શનિવાર, 25 જાન્યુઆરી, 2014

चहेरा पहले से, नक़ाब में, छूपा होता

Untitled-2-5 चहेरा पहले से, नक़ाब में, छूपा होता, कोई ख्वाब, रातो में, ना रूका होता, न बहते, इन आँखों से, अश्क़ इतने, ये दिल, कभी ना अगर, टूटा होता, मुनासिब होता, दर्मियाँ दिवार रखते, सामने आयना के, सर न जुका होता, तसव्वुर कि देहर में, ना फसते कभी, एतबार बेवफाई का, गरचे जूठा होता, दोमंगीर न होते, उनके प्यार में ऐसा, पहेली नजर पे ही, गर वोह रूठा होता !!!! नीशीत जोशी (दोमंगीर= dependent)24.01.14

तसव्वुर, तुझे अब जाना होगा

08182858c5199d31994f3d06d818449b यक़ीनन तुझे अब आना होगा, तसव्वुर, तुझे अब जाना होगा, अलविदा हुई राह कि रुकावटे, मुहब्बतका झखीरा पाना होगा, दर-ओ-दीवार सजी है अब तो, महेफिल में सुरूर लाना होगा, गुफ्तगू होगी सिर्फ वफ़ा कि, रक़ीब को धोखा खाना होगा, सुनली बहोत ग़मगीन गज़ले, नग्मा-ए-उश्शाक़ गाना होगा !!! नीशीत जोशी (झखीरा= a treasure, नग्मा-ए-उश्शाक़= poem of lovers) 21.04.14

પાંખો ફેલાવી ઉડી જઈશું

garden-swing-morning3-1024x680 પાંખો ફેલાવી ઉડી જઈશું, આકાશ આખું ખુંદી જઈશું, મળે જો મોકો ઝળહળવાનો, સુરજની સમા ઉગી જઈશું, મહેકની રાખવા છાપ સાટું, ફૂલોની માફક ખુલી જઈશું, આભ ધરાનો પ્રેમ શોધવા, કહોતો ક્ષતિજ સુધી જઈશું, છોને વિલીન થઇ જતો દેહ, અમ યાદ સૌ હૈયે મુકી જઈશું. નીશીત જોશી 18.01.14

શનિવાર, 18 જાન્યુઆરી, 2014

चलो उस रक़ीब को दोस्त बनाया जाय

1560427_616569741712408_905286533_n चलो उस रक़ीब को दोस्त बनाया जाय, जहर को भी आज अमृत पिलाया जाय, खुरचे थे जो ज़ख्म बन गये अब नासूर, चलो प्यार से उसे मलहम लगाया जाय, हमारे लिखे ख़त को तो मुद्दत हो चुकी, जवाब पाने क़ासिद को घर बुलाया जाय, खदान में रहके दिल पत्थर बना लिया, चलो संगदिल को प्यार सिखाया जाय, अदावत का मुदावा सिर्फ मुहब्बत ही है, जो हो गये नाशाद उसे शाद बनाया जाय !!!! नीशीत जोशी 16.01.14

उसे निस्तार चाहिए था, दस्ताना चाहिए था

broken_heart_knife_T उसे निस्तार चाहिए था, दस्ताना चाहिए था, क़त्ल करने मुझसे मेरा ही परवाना चाहिए था, नजरो से घायल करते, तो मर जाते हम यूँ ही, जराहत करने को उसे कोई बहाना चाहिए था, खुद दिल को तक़सीम करे,तबीब भी खुद बने, खुदके तरदामनी का हमसे जुर्माना चाहिए था, रात थी अँधेरी,और सफ़र भी था तन्हा,मगर, कुष्ट-ओ-खून के लिए उसे ठिकाना चाहिए था, ज़ब्त में नहीं रहे थे जज्बात जिगर के,लेकिन, वाबतगी के लिए उसे सारा ज़माना चाहिए था !!!! नीशीत जोशी (निस्तार= knife, परवाना= permit, जराहत=injured, तक़सीम= division, partition, तरदामनी= guilt, sin, कुष्ट-ओ-खून= killing and murdering, ज़ब्त= control, वाबतगी= relationship) 14.01.14

जख्म को खुरच कर उसे ताज़ा रखते है

Sleeping_Beauty_MMV_oil_painting जख्म को खुरच कर उसे ताज़ा रखते है, हम अपनी मुहब्बत में कुछ खासा रखते है !! डरते नहीं रक़ीब के नए जख्म से अब तो, हम अपनी मुहब्बत का ही इफ़ाक़ा रखते है !! क़त्ल करो खंजर से या अपनी नजरो से, हम अपने जज्बे को ही कातिलाना रखते है !! हटा दो चाँद या बुझा दो यहाँ की रोशनी, हम अपने घर में जुगनुओ से उजाला रखते है !! समज गए है अब मुहब्बत की बारीकियाँ, हम दिल टूट जाये तो उसका चारा रखते है !! नीशीत जोशी (खासा= specialty,इफ़ाक़ा= relief, healing process ,चारा= remedy) 11.01.14

શનિવાર, 11 જાન્યુઆરી, 2014

शायद तेरी होगी

Edward John Poynter (English Classicist painter, 1836-1919) Hot-house Flower दिल पे दी गयी दस्तक शायद तेरी होगी, तड़पते दिल की कसक शायद तेरी होगी, रातभर सोने ना दिया वो तसव्वुर ने हमे, आँखों में उतरी झलक शायद तेरी होगी, हर गली में हमें रहबर मिलते है अक्सर, शहर से गुजऱती सड़क शायद तेरी होगी, बाग़ में जा कर छुआ होगा फूलो को तूने, उन फूलोसे आती महक शायद तेरी होगी, दिल मचल जाता है तेरी यादो के आते ही, धड़कन के पीछे की धड़क शायद तेरी होगी !!!! नीशीत जोशी 08.01.14

સમજી શક્યા નહિ તેમને

ss850245 સમજી શક્યા નહિ તેમને શું જોય છે, જેમની પાછળ પૂરી જીન્દગી ખોય છે, ભલું થાય તેનું તેઓ બેવફા નીકળ્યા, ખબર તો પડી કે એ વફા શું હોય છે, ન ભ્રમિત થજો તેની કાતિલ અદાથી, હૃદયને ભોંકવા તેના હાથમાં સોય છે, આકાશે પહોંચવાના છે અભરખા બાકી, વિસરી ગયા તેઓ નીચે હજી ભોંય છે, નારાજ જ રહેવું છે એ તો તેની મરજી, અમ કાજે દુશ્મન પણ દોસ્ત હોય છે. નીશીત જોશી 07.01.14

मयखाना

ryoanji_temple_in_kyoto वो मयखाना बन गया है अब तो आम शायद, वो रिंद का भी हो गया है अब तो नाम शायद, साकी ने जो पुकारा, सुबह होते ही पहोंच गये, ना मिटा पाये तिश्नगी हो चली है शाम शायद, यूँ तो पीते थे मगर बहके न थे पहले ऐसे कोई, प्यार में खुसूसियत से बना होगा जाम शायद, इस मयकदे से कोई आ के उठता नहीं अक्सर, पीने का नहीं देना पड़ता है कोई दाम शायद, साकी कहें या कहे खुदा, मयखाना कहे या मंदीर? आ जाते है फरिस्ते भी छोड़ के हर काम शायद !!!! नीशीत जोशी

શનિવાર, 4 જાન્યુઆરી, 2014

कुछ कदम हम अपनी मर्जी से चले है

image.php कुछ लोग अपनी तासीर से खले है, कुछ लोग यहाँ फितरत से भले है, मोल नहीं प्यार का फरेबी दुनिया में, लगता है सब उरियाँ में ही पले है, दिखती नहीं यहाँ मुहब्बत किसी को, कहते है देखो परवाने कितने जले है, तैयार है फूलो पे चलने को यहाँ सभी, पर उन कंटक राह पे कितने चले है ? अंजान है हम तो उल्जी हुई राहो से, कुछ कदम हम अपनी मर्जी से चले है. नीशीत जोशी 03.01.14

આવજે તું

SDL440868779_1382332307_image1-507fc આવજે તું અને સાદ આપજે, જીવતા તું મુજને શીખડાવજે, કર્મ એવા તે મુજથી કરાવજે, જગને યાદ એ કર્મ રખાવજે, ભુલ થાય મુજની, સુધરાવજે, ફરી ન થાય ભુલ, શીખડાવજે, ઘમંડ ન આવે ક્યારે જાળવજે, આવે જો ભુલથી તેને ભુલાવજે, મુજ યાદે ફક્ત તુજને રખાવજે, હું છું તુજનો હૃદયને સમજાવજે..... નીશીત જોશી 02.01.14

new year

new year हर दोस्तों को मेरा सलाम, नया साल आ गया, सबको मिले सही मुकाम, नया साल आ गया, रुसवाई के ग़ज़ब से, कोई बना हो गर रक़ीब, बनके दोस्त भूले इंतक़ाम, नया साल आ गया, गुफ्तगू हो तो, सिर्फ हो प्यार और अमन कि, मीठी बातो से करे सुनाम, नया साल आ गया, आजमाइश भी गर हो, पत्थरो जैसी कठीन, कामियाबी ही हो अंजाम, नया साल आ गया, सुख,शान्ति,समृध्धि, बनी रहे अपने देश में, खुशखुशाल हो ये आवाम, नया साल आ गया !!!! नीशीत जोशी 01.01.14

happy new year

happy

इस मिटटी के बदन को, अब मिटटी खा जाए

Khaak-Mutthi-Mein-Liye-Qabar-Ki-Yeh-Sochti-Hon-Poetry-Love-Poetry-In-Urdu-Vol-1 कतरो में जीने से अच्छा है, अब मौत आ जाए, इस मिटटी के बदन को, अब मिटटी खा जाए. सफ़ेद चादर ओढ़ कर, सो जाए एक कब्र में, मुअय्यन मंझिल कि, मुस्तक़ीम राह पा जाए, चराग जलाना रास न आये उसे, आके शायद, उनकी रूह को, कहीं फिर रोती लाश भा जाए, दरमांदा फलक को भी, राहत मिले रोशनी से, जब जब बादलो कि चादर, आसमाँ में छा जाए, ना जाने देना उसे कब्र पे, उनकी आँखे नम लिए, देखके उल्फत, कहीं लाश को न रोना आ जाए !!!! नीशीत जोशी 29.12.13 (मुअय्यन = fixed, मुस्तक़ीम = exact, right, दरमांदा = tired)