શુક્રવાર, 30 જુલાઈ, 2010
आ जाओ एकबार
बीन मांगे दिया है सब कुछ उतनी मेरी औकात नही,
फिर और क्या मांगे तुजसे मुजमे और ताकात नही,
टेढे मेढे रास्ते से गुजर रहा है कारवां मेरा जैसेतैसे,
राहदार बन तु खडा है इससे बडी कोई सौगात नही,
सुना है मशहुर हो तुम और आदतभी दिल चुरानेकी,
यह दिल भी तेरा हो जाये इससे बडी कोई बात नही,
नादान है हम नही जानते कोई यतन तुजे रिझाने का,
आ जाओ एकबारमे बुलाने पे इससे बडी किस्मत नही ।
नीशीत जोशी
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો