युं न पकडो मेरी कलाई मुड जायेगी,
लोगो की नजर मुज पर पड जायेगी,
तेरे बुलाने पे न रुक पाउं कभी,
पायलकी खनक किसी कानोमे पड जायेगी,
न बजाना बंसी रात ढले तट पे,
सुधखोयी सब गोपीआ बदनाम हो जायेगी,
न सताना और अब मुजे मेरे प्यारे,
तेरी राधा कही फिर तुजमे समा जायेगी ।
नीशीत जोशी
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