શનિવાર, 1 નવેમ્બર, 2014
उनके पास वफ़ा का हुनर न था
हमारी उदासी से वोह बेखबर न था,
पर उनके पास वफ़ा का हुनर न था !!
डूब तो जाता वोह भी तन्हाई में पूरा,
हमारे जैसा प्यार गहरा मगर न था !!
हमराही समझ कर हम साथ हो लिए,
हमारे साथ उनका मसरूर सफर न था !!
बैठते दो पल तो शायद कुछ बात होती,
कुछ सुनने का उनको तो सबर न था !!
मुन्तज़िर रखा हरदम प्यार जता के,
पर हालात का उन पे कोई असर न था !!
नीशीत जोशी 15.10.14
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