શનિવાર, 27 ઑક્ટોબર, 2012

कलम

उन कोरे कागज़ पे चल पड़े कलम, स्याही न हो तो खून से चले कलम, ख़त लिखना कोई आसां नहीं होता, प्यार के जज्बात वास्ते जले कलम, चिठ्ठी में लिखना तो है बहोत मगर, उनके एक नाम से आगे न बढे कलम, लिख जो पाऊं नाम-ए-महेबूब के आगे, जहां के किस बाज़ार से ऐसी ले कलम, वो ख़त भी बन जाये बेमिसाल किताब, अगर महेबूब के अहेसास को पढ़े कलम ! नीशीत जोशी 26.10.12

देख लेंगे

आओगे जो तुम, तुम्हारा नूर देख लेंगे, सबके ओठो पर नाम मशहूर देख लेंगे, एक पत्थर को तराशते रहे हो तुम यहाँ, उसी पत्थर को बनाते कोहिनूर देख लेंगे, आ जाना कनीज़ की गलियों में कभी तो, ना देख पाए जन्नत तो क्या हूर देख लेंगे, खुदा की रहेमत है बनायी जो खूबसूरती, आओगे जो आज, तुम्हे मामूर देख लेंगे, लाख रहो परदे में छुप के जो महेफिल में, तेरी कमसिन नजरो के मखमूर देख लेंगे ! नीशीत जोशी (मामूर = पूर्ण ,मखमूर= नशे में चूर) 25.10.12

यह जनम भी अब लगता है गुजर जाएगा

यह जनम भी अब लगता है गुजर जाएगा, मुहोब्बत के वास्ते जिस्म भी ऊपर जाएगा, रूठने मनाने का जो दस्तूर था मुहोब्बत में, जन्नत देखके क्या प्यार से मुकर जाएगा? बगैर महेबूब रास न आयेगी जन्नत की हवा, उसे देखके मौसम भी वहां का सुधर जाएगा, सुके शजर पे भी आ जायेंगे खुश्बूदार फूल, उसे छू के हवा का ज़ोंका जो उधर जाएगा, रोशनी की अजमत का भी हो जाएगा नाम, चाँद गर उसे देखके खिलने से मुकर जाएगा ! नीशीत जोशी 24.10.12

हम उनकी जुबाँ पे अपना नाम तक ला न सके

बसा कर भी दिल में उन्हें कभी पा न सके, बन कर राहबर भी मंजिल तक जा न सके, बुलाना चाहे पर उनकी मजबूरियो ने रोका, ख्वाइश रहते भी आशियाने तक आ न सके, ऐसे तो गुनगुनाते थे उनके नाम की गज़ले, रूबरू जो हुए बन कर गूंगे कुछ गा न सके, दस्तूर है मुहोब्बत में निगाहें चार होने का, उठा न सके हया का परदा, प्यार पा न सके, जहाँ के लोग दिल में कैसे बना लेते है जगह, हम उनकी जुबाँ पे अपना नाम तक ला न सके ! नीशीत जोशी 18.10.12

चले आना

आये जो याद तो खयालो मे चले आना, दुर हो तो क्या हुआ सपनो मे चले आना, कहते हो तस्वीर बनाके छुपायी है दिलमे, धुंधली लगे तस्वीर, आँखों में चले आना, रहना यही कही इर्द-गिर्द ही सांज-सवेरे, लहराते उन हवा के जोंको में चले आना, तन्हाई में लगे गर फुल मुरजाने चमन के, बदलके रुख मौसम का बहारो में चले आना, सन्नाटा बहोत होता होगा उस वीराने में, बनके बोल, परिंदों की आवाजो में चले आना ! नीशीत जोशी 16.10.12

કેમ ફરીને લાવું

તુજને ભૂલી જવાની હિંમત કેમ કરીને લાવું, કહો,હવે કોના ભારી કલેજાને ભરખીને લાવું, પછીનો બીજો શ્વાસ આવે છે તુજની રહમતે, કહો, આ હૃદયે હવે કોના શ્વાસો ભરીને લાવું, એકએક પળ નીકળે છે એકએક ભવ માફક, પણ એ કહો, બીજી જિંદગી કેમ મરીને લાવું, જુઓ આ દરિયો પણ ચડ્યો છે કેવા તોફાને, કિનારા મુઝાય છે કે લહેરો કેમ તરીને લાવું, આ જન્મે બનાવ્યો છે મનુષ્ય તુજને ભજવા, તુજ ભજવા કાજ બીજો જન્મ કેમ ફરીને લાવું. નીશીત જોશી 15.10.12

हो जाती है

ये जमाने में मुहोब्बत भी सजा हो जाती है, दारु भी कभी कभी यहाँ पे दवा हो जाती है, कदम थक जाते है चल के मुश्किल राह पर, हमसफ़र रहे साथ तो रूह जवां हो जाती है, रूठ जाये जो प्यार में मान जाने की शर्त पे, रुसवाई भी उनकी वल्लाह अदा हो जाती है, शराब के पिने से नशा तो चड़ता जरूर होगा, महेफिल में लड़खड़ाते पाँव खता हो जाती है, उनके यहाँ पर भी अजीब वो दस्तूर को देखा, वफ़ा की बाते अगर करे तो खफा हो जाती है ! नीशीत जोशी 14.10.12

असर तो हुआ

अनकही वो बातो का असर तो हुआ, मेरे इस दिल का कही कदर तो हुआ, फरिस्ते मांगके ले गए है वो दिल को, नबी के यहाँ दिल जरा नजर तो हुआ, खबर दे दी है जहांवालो से, जिन्दा हूँ, इल्तजा रखनेवालो को सबर तो हुआ, अन्जान राह थी पर रुके न थे कदम, मर कर हमारा पूरा ये सफ़र तो हुआ, जिक्र चल पड़ा जन्नत में भी हमारा, तुज पे ना सही, हूर पर असर तो हुआ ! नीशीत जोशी 13.10.12

શનિવાર, 13 ઑક્ટોબર, 2012

पीने ना दिया

मयखाने तक गये पर पीने ना दिया, महेफिल से किसीने हिलने ना दिया, सजानी थी सेज हमें खुश्बूदार फूलोसे, बागबानने फूलो को खिलने ना दिया, भुला नहीं सकते साथ बीताये पलोको, खूबसूरत लम्हों के साथ जीने ना दिया, मदहोश हो जाते उन आँखों के जाम से, मगर मय ने साकी से मिलने ना दिया, रास्ता अन्जान था, ठोकरे भी खायी, पर खुदा की रहमत ने गिरने ना दिया ! नीशीत जोशी 12.10.12

હવે નજીક ઇશ્વરના ઘરની ડેલી છે

આ જીવન માં ઘણી અધુરી વાતો રહી ગયેલી છે, પુરી કેમ થાય,હવે નજીક ઇશ્વરના ઘરની ડેલી છે, જીંદગી વીતાવી નીત નવા કપડા પહેરવાના મોહે, પણ શરીરે એક ચીથરા વગર જ ચીતા સજેલી છે, સમજેલા,માનેલા જેઓને પોતાના આ દુનીયા માહી, પણ મૃત્યુએ સમજાવ્યુ આ બધાની મુરાદ મેલી છે, સમજાયુ મીથ્યા,તુક્ષ છે બધા સબંધો આ દુનીયાના, સાચી સબંધોની લાગણી ફક્ત ઇશ્વરમાં જ ભરેલી છે, તુટશે નહી,ઇશ્વર,હવે ક્યારેય સબંધો આપણી વચ્ચેના, છો આપ દૌલતના શહેનશાહ તો મુજ હાથમાં થેલી છે. નીશીત જોશી 11.10.12

अश्क आज आँखों से बहने लगे है

अश्क आज आँखों से बहने लगे है, ना जाने किस दर्द को कहने लगे है, जानते थे, रास्ता है मुश्किलों भरा, राह के फूलो से क्यों जलने लगे है? दिल बेकरार था, तस्वीर की याद में, तस्सवूर क्यों अलायदा चलने लगे है? साहिल को किनारा मील ही जायेगा, टूटी कश्ती को क्यों पार करने लगे है? जुगनुओ की रोशनी से उजाला हुआ, बूजा चराग क्यों अँधेरा सहने लगे है? नीशीत जोशी 10.10.12

क्या तरकीब आजमाई थी

घायल करने की उसने क्या तरकीब आजमाई थी, खंजर से नहीं उसने नजरो से ही क़यामत ढायी थी, निकल रहे थे जो उनकी महेफिल से किनारा करके, पर जब मुड के देखा तो पीछे उसकी ही परछाई थी, निकले कही और जाने को,मयखाना दरमियाँ आया, खूब याद रहा,ना पिने की कसम उसीने खिलायी थी, कसम आज तोड़ दी देख कर कजरारे दो नयनो को, नजरो के जाम पिने की बात आशिको ने बतायी थी, लगा जैसे जन्नत जमीं पर सिर्फ उनकी आँखों में है, उसने पहली नजर से ही मुहोब्बत की राह दिखायी थी ! नीशीत जोशी 09.10.12

वोह लड़की

कहते है, वोह लड़की बड़ी गुमानी है, उसके नुरानी चहरे पे बहोत पानी है, लोग बुलाते है पागल कह करके उसे, मुहब्बत की पागल मेरी ही दीवानी है, रूठ जाती है पर मान जाने की शर्त पे, कहते है यही अजीब उसकी रवानी है, अदायगी उसकी तो क़यामत ढाती रहे, रग रग में उसकी अलायदा जवानी है, कायल तो हम भी हैं उसकी नजाकत से, क्या कहे, उसके साथ की मेरी कहानी है ! नीशीत जोशी 08.10.12

પિતૃઓને

પિતૃઓર્ને હવે કોઇનો ત્રાસ જોઇતો નથી, કોઇ નપાવટો નો સહેવાસ જોઇતો નથી, બનાવટી મુખટે બની બેઠા છે સદાચારી, પિતૃને નામે ચરનાર દાસ જોઇતો નથી, પિતૃપક્ષમાં પુજાય છે પિતૃઓ ઇશ્વર રુપે, હયાતી પળે કહ્યુ,સાથ ખાસ જોઇતો નથી, જીવતા જીવે તો કર્યા અન્નના પણ વાંધા, નાદાનો, પિતૃને ફેકેલો વાસ જોઇતો નથી, સ્વર્ગ જેવા ઘરને પણ બનાવ્યુ નરક સમુ, પણ પિતૃઓને આવો આવાસ જોઇતો નથી. નીશીત જોશી 06.10.12

बदल गये है वो

बदल गये है वो कितने, हालात की तरहा, अब मिलते है, पहली मुलाक़ात की तरहा, हम क्या किसीकी जिन्दगी को सवारेंगे, ये जिन्दगी मिली है हमें, खैरात की तरहा, यकीं नहीं होता अब भी, बेवफाई का सिला, पर घाव उभर आते है, सवालात की तरहा, कैद में है, हर लब्ज अब मेरे, उनके दर्मिया, आँखे बोल पड़ती है अब, बरसात की तरहा, लिखने बैठते ही, सामने दिखे तस्वीर उनकी, कलम भी चल पड़ती है, जज्बात की तरहा ! नीशीत जोशी 05.10.12

आजमाया

कभी अपनो ने, तो कभी रकीबो ने आजमाया, ये नादाँ दिल को न जाने कितनो ने आजमाया, जोली ले के खुद माँगने गए जो उनके दरवाजे, उनके मंदीर के बहार हमें फकीरों ने आजमाया, सोचा फूलो से भरी राह होगी मुहोब्बत की यहाँ, उसी राह चलके देखा, बेदर्द कांटो ने आजमाया, तस्सवुर में ही बनायी तस्वीर अपने हमसफ़रकी, आँखों ने दिया धोका और अश्को ने आजमाया, हर बार नयी उम्मीद निकल पड़ती है जहन से , जिन्दगी के इस सफ़र में ख्वाइशो ने आजमाया ! नीशीत जोशी 04.10.12

હવે દરેક પથ અટકાવે છે મુજને

હવે દરેક પથ અટકાવે છે મુજને, યાદના પડછાયા ડરાવે છે મુજને, ભુલી જવા કરૂ છુ મથામણ ઘણી, દરેક શ્વાસ યાદ અપાવે છે મુજને, કરૂ સહજ સંવાદ લોકો દરમીયાન, તુજ નામ લઇને ભરમાવે છે મુજને, ગઝલ ગાયેલી મેં એક વખત સાંજે, તો ચાંદ સંગ સૌ સરખાવે છે મુજને, એ બાગ પણ જાણે કરમાઇ ગયો છે, વાંક કાઢી ફુલો પણ સતાવે છે મુજને. નીશીત જોશી 03.10.12

देख के तुजे,

आज ये आयना भी शरमा रहा है देख के तुजे, सारा वो चिलमन भी हसता रहा है देख के तुजे, तेरे ओठो की लाली जैसे गुलाब की छोटी कली, सुनहरी चहरे पे भँवरा मंडरा रहा है देख के तुजे, नशीली आँखों में लगा काजल रात याद दिलाये, तेरे बिखरे गेशु अँधेरा सजा रहा है देख के तुजे, तेरे गुलाबी गालो के खंजन में फिसल जाए हम, दिल में कोई इशारा ललचा रहा है देख के तुजे, करके जरासा श्रृंगार कितना निखर जाते हो तुम, आज चाँद भी चाँदनी से बता रहा है देख के तुजे ! नीशीत जोशी 2.10.12

छुपी होती है !

हर हार के पीछे एक जीत छुपी होती है, सन्नाटे में भी तो मजलिश छुपी होती है, लोगो की सोच को बदल नहीं सकते हम, नम आवाज़ में भी एक चीख छुपी होती है, कैसे मान ले उस शहर को अमीरों से भरा, जहाँ हर इबादत में एक भीख छुपी होती है, गुनाह करने के पहले डरते नहीं लोग यहाँ, जहन में न जाने कैसी चीज छुपी होती है, कर्म के फल को नसीब का दोष न दे देना, वो नसीब के पीछे भी तकदीर छुपी होती है ! नीशीत जोशी 30.09.12

नम थी आंखे

नम थी आंखे, एहसास भी न था कम, रुसवा होने आये, और कोइ न था गम, अहेसान जताते गये, गीनाते गये सब, लगा हमें,सलाखो के पीछे आ गये हम, उनकी अदायगी भी क्या लाजवाब थी, सुना गये सब कुछ,रखा था बहोत दम, कहने को वोह बने थे कुछ ख़ास अपने, परायो की तरह,आँखों को छोड़ दी नम, पता था खामोशिया भी कुछ तो बोलेगी, साया बन चलते रहे,कुछ भी न बोले हम ! नीशीत जोशी 28.09.12

મોરના ટહુકા મોકલજે

તુજ યાદો રૂપી મુજને મોરના ટહુકા મોકલજે, તુજ પડછાયા જેવા એ મોરના પીછા મોકલજે, દ્રારીકે નથી સંભળાતા એ વેણુના મધુર સાદ, વાંસળી કહે છે મુજને સાંભળવા રાધા મોકલજે, ગોવાળીયાઓ પણ મુકી ગાયો રજડે છે ગોકુળે, દ્રારકાધીશને કહો તેમનો નટખટ કાન્હા મોકલજે, વાત માને જો રાધા,પીયુ આવી જ જશે દોડતો, ગોકુળે પાછો બોલાવવા,દ્વારીકે સુદામા મોકલજે, જોઇ જોઇ ને થાક્યા રોજ રાતના સુમધુર સપના, હવે રૂબરૂ દર્શન આપી,મનનો પરમાત્મા મોકલજે, નીશીત જોશી 27.09.12

हार नहीं होती

कहते है की कोशिष करनेवालों की, कभी हार नहीं होती, कलम हाथमें पकडे रहनेसे, कोई रचना तैयार नहीं होती, स्याही ख़त्म हो जाए तो, खून को ही स्याही समज लेना, कलेजा फुट फुट रोता रहे तो,कलम जिम्मेवार नहीं होती, कुदरत की बनायी वो मौसमका काम है आना और जाना, आया हो पतजड़का मौसम तब मौसम-ऐ-बहार नहीं होती, तैरना हो गर समंदर तो उतरना ही होगा पानी के अन्दर, किनारों पे बैठ देखते रहने से नैया किसीकी पार नहीं होती, जो कभी प्यार रूठ भी जाए तो मना लेना लाज़मी होता है, खुद की मुहोब्बत के आगे जुक जाने में कोई हार नहीं होती | नीशीत जोशी 26.09.12

तरीका

नायाब तरीका करने को जी मचलता है, फल मिलने पर वही जी फिर जलता है, आयना से सीख लो जीने का तरीका, जो जैसा है वैसा ही स्वीकार करता है, ना अपनाओ कोई बेहूदगी का तरीका, बाद में जिन्दगी जीने को वो खलता है, ऐसे खुद के लिए सब अच्छा है तरीका, मगर किसी को शायद वोही अखरता है, परिवार की दुहाही दे, कर्म जो करते हो, किये कर्मो का फल परिवार कहाँ भरता है? नीशीत जोशी 25.09.12