બુધવાર, 21 જુલાઈ, 2010

तेरी राधा


युं न पकडो मेरी कलाई मुड जायेगी,

लोगो की नजर मुज पर पड जायेगी,

तेरे बुलाने पे न रुक पाउं कभी,

पायलकी खनक किसी कानोमे पड जायेगी,

न बजाना बंसी रात ढले तट पे,

सुधखोयी सब गोपीआ बदनाम हो जायेगी,

न सताना और अब मुजे मेरे प्यारे,

तेरी राधा कही फिर तुजमे समा जायेगी ।

नीशीत जोशी

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