રવિવાર, 17 એપ્રિલ, 2016

फिर बात कोई भी हो

हर किसीसे मुहब्बत में, बांदा-ए-चश्म पिया नहीं जाता, कर तो लेते है मुहब्बत, फिर तन्हाई में जिया नहीं जाता ! इश्क़ के इजाद करनेवाले कि, बडी ही ग़जब कारीगरी है, कत्ल तो होता है, पर कातिल गिरफ्तार किया नही जाता ! छू लिया था मैंने उनका हाथ, सबील पे मशिक लेते लेते, अब तो उस हाथ को भी, किसी और को दिया नही जाता ! बन के खादिम, बसा लेते है, खूबान की इक तस्वीर दिल में, गर मायूब हो जाए, मुसव्विर से भी ठीक किया नहीं जाता ! प्यार में वो लब-ओ-लहजा भी लतीफ़ से हो जाते है 'नीर', फिर बात कोई भी हो,किसी और का नाम लिया नहीं जाता ! नीशीत जोशी 'नीर' (सबील=place of drinking water, मशिक=water bag, मायूब=difective, मुसव्विर=painter, लतीफ़=fine) 11.04.16

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