ગુરુવાર, 5 ફેબ્રુઆરી, 2015

न जानते थे कोई भी सुखन लिखना

तुने अलविदा कहने की जरुरत समझी, मिरे अश्को ने बहने की जरुरत समझी, न जानते थे कोई भी सुखन लिखना, कलम ए दर्द ने चलने की जरुरत समझी, नहीं करते सौदाई ईश्क के बाजार में, तुने प्यार में तजारत की जरुरत समझी, रुसवा हो के मुहँ फेर लेते हो अब तो, हमने तो तुझ में ढलने की जरुरत समझी, वापस लौट के आना तू मनाने पे मेरे, हमने सिर्फ़ प्यार करने की जरुरत समझी ! नीशीत जोशी 05.02.15

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