રવિવાર, 28 સપ્ટેમ્બર, 2014
तेरी हसी देखी है
तेरे शहर में वालिहाना दीवानगी देखी है,
जादू की छड़ी तो नहीं, तेरी हसी देखी है,
होती होगी जन्नत में नायाब से नायाब,
यहीं पे हमने तो एक अहद परी देखी है,
बिन तेरे हर महफ़िल अधूरी रहती होगी,
देखते ही तुझे दीवानो में तफरी देखी है,
न रखना खुद को तुम परदे में कभी यहाँ,
दीदार न होने पे हर आँखों में नमी देखी है,
तमन्ना है सबकी तुझसे गुफ्तगू फरमाये,
खाइश पूरी न होने पे पज़मुर्दागी देखी है,
नीशीत जोशी (वालिहाना= in madness, अहद= unique, पज़मुर्दागी= sadness) 24.09.14
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