રવિવાર, 20 નવેમ્બર, 2016

पहले मुहब्बत कर

अमां पहले मुहब्बत कर, गजल की फिर इबारत कर ! मेरे दिल में तू रह बेशक, मगर कुछ तो शराफत कर ! कभी आ कर मुझे बहला, कभी तू भी शरारत कर ! तुझे ही दिल दिया मैंनें, उसे रखना अमानत कर ! रहूँ खुश दोस्ती से मैं, न देकर ग़म अदावत कर ! नीशीत जोशी (इबारत=composition,अदावत= दुश्मनी)

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