શનિવાર, 17 જુલાઈ, 2010

तेरी याद

जब तु नही तब तेरी याद आती है,
चारो पहर आ वोह मुजे सताती है,

फुलो के आहोश मे बैठती थी तु,
गुलदस्ता बन याद तेरी मुश्कराती है,

मधुर चांदनी मे बठते थे छत पर,
सीतारोसे सजी याद आसमां सजाती है,

खो जाते है गम मे आयेदिन,
आती है तेरी याद हमे हसाती है,

दे देते है तस्सल्ली अपने दिलको,
तु नही तो क्या, तेरी याद तो आती है ।

नीशीत जोशी

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