રવિવાર, 28 સપ્ટેમ્બર, 2014

तेरी हसी देखी है

तेरे शहर में वालिहाना दीवानगी देखी है, जादू की छड़ी तो नहीं, तेरी हसी देखी है, होती होगी जन्नत में नायाब से नायाब, यहीं पे हमने तो एक अहद परी देखी है, बिन तेरे हर महफ़िल अधूरी रहती होगी, देखते ही तुझे दीवानो में तफरी देखी है, न रखना खुद को तुम परदे में कभी यहाँ, दीदार न होने पे हर आँखों में नमी देखी है, तमन्ना है सबकी तुझसे गुफ्तगू फरमाये, खाइश पूरी न होने पे पज़मुर्दागी देखी है, नीशीत जोशी (वालिहाना= in madness, अहद= unique, पज़मुर्दागी= sadness) 24.09.14

પ્રેમ માં અસરદાર નથી હું ?

crying-heart-1 ના કરો શિકાયત, ગુન્હેગાર નથી હું, પુજારી છું પ્રેમનો, ફોજદાર નથી હું, બને છે ઘણા પથ્થર પૂજવા યોગ્ય, છું રાહનો કાંકરો, વજનદાર નથી હું, ભૂલી જવાનું કહેશો તો ખાશો થાપ, માનું છું કહ્યું પણ, તાબેદાર નથી હું, કમજોરી છે મુજ ની ફક્ત તુજ પ્રેમ, રડી પડાય, દિલનો જોરદાર નથી હું, જોઈ પાળિયા પ્રેમીના આવે વિચાર, શું આવો પ્રેમ માં અસરદાર નથી હું ? નીશીત જોશી 22.09.14

શનિવાર, 20 સપ્ટેમ્બર, 2014

कुछ सुखन, फिदाई वास्ते बचाना अच्छा है

करम फरमाने का ये बहाना अच्छा है, नजरो से समजा कर सताना अच्छा है, तिरछी नजरो से घायल करते हो क्यों ? क़त्ल के वास्ते खंजर चलाना अच्छा है, छलकती रहती है शराब नजरो से तेरी, उसे पीनेवाले को रिन्द बताना अच्छा है, गुरूर में रहता है चाँद फलक में अक्सर, तेरे हुश्न से उसे वाक़िफ़ कराना अच्छा है, अधूरी लगती है रानाई की तफ़्सीर मुझे, कुछ सुखन, फिदाई वास्ते बचाना अच्छा है !! नीशीत जोशी (रानाई= grace, lovliness, beauty, तफ़्सीर= explanation, सुखन= speech, words,poetry, फिदाई= lover) 19.09.14

कभी सरगम बन कर, तुम भी मज़ा दिया करो

कभी हमे भी, कुछ अशआर बता दिया करो, रंग ग़ज़लों का, हम पर भी चढ़ा दिया करो, कभी बताओ जिंदगी जीने की तरकीब हमे, सिखा के, ख़ुशी का आबशार बहा दिया करो, जब देखो चश्म-ए-तर, मुलाक़ात पे हमारी, उस हिज्र को, वस्ल-ए-जानाँ बना दिया करो, रखी नहीं है ख्वाइश, कभी मिले सनद हमे, कर के इमदाद, हर इल्जाम की सजा दिया करो, ताउम्र गुनगुनाते रहे हम, तेरे नाम की ग़ज़लें, कभी सरगम बन कर, तुम भी मज़ा दिया करो !!!! नीशीत जोशी (अशआर= verses couplets, आबशार= waterfall, चश्म-ए-तर= wet eyes, हिज्र= separation, वस्ल-ए-जानाँ= meeting with lover, सनद= certificate, इमदाद= help) 15.09.14

રસ્તાઓ તો, ક્યાંક બીજે નીકળતા રહ્યા

ભૂલી જઈ આપેલા દુ:ખો, રોજ હસતા રહ્યા, હસતા હસતા જ, પાંપણોને ભીજવતા રહ્યા, માન્યું હતું, આપણે હવે મળશું નહિ ક્યારેય, આવતા એ વિચારે જ, નિસાસા ભરતા રહ્યા, જામી જતી હતી ધુળો, સમી-સાંજના સમણે, સપના પણ મુજના બધા, ખોટા ઠરતા રહ્યા, યાદોથી દુર તો, ક્યારેય કર્યા ન હતા હૃદયે, હાથોની લકીરો પર જ, ભરોષો કરતા રહ્યા, લઇ આવી જિંદગી, તુજ પાસ છેવટે મુજને, પણ રસ્તાઓ તો, ક્યાંક બીજે નીકળતા રહ્યા. નીશીત જોશી 13.09.14

गज़ब का दस्तूर है

2519740121_f892f3d8dd_z गज़ब का दस्तूर है, तेरे इस शहर का !! सभी के हाथो में है प्याला, पर ज़हर का !!!! भूल चुके फ़र्ज़, करने को किसी पे रहम का !! हैवानियत में रात गुजारी, ख्वाब अच्छे सहर का !!!! इत्तिफ़ाक़ तो है खुदा से, पर कोई खौफ नहीं !! खुद के लिए मुनाफ़ा, ख्वाइश दुसरो के तलफ का !!!! बैठे है खोल के दूकान खुदा के नाम की यहाँ !! परदे के पीछे काम वो सब करते है हवस का !!!! लगी है होड़ एक दूजे में आगे निकल जाने की, मक़सद सिर्फ रखा है अपने नाम के लक़ब का !!!! नीशीत जोशी (सहर= morning, तलफ= loss, लक़ब= honour) 08/09

રવિવાર, 7 સપ્ટેમ્બર, 2014

तू नाज़ां है खुदा का

रूख से, तूने जब परदा हटाया होगा, दिल, सब का जरूर डगमगाया होगा, हसीं चहेरा,नशीली आँखे,गोरा बदन, खुदा ने तुझे फुर्सत में बनाया होगा, गुलाबी गाल, ओठ लाल, क़यामत है, खुदा ने तुर्बत में फरीद सजाया होगा, शरमा गई होगी जन्नत की सब हूरें, छुपा है चाँद, किसीने आइना दिखाया होगा, तू नाज़ां है खुदा का, लोग सब बोल उठे, तेरा रानाई चहेरा, सामने जब आया होगा !!!! नीशीत जोशी (फरीद= unique, नाज़ां= proud , रानाई=lovliness, beauty) 07.09.14

वह आये बागो में

वह आये बागो में, रुख हवा का बदल गया, खिले थे फूल, मुरझाना उनका अटक गया, लहराया जो दुप्पटा,फ़ज़ा सारी महक गयी, मायूस बैठे वो दीवानो का चहेरा चमक गया, दिखायी होगी उनकी तस्वीर चाँद को किसीने, तभी चाँद आज फलक में ही कहीं भटक गया, बेजान पड़ी थी शहर की गलियाँ बगैर उनके, आते ही उनके, शहरे खामोशा भी चहक गया, सूखे पत्ते भी शजर के अब होने लगे है शब्ज़, चमन के दिल से उजड़ जाने का भरम गया !!!! नीशीत जोशी 03.09.14

થોડો કર્જ તો ઉતારી શકે છે

0 'માં' ના આંસૂ ની કિંમત કોઈ ચુકાવી શકે છે ? શું 'માં' ની હર ઈચ્છા કોઈ પૂરી કરાવી શકે છે ? જીરવી જાય છે હર ઘાવ બાળક ના પોતે જ, 'માં' ને જિંદગીભર શું તેઓ નિભાવી શકે છે ? પેટે પાટા બાંધી મોટો કરે છે 'માં' બાળક ને, એ બાળક મોટો થયે એક ટંક જમાડી શકે છે ? નાની બીમારી થયે પણ માને છે માનતાઓ , શું રિસાયેલી 'માં'ને એ સંતાન મનાવી શકે છે ? કોઈ તો કહો શું જરૂરત છે ઘરડાઘર ની અહીં, 'માં'ની સેવા કરી થોડો કર્જ તો ઉતારી શકે છે. નીશીત જોશી 01.09.14