्यार कोई भी, जतायेगा नहीं ! नीशीत जोशी (बेपायाँ= limiless,चारागर= doctor,मुसव्विर = painter)