
जलता चराग को हवा क्या करेगी ?
आईने के सामने अदा क्या करेगी ?
हो हौसला उड़ान का उन परिंदो को,
क़फ़स की पाबंधी नया क्या करेगी ?
जो हो फितरत से ही मसरूर यहाँ,
उसे अंजुमन की खफा क्या करेगी ?
तालीम पायी हो जिसने बेवफाई की,
माशूक़ होते हुए भी वफ़ा क्या करेगी ?
खाया हो धोका जिसने हरबार इश्क़ में,
जिंदगी उसे मौत दे के दगा क्या करेगी ?
नीशीत जोशी 18.01.15
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો