ગુરુવાર, 5 ફેબ્રુઆરી, 2015
बामुश्किल झिझक हटी है अभी !!!!
कोई तो बात बनी है अभी,
पायल यहाँ खनकी है अभी,
देख के चाँद को गलिओं में,
तिश्नगी दिल में उठी है अभी,
वो वादियों में बन के खुशबू,
पूर-जोश यहाँ महकी है अभी,
जगा के ख्वाबो से, दोस्तों ने,
बताया चाँदनी खिली है अभी,
आग़ोश में भर लेते उसे मगर,
बामुश्किल झिझक हटी है अभी !!!!
नीशीत जोशी 28.01.15
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