બુધવાર, 21 સપ્ટેમ્બર, 2016

भीगते है साथ हम उसका निभाने के लिए

2122 2122 2122 212 इंतजाम कुछ दर्द का हमसे कराने के लिए, जिंदगी में आ गया वो ये बताने के लिए, झख्म दे कर कह रहे है कुछ नहीं उसने किया, घाव हमने तब खुरेचे खूँ दिखाने के लिए, शाम होते वस्ल की यादें करे हैराँ मुझे, और शब भर ख्वाब आते हैं सताने के लिए, आसमाँ भी रो रहा है आज तुम भी देख लो, भीगते है साथ हम उसका निभाने के लिए, ख्वाहिशों ने फिर बढा दी बेकरारी कुछ यहाँ, भागती होगी वहाँ दिल की राह पाने के लिए ! नीशीत जोशी

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