શનિવાર, 4 ઑક્ટોબર, 2014

ऐसी तो न थी

11-28_MaiKuraki-SilentLove गूंगी थी, मगर वो बात, ऐसी तो न थी, आँखों से हुई, वो बरसात, ऐसी तो न थी, तबस्सुम ने, बाँध रखा था, महफ़िल में, जश्न में, जो गुजारी रात, ऐसी तो न थी, चश्म-बरा में, उलजे रहे हम यूँ ही,मगर, कसक से, जो हुयी नजात, ऐसी तो न थी, खेलते रहे बाज़ी, उनकी ही, ख़ुशी के लिए, वो, जीती बाज़ी की मात, ऐसी तो न थी, कह के नागवार, कर दिये जख्म, हर शब्ज, नासूर, घावों की सबात, ऐसी तो न थी !!!! नीशीत जोशी (तबस्सुम= smile , चश्म-बरा= waiting to welcome, नागवार= unpleasant, unbearable, सबात= stability) 28.09.14

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