શુક્રવાર, 30 જુલાઈ, 2010
आ जाओ एकबार
बीन मांगे दिया है सब कुछ उतनी मेरी औकात नही,
फिर और क्या मांगे तुजसे मुजमे और ताकात नही,
टेढे मेढे रास्ते से गुजर रहा है कारवां मेरा जैसेतैसे,
राहदार बन तु खडा है इससे बडी कोई सौगात नही,
सुना है मशहुर हो तुम और आदतभी दिल चुरानेकी,
यह दिल भी तेरा हो जाये इससे बडी कोई बात नही,
नादान है हम नही जानते कोई यतन तुजे रिझाने का,
आ जाओ एकबारमे बुलाने पे इससे बडी किस्मत नही ।
नीशीत जोशी
બુધવાર, 21 જુલાઈ, 2010
तेरी राधा
युं न पकडो मेरी कलाई मुड जायेगी,
लोगो की नजर मुज पर पड जायेगी,
तेरे बुलाने पे न रुक पाउं कभी,
पायलकी खनक किसी कानोमे पड जायेगी,
न बजाना बंसी रात ढले तट पे,
सुधखोयी सब गोपीआ बदनाम हो जायेगी,
न सताना और अब मुजे मेरे प्यारे,
तेरी राधा कही फिर तुजमे समा जायेगी ।
नीशीत जोशी
સોમવાર, 19 જુલાઈ, 2010
पास मेरे रखा दिल तेरा है
दिलमे न कोई ख्वाईश न मिलन तेरा है..
खुदा कसम जो था मेरा अब सब तेरा है..
जहर पी लेते थे दिया तौफा समजकर,
सब जहर बिनासर हुआ बस असर तेरा है..
नही है कोई रंजिस तुमसे मगर क्या करे,
लगा जो घाव दिलमे तीर निशाना तेरा है..
शायद बन गये होते कब्र के बासिंदा,
तेरी अमानतसा पास मेरे रखा दिल तेरा है..
नीशीत जोशी
શનિવાર, 17 જુલાઈ, 2010
तेरी याद
जब तु नही तब तेरी याद आती है,
चारो पहर आ वोह मुजे सताती है,
फुलो के आहोश मे बैठती थी तु,
गुलदस्ता बन याद तेरी मुश्कराती है,
मधुर चांदनी मे बठते थे छत पर,
सीतारोसे सजी याद आसमां सजाती है,
खो जाते है गम मे आयेदिन,
आती है तेरी याद हमे हसाती है,
दे देते है तस्सल्ली अपने दिलको,
तु नही तो क्या, तेरी याद तो आती है ।
नीशीत जोशी
चारो पहर आ वोह मुजे सताती है,
फुलो के आहोश मे बैठती थी तु,
गुलदस्ता बन याद तेरी मुश्कराती है,
मधुर चांदनी मे बठते थे छत पर,
सीतारोसे सजी याद आसमां सजाती है,
खो जाते है गम मे आयेदिन,
आती है तेरी याद हमे हसाती है,
दे देते है तस्सल्ली अपने दिलको,
तु नही तो क्या, तेरी याद तो आती है ।
नीशीत जोशी
ગુરુવાર, 15 જુલાઈ, 2010
ન કહેતા પાછા
હ્રદયથી હવે કાગળ પર ઉતરી ગયા,
શબ્દો બનીને એ ધબકાર ધબકી ગયા,
વરસાદી વાયરા છે હજી મૌસમમા,
ન કહેતા પાછા કાગળ પીગળી ગયા,
સંભાળજો ભલે ઉતાર્યા કાગળ પર,
ન કહેતા પાછા અમે તો વીસરી ગયા.
નીશીત જોશી
શબ્દો બનીને એ ધબકાર ધબકી ગયા,
વરસાદી વાયરા છે હજી મૌસમમા,
ન કહેતા પાછા કાગળ પીગળી ગયા,
સંભાળજો ભલે ઉતાર્યા કાગળ પર,
ન કહેતા પાછા અમે તો વીસરી ગયા.
નીશીત જોશી
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