રવિવાર, 29 નવેમ્બર, 2015

અદભુત છે આ પ્રણયની વાતો

કૃષ્ણ તેની લીલામાં મગન છે, રાધાને તો કાન્હા ની લગન છે, વાંસળી વાગે,સાંભળે છે બધા, ગોપીઓને મળવાની અગન છે, આંખો નમણી કરે કામણ ઘણા, એ કૃષ્ણના રાધા પર નયન છે, યમુના તટ નિહારે વાટ કાન્હાની, ડાળો કદંબની ઝુકે એ નમન છે, અદભુત છે આ પ્રણયની વાતો, આ વહેતો પ્રેમનો જ પવન છે. નીશીત જોશી

कभी हमें अपना बना लिया करो

कभी हमें अपना बना लिया करो, कभी सुनो कभी सुना दिया करो, न हो कभी सिकवा न गीला कभी, गुरूर को दिलमें दफन किया करो, करें तिरी नम आँख दर्द कभी बयाँ, जुबाँ रखो खामोश,जहर पिया करो, खुदा मिले मुहिब्ब बनके तुझे कभी, अता करो सजदा,यक़ीं किया करो, न जिगर हो,अरमान से तन्हा कभी, फटे हुए जज्बात को सी लिया करो ! नीशीत जोशी 26.11.15

आओ मिलके जश्न मनाते है

आओ मिलके जश्न मनाते है, पीओ तुम हम तुम्हे पिलाते है, टूटे दिल का मल्हम हो जाए, आओ मिलके दर्द जताते है, सो जाए कभी चराग रातो में, आओ हम आशियाँ जलाते है, कैसे आये मज़ा अकेले में, शाकी को भी चलो बुलाते है, जो होना है एकबार हो जाए, बांदा को भी नशा चढ़ाते है !! नीशीत जोशी 23.11.15

आयी जो उनकी याद तो

12003864_888883201180903_4983905897525270827_n आयी जो उनकी याद तो आती चली गई, जज्बात मेरे दिल को जताती चली गई, गाऐ थे उनके नाम के नग्मे कई दफा, सोयी वो महफिल को जगाती चली गई, अश्कों के बहने का न पूछो सबब मुझे, आँखें वो दरिया को बहाती चली गई, आने की हमने आश जो बांधी हुई थी, वो रातें भी इंतजार कराती चली गई, गर्दीश में था चाँद और सितारें छुपे हुए, आके वो मुझको दीया दिखाती चली गई ! नीशीत जोशी

मुझे तुम प्यार बेशुमार करते हो

कभी इकरार करते हो, कभी इन्कार करते हो, मगर यकीं है तुम, मुझसे ही प्यार करते हो, कभी आँखों में आसु, कभी रुख पे तबस्सुम है , अपनी हर अदाओं से, मेरा जीना दुस्वार करते हो, कभी ख़ामोशी ओढ़े हो, कभी बेसबब बतियाना , खबर मुझको है, तुम हम पे जाँ निसार करते हो, अदावत है या कहे वफ़ा, हम तो कायल है तेरे , नश्तर से नहीं, तुम तो नजरों से वार करते हो, कभी रुठ के, फिर तेरा यूँ यकायक मान जाना, जताता है की, मुझे तुम प्यार बेशुमार करते हो !! नीशीत जोशी 16.11.15

वो समझे हम दिवाने है

12112039_883747135027843_3606279958668148648_n कर ली हमने जो हँस के बात, वो समझे हम दिवाने है, कर ली हमने जो मुलाकात ,वो समझे हम दिवाने है, दे दी हमने थोडी ज्यादा तव्वज़ो,यही गलती थी शायद, भूलायी जो अपनी औकात, वो समझे हम दिवाने है, सुना है दोस्त के दोस्त, अपने भी दोस्त होते है, उन्ही से जित के खायी मात, वो समझे हम दिवाने है, रह न पाये खामोश, जब बैठे थे मुहिब्ब साथ में, काटी जो गुफ्तगू में रात, वो समझे हम दिवाने है, सुनते रहे वह और हम सुनाते रहे, दिल की दास्ताँ, उठे जाने कितने सवालात, वो समझे हम दिवाने है ! नीशीत जोशी 06.11.15

બુધવાર, 4 નવેમ્બર, 2015

કેમ છીએ અમે

12208282_882846705117886_6661528429411885308_n જુઓ આવી જરા કે, કેમ છીએ અમે, મુકીને એમ ગ્યા તા, તેમ છીએ અમે, બનું બેફામ તો, સૌ માફ કરજો મને, વહે છે એક સરિતા, એમ છીએ અમે, સહારે યાદની, રાતો ગુજારીતો જુઓ, બુઝેલા આ દિપકની, જેમ છીએ અમે, રડીને ખુદ, હસાવી જાય એવો મિત્ર, થવાનો ગર્વ સાચો, તેમ છીએ અમે, કળી ક્યારે બને છે ફૂલ, ત્વરિત પણ, ભ્રમર પુષ્પને કરતો, પ્રેમ છીએ અમે, રમાડો જે રમત, ખુશી આપની હો, મળે તમને ખુશી, ખુશ એમ છીએ અમે. નીશીત જોશી 04.11.15

हमारे दरमीयां अब भी, थोडा प्यार तो बचा होगा

12065569_882534091815814_2523912884738241020_n लिखा था जो खत तुम्हे, वो तुने पढा होगा, खुन था स्याही के बदले,वो तुझे पता होगा, नहीं हो हमारी किस्मत में तू, ये कहें कैसे, जरूर किसी ज्योतिषी ने, ऐसा कहा होगा, अंधेरो के नसीब भी होती है, जुगनू की रोशनी, मेरे भी नसीब में, खुदा ने कुछ तो लिखा होगा, हर कासीद को अब मालूम है, मेरा ठिकाना, खत के जवाब का इंतजार, सबको रहा होगा, मजबूरी का नाम देकर, तुमने रुखसत ली थी, हमारे दरमीयां अब भी, थोडा प्यार तो बचा होगा ! नीशीत जोशी 03.11.15

सभी मेरे अपने थे

12143338_10206503165011307_609629915204073428_n उम्रभर सतानेवाले भी सभी मेरे अपने थे, कब्र में सुलानेवाले भी सभी मेरे अपने थे, कत्ल करके इल्जाम किसी और पे लगाया, कातिल को बचानेवाले भी सभी मेरे अपने थे, तंज़ कसते थे साथ छूटने पे मेरे मुहिब्ब से, उसे दुल्हन सज़ानेवाले भी सभी मेरे अपने थे, साद की आश में दिल नासाद रहा मेरा हरदम, बोझ उसका बढानेवाले भी सभी मेरे अपने थे, फुर्सत न थी जिसे वो बैठे है पास मेरे जनाजे के, दिखाके अश्क बहानेवाले भी सभी मेरे अपने थे ! नीशीत जोशी 31.10.15

इश्क की किताब दे

12188897_880487508687139_618809939204630825_n तू आब-ए-दीदा दे, या वैसी कोई शराब दे, देना ही है मोहसिन मुझे, तो कोई अज़ाब दे, बैठा देते हो महफ़िल में, खामखाँ अक्सर, टूटे आईने को सवार ने, अब कोई शबाब दे, आकर चार्रागार कोई, इलाज़ करे ज़ख्मो का, नासूर, नाइलाज़ का, फैसला-ए-खिताब दे, हालात है नाज़ुक, मेरे सवालात भी बहुत है, जान-ए-जानम बने कोई, और मुझे जवाब दे, बाकी है बहुत सीखना, मुहब्बत के आलम में, ले जाके किसी मक्तबा में, इश्क की किताब दे !! नीशीत जोशी (आब-ए-दीदा=tears,अज़ाब=punishment, मक्तबा=library)28.10.15

प्यार हो जायेगा

12112404_10206469772976527_1121300194048723267_n हसीन हो तुम प्यार हो जायेगा, रफ्ता रफ्ता इज़हार हो जायेगा, कहीं हमें तुम छोड के ना जाना, तन्हाई में दिल बेकरार हो जायेगा, कहानी को उस मोड़ तक लायेंगे, जहाँ से लोटना दुस्वार हो जायेगा, अभी महफूज़ है दिल का आइना, जो टूटा तो दिल खार हो जायेगा, मुश्कुराते हुए वस्ल का लूफ्त लेना, हिज्र का लम्हा ख्वार हो जायेगा। नीशीत जोशी 24.10.15 खार=पत्थर, ख्वार=गरीब