મંગળવાર, 25 સપ્ટેમ્બર, 2012

एक ही इल्तजा

गुम हो कर किसी कुचे में खो जायेंगे ! मिटटी के है मिटटी में जब सो जायेंगे !! ख्वाइश थी, छू लिया बुलंदीओ को भी ! जमीं के थे और जमीं के ही हो जायेंगे !! नहला कर पहना दिया है नया लिबास ! रकीब भी अब करीब आ कर रो जायेंगे !! एक पौधा जिसे उखाड़ फेका है लोगो ने ! कोशिश करके प्यार का बीज बो जायेंगे !! एक ही इल्तजा रखी थी जो पूरी होगी ! तेरे थे, तेरे ही आगोश में अब सो जायेंगे !! नीशीत जोशी 24.09.12

यहाँ न करेगा कोई तुज पे रहम

यहाँ न करेगा कोई तुज पे रहम, पाल रखा है मन में यही भरम, सच्चाई की राह पे निकल पड़ो, न करना जमाने की कोई शरम, मिलेंगे हर रास्ते पर बड़े पत्थर. पर न कभी छोड़ना अपने करम, साथ आ जायेंगे तेरे वो रकीब भी, मुहोब्बत जता के रहोगे जो नरम, आग पे चलने की जो आदत होगी, सूरज की कड़ी धुप न लगेगी गरम | नीशीत जोशी 22.09.12

મન ને કહેજો

મન ને કહેજો કે આભે ઉડાવે નહી, ઉડાવી ઉડાવી ને બહુ નચાવે નહી, ક્યાંક પતંગ માફક કપાઇ જઇશું તો, કહેજો તેને સૌની સમક્ષ ચગાવે નહી, છો ઉડાવે ઉંચે આકાશે રાખીને ધ્યાન, પગ નીચેથી કદી જમીન હટાવે નહી, ઉડીને ભલે દેખાડે રાત્રે મધુર સપના, પણ કોઇના વિયોગે રાત જગાવે નહી, નાજુક છે મન એક ઝટકે તુટી પણ શકે, કહેજો તેને એ વ્યથા કોઇને બતાવે નહી. નીશીત જોશી 20.09.12

ऐसा हरबार नहीं होता

हर पहेलु का इन्तजार नहीं होता, ऐसा इश्क यूँ बार बार नहीं होता, कायल हो गए तेरी नजरो के हम, किसी और से हमें प्यार नहीं होता, मयकदेसे बिन पिए निकलू तो कैसे, आँखों के मय का इन्कार नहीं होता, शराफत का परदा रखा है आँखों में, सरेआम प्यारका इजहार नहीं होता, गुस्ताखी हो जाए तो मॉफ कर देना, हुआ है प्यार ऐसा हरबार नहीं होता, नीशीत जोशी 19.09.12

***शीर्षक अभिव्यक्ति" में उनवान ...."पवित्र /पावन" पर मेरी कोशिश***

ना कोई भी संग और न कुछ भी जायेगा साथ, खाली हाथ आये थे और खाली ही रहेगा साथ, जिस पिंजरेका रखके मोह बिगाड़ा जीवन सारा , बसा परिंदा उसमे,बिन कहे,समय पे,उड़ेगा साथ, मेरा-तेरा के बना लिए खुद ही ने नियम-क़ानून, जाने बाद तुम्हारे, हर कायदा भी भटकेगा साथ, न बैठते थे पलभर भी,वोह भी बैठेगे आज पास, देख खाली पिंजरा, आँखों को भी नम करेंगे साथ, पवित्र पावन बन जाओ, न बांधो कोई खोटे करम, इस जन्म के कर्मो का बोज उठाना पड़ेगा साथ ! नीशीत जोशी 18.09.12

પીંજરાનો ખાલીપો

નહી રહે કોઇ સંગાથ,કે ન કંઇ પણ જશે સાથે, ખાલી હાથે આવેલો અને ખાલી જ રહશે સાથે, જે પીંજરાનો રાખી મોહ,જીવન બગાડ્યુ આખુ, તેમાં વસેલુ પક્ષી,વીન કહ્યે,સમયે,ઉડશે સાથે, મારા-તારાના બંધારણ,ઘડી કાઢયા આપમેળે, તુજ ગયા બાદ,બનેલા કાયદા પણ ભમશે સાથે, નહતા બેસતા બે ઘડી,તે પણ બેસશે આજ પાસે, પીંજરાનો ખાલીપો જોઇ આંખોને નમ કરશે સાથે, બાંધે છે શાને કાજે રોજ નીત નવા સંચીત કરમો, આ જન્મે કરેલા કર્મોનો બોજ ઉપાડવો પડશે સાથે. નીશીત જોશી 18.09.12

कोई फर्क नहीं अश्क और पानी में

कोई फर्क नहीं अश्क और पानी में, आँखे बहती रही तेरी महेरबानी में, गुमसुदा हो गए तुजे पाने के वास्ते, मंजिल पा के भी खो गये जवानी में, हालत पर मेरी गौर ना करना अब, ये जिंदगानी बीतेगी तेरी दीवानी में, टुटा आयना जोड़ने का फन सिखा है, पर तुजे किस हक से डाले परेशानी में, समंदर डूबा न सका साहिल के डर से, मुझे अब डूबने देना आँखे के पानी में ! नीशीत जोशी 17.09.12

Muktak

अब और कितना ?

अब और कितना हमें तरसाओगे तुम ? कितने सितम कर हमें सताओगे तुम ? हर वक्त तेरा इम्ताहान देते रहे है हम, कितनी आज्माइश और बताओगे तुम ? हो जायेंगे जो फ़ना अपनी जिंदगानीसे, फिर किसकी खता सोच पस्ताओगे तुम ? सारा खिला चिलमन जो मुरजा जाएगा, फिर किस को देख कर मुश्कुराओगे तुम ? सो गए गर, मिली, दो गज जमीं के निचे, फिर किसे को, कितनी बार मनाओगे तुम ? नीशीत जोशी 16.09.12

શનિવાર, 15 સપ્ટેમ્બર, 2012

વાત યાદ આવી ગઇ

આજ અચાનક એ બધી યાદ આવી ગઇ, શૈશવકાળની હૈયે બધી વાત આવી ગઇ, વર્ષો વિત્યા ઇચ્છા છ્તા ન જઇ શક્યો હું, આજે સમક્ષ જ મુજ ફરીયાદ આવી ગઇ, મિત્રો હતા જે આજે ન જાણે ક્યાં ખોવાયા, ચોપાટ રમતા કાઢેલી હૈયે રાત આવી ગઇ, છુટ્ટી પડતી અને દોડ્યા જતા એ ઘર ભણી, આજ ફરી શેરીઓની હૈયે પુકાર આવી ગઇ, અચાનક જોઇ આ તસ્વીર 'ને હ્રદય તરસ્યુ, મુજ હાથો માં કલમ અને દવાત આવી ગઇ, મુજ જન્મ સ્થળ સાથે પુરાખાઓના સંસ્મરણો, આજ અચાનક આ બધી વાત યાદ આવી ગઇ. નીશીત જોશી 14.09.12

तुम व्यस्त हो

दिया था क्या सुदामा को तुने उसे उठाने में, दिया वही जो पाया भोले भक्तो के नजराने में, रखे थे गोपीओ के जो चिर चोर चोरके तुमने, दिए थे द्रोपदी को वही सब वस्त्र, बढाने में, गांठ से न कपिश को दिया ना विभीषण को, नाम के बादशाह तुम बन बैठे हो जमाने में, काम है तेरा उलट फेर करने का, मेरे प्रिये, फिर काहे को देर लगाते हो बिगड़ी बनाने में, राधा बैठी है पनधट पे आने के इन्तजार में, और तुम व्यस्त हो राजशाही बंसी बजाने में !!!! नीशीत जोशी 13.09.12

प्रतिकार लो

समय आ गया है युग, अब आकार लो, अत्याचारों से तुम ही अब प्रतिकार लो, आतंकवाद के डर से समाज जी रहा है, उसे नाश करने वो शक्ति से अधिकार लो, दिए थे जैसे शक्ति को देवो ने कई अश्त्र, तुम भी आतंक नाथने अश्त्र स्वीकार लो, फरिस्तोके भेष में आतंकी पल बढ़ रहे है, कुछ करने वास्ते तुम कुछ अंगीकार लो, हम सब साथ तेरे, देंगे पूर्ण सहयोग तुजे, बनके कृष्ण तुम इन कंशो से प्रतिकार लो ! नीशीत जोशी 12.09.12

"शीर्षक अभिव्यक्ति" में उनवान पर रचना...***परीक्षा /इम्तेहान/आजमाइश/कसौटी/जांच/जायजा/परख/आंकना/परीक्षण/मुआयना*** पर मेरी कोशिश

इम्तिहान दे के उसका नतीजा सुन लिया करो, जैसा भी हो नतीजा उसको स्वीकार किया करो, जैसी करी होगी तैयारी वैसा ही आएगा नतीजा, औरो को अपनी गलतियो का दोष न दिया करो, दिल को तस्सली दे देते हो इम्तिहान के बाद में, सिर्फ तस्सली पर रख कर भरोषा ना जिया करो, आत्महत्या कोई विकल्प नहीं, वो है बुद्जीली, आत्मविश्वाश बढ़ा कर आये गम को पीया करो, महेनत करो, आयेगा अपने आप सामने नतीजा, जिन्दगी के हर इम्तिहान का सामना किया करो ! नीशीत जोशी 11.09.12

જીવી જઇશું જીવન

જીગર આપ્યુ તુજને,હવે જીવ માંગશો તો તે પણ આપીશું, સાત જન્મની જાણ નથી, આ જન્મે પુરો સાથ નીભાવીશું, કરીશું અમે અપાર પ્રેમ 'ને પુરા કરીશું સમસ્ત કોડ તુજના, પ્રેમીપંખીડા નુ સુમધુર ગાન બની લોકોના અધરે આવીશું, નહી આવવા દઇએ એક ટીપુ પણ અશ્રુનુ તુજ નયનો થી, મુજ નસીબના સુખ આપી તુજના સર્વ દુઃખોને અપનાવીશું, રિસાઇ જજે પણ હર વખતે માની જવાની એક જ એ શરતે, જ્યારે પણ રિસાઇ જઇશ ત્યારે દોડી આવી તુજને મનાવીશું, એક વાર્તાના બની કિરદાર જીવી જઇશું જીવન આપણે બન્ને, જીવતરની પ્રેમ માંહી અમુલ્ય ક્ષણો કેમ વીતાવવી જણાવીશું . નીશીત જોશી 10.09.12

हम उन में से नहीं जो छोड़ देते है मजधार

हमें इस कदर आजमाओगे तो डर जायेंगे, मंजिल पाके रूठ जाओगे तो बिखर जायेंगे, चाँदनी खिली है, चाँद बेताब है मिलने को, हमें इस मौसममें न मिले तो किधर जायेंगे, जीने की आरजू भी ना रहेगी तेरे बगैर हमें, यूँ ठुकराके गर चले जाओगे तो मर जायेंगे, गुजारिश कुबूल कर लेना मुहोब्बत करनेकी, तुम्हारा प्यार मिल जाए तो निखर जायेंगे, हम उन में से नहीं जो छोड़ देते है मजधार, थाम लिया जो हाथ, कभी न मुकर जायेंगे | नीशीत जोशी 09.09.12

રવિવાર, 9 સપ્ટેમ્બર, 2012

आदत बन गयी है

उदास रहने की अब आदत बन गयी है, तेरी याद अब मेरी इबादत बन गयी है, जी भर के देख लेता तो कुछ ना होता, यूँ अब तुजे देखना क़यामत बन गयी है, महेफिल से उठ के चले जाने का फितूर, तेरी फितरत अब इजाजत बन गयी है, एक खता हमने की मुहोब्बत करने की, अब विरह की राते लताफत बन गयी है, ये जिन्दगी बगैर तेरे हो गयी है दुस्वार, अब कब्र में लेटना ख़जालत बन गयी है | नीशीत जोशी लताफत =pleasantness, ख़जालत=auspicious, happy 07.09.12

કેવા વાયરા વાય છે

આવા જમાનામાં ગરીબોનો કોણ બેલી થાય છે, ન જરૂરત હોવા છતાં અમીરોને ત્યાં સૌ જાય છે, ભુખ્યો ટળવળે ભલેને બીચારો ગરીબ રાત દિન, અમીરો રોજ સાંજ પડ્યે મહેફિલ સજાવી ખાય છે, ગરીબ દિવો બાળવા કાજે ઝઝુમે કાળી મજુરી કરી, અમીરો આ વાતને ટાળવા મંદી ના ગાણા ગાય છે, દબાયો બીચારો ગરીબ મોંઘવારીના અસહ્ય બોજથી, જ્યારે અમીરો કાજે મોંઘવારીનો પહાડ લાગે રાય છે, ઇશ્વરે બનાવ્યો માનવ,'ને માનવે બનાવ્યો આ સમાજ, તેમ છતાં બીભસ્ત સમાજમાં આ કેવા વાયરા વાય છે. નીશીત જોશી 06.09.12

सब्र अब कैसे करे?

इस दिल के शहर को बेदर्दी से, बे-शहर कर दिया तुमने, खुदा से मागी दुआओं को भी, बे-असर कर दिया तुमने, मुन्तजिर बना के रख दिया पूरी जिंदगानी को हमारी, इन्तजार की सोच से भी हमें, बे-खबर कर दिया तुमने, यूँ तो रहते थे तुम्हारी गलियों में अहेसास न था घरका, किसी और का घर बसा कर हमें बे-घर कर दिया तुमने, आयना दिखाया था तुम्हे, खुद को पहेचानने के वास्ते, पहेचान के बावजूद खुद ही को, बे-नजर कर दिया तुमने, सब्र अब कैसे करे? कब्र तक पहोच गयी मंजिल हमारी, आने का वादा करके आये नहीं, बे-सबर कर दिया तुमने | नीशीत जोशी 05.09.12

"शीर्षक अभिव्यक्ति" में उनवान ***ईश्वर/भगवान/परमात्मा/ईश/प्रभु/परमेश्वर/परमेश/मालिक/खुदा/अल्लाह/खुदाबंद/रब***पर मेरी कोशिश

ऐ खुदा, मुज पर तेरी नवाजिश कर, बरसो पुरानी पूरी मेरी ख्वाइश कर, तड़पन भी पड़ने लग जाए कमजोर, मेरी अब तो ऐसी न आज्माइश कर, दीदार दे कर बरसाओ रहम मुज पर, खिल उठे ये चहेरा ऐसी आरइश कर, आया हूँ मैं कही और न जाने के लिए, दुसरे दर पे जाने की न फरमाइश कर, मेरा रब, मेरा खुदा, मेरी तड़प, तू ही तू, मेरे उपर तू अब आरुल की बारिश कर| नीशीत जोशी (आरइश = decoration, आरुल = blessing of God) 04.09.12

घर

रहते है अपने ही घरमें उन कुछ अन्जानों के बिच, जिंदगानी के पन्ने पलटते रहते है दिवानो के बिच, मुराद सब की बड़ी होती रहती है हरदम इस घरमें, उलजती जाती है ये जिन्दगी अपूर्ण सपनों के बिच, मिटटी के घर में लोग रहते है वो भी तो मिटटी के, उपरवाला सब को बहलाता है उन खिलौनों के बिच, सबको एक साथ बांधके रखनाभी हो रहा है दुस्वार, कुछ रकीबभी साथ मिल गए है घरमें अपनो के बिच, घर को मंदिर कहना आसान है पर बनाना मुश्किल, कहते है ना,फरिस्ते नहीं आते कभी हैवानो के बिच ! नीशीत जोशी 03.09.12

શનિવાર, 1 સપ્ટેમ્બર, 2012

કોઇની વ્યથા કોઇ ક્યાં લઇ શકે છે

કોઇની વ્યથા કોઇ ક્યાં લઇ શકે છે, એ તો દિલ છે જે ફક્ત સહી શકે છે, આંખોની ઉર્મીઓને રહેવા દો અંદર, આંખોથી તો ઉર્મી ફક્ત વહી શકે છે, રસ્તાઓને કહો જરા એ પણ ચાલે, મુજ કદમ તો ફક્ત રસ્તે જઇ શકે છે, બજારની સજ્જાને જોઇ અચંબો કેમ, ત્યાં વસનાર જે છે બધુ લઇ શકે છે, માટીના છે ખોવાય જવાના માટીમાં, છેલ્લી નીંદરે સ્વપ્નય દગો દઇ શકે છે . નીશીત જોશી 31.08.12

आखरी बार

आखरी बार मुझे उनसे मिलने जाने दो, नजरोसे सही आखरी बार प्यार पाने दो, सुर्ख आँखों ने दीदार की तम्मना की थी, आखरी बार आँखोंसे जाम पी के आने दो, जख्म खुरच के जख्म को रखे है जिन्दा, आखरी नींदसे पहले और जख्म खाने दो, सांस टूटने को है मुझे थोड़ीसी मोहलत दे, आखरी बार ही एक धड़कन उधार लाने दो, हाथकी लकीरोंमें शायद नाम न हो उनका, आखरी बार खुद की तकदीर आजमाने दो, हर मर्तबा हमने की उनकी महेफिल रोनक आखरी बार उनके नाम की ग़ज़ल गाने दो | नीशीत जोशी 30.08.12

હશે કોઇ

હશે કોઇ જે તુજને ચાહતુ હશે, હશે કોઇ જે તુજને ગમતુ હશે, પ્રેમપંથ ના હશે કોઇ રાહગીર, જે તુજ હર અદાએ નમતુ હશે, પહોચશે જરા પણ દુઃખ હ્રદયે, કોઇ તુજ કાજે અશ્રુ સારતુ હશે, તુજ નાની મુશ્કાન જોઇને પણ, હશે કોઇ જે તુજ સંગ હસતુ હશે, હશે ચાહનાર ઘણા તુજના અહીં, હશે એક જે પોતાનુ માનતુ હશે. નીશીત જોશી 29.08.12

आना छोड़ दे

उन हसीं ख्वाबो को कह दो, आना छोड़ दे, रातभर आ आ कर हमें यूँ, सताना छोड़ दे, न कोई शाकी,न पैमाना,न चराग जलाएगा, कोई उनसे कह दो महेफिल सजाना छोड़ दे, बैठे है फूलो के बिच शहर-ए-खामोशा में जैसे, कोई उनसे कहे दो ख्वाइश में, पाना छोड़ दे, मुन्तजिर था तब, न आने के बहाने बना लिए, अब आँखे बंध हुयी, जज्बात जताना छोड़ दे, अब बहारो में भी पतजड़ का अहेसास होगा, वीरान है अब वहां के रास्ते,वहां जाना छोड़ दे ! नीशीत जोशी 28.08.12

देखना है

अपना बनाने की ख्वाइश इस दिल में है, देखना है जोर कितना उस कातिल में है, कदम बढ़ा चुके है हम प्यार की राह पर, देखे किसकी राह कितनी मुश्किल में है, मदहोश बना देंगे बेपन्हा प्यार करके उसे, देखेंगे किसका दिल किसके हासिल में है, बचा लेंगे मजधार से तैर के समंदर भी, देखेगे जोर समन्दर में है या साहिल में है, तूफ़ान में भी चराग जलाया तेरे नाम का , देखे जोर तूफ़ान में है या तेरी महेफिल में है ! नीशीत जोशी 27.08.12

मैं तुजे क्या कहू

तुजे सूरज कहू या चाँद कहू, तू ही बता मै तुजे क्या कहू, अगन है सूरज में, ठंडक है वो चाँद में, लगे डर आग से, ठण्ड से लगे शीत, अब तू ही बता में तुजे क्या कहू, तुजे हवा कहू या दिया कहू, तू ही बता मैं तुजे क्या कहू, हवा लहेराती चली जायेगी, बाटी भी कभी बुज जायेगी, जाने से होगे उदास,बुजना लगे खराब, अब तू ही बता मैं तुजे क्या कहू, ना बता तू, चल, मैं ही कह देता हु, तू मेरा हमसाया,हमराज,तू ही मेरा हमसफ़र, तू मेरा महेबुब, तू ही तो मेरा रहमतगर, तू ही मेरा प्यार, तेरे साथ रहू जीवनभर !!!!!! नीशीत जोशी 26.08.12