મંગળવાર, 13 સપ્ટેમ્બર, 2016

आँख भर आई

१२१२ ११२२ १२१२ २२ ग़मों ने शोर मचाया तो आँख भर आई, अजाब दिल तक आया तो आँख भर आई, मुहाल है अब जीना मेरा बगैर उसके, उसे ये दर्द सुनाया तो आँख भर आई, सज़ा सुना कर ऐसा किया मुझे तन्हा, उसे दिया जो वकाया तो आँख भर आई, अदीब गर हो लिखो प्यार की गझल कोई, ये इल्म जो समझाया तो आँख भर आई, किसे किसे दिखलाता मेरे वो झख्मो को, उसे ज़रा सा दिखाया तो आँख भर आई ! नीशीत जोशी (अजाब=trouble, वकाया= news of accident) 31.08.16

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