ગુરુવાર, 5 ફેબ્રુઆરી, 2015
न जानते थे कोई भी सुखन लिखना
तुने अलविदा कहने की जरुरत समझी,
मिरे अश्को ने बहने की जरुरत समझी,
न जानते थे कोई भी सुखन लिखना,
कलम ए दर्द ने चलने की जरुरत समझी,
नहीं करते सौदाई ईश्क के बाजार में,
तुने प्यार में तजारत की जरुरत समझी,
रुसवा हो के मुहँ फेर लेते हो अब तो,
हमने तो तुझ में ढलने की जरुरत समझी,
वापस लौट के आना तू मनाने पे मेरे,
हमने सिर्फ़ प्यार करने की जरुरत समझी !
नीशीत जोशी 05.02.15
જલાવી દીવો હવે કેમ ઓલાવે છે ?
ફરી પાછો જન્મદિન આવે છે,
જૂની પળોની યાદ તડપાવે છે,
વર્ષ એક ઓછા થયું તેને ભૂલી,
નવ-વર્ષને આશા ભરમાવે છે,
સોગાતો ભેગી કરી ઘણી તેની,
આપવું છે જે તે ક્યાં જણાવે છે,
તરસે મુજ હૃદય પામવા હૃદય,
તેને ક્યાં સોગાત રૂપે લાવે છે,
મુજને રડાવી બીજા સંગ ગુફ્તગૂ,
લાગે છે રહે પડખે તેઓ ફાવે છે,
સાથ એક જન્મદિને તો તે આપે,
જલાવી દીવો હવે કેમ ઓલાવે છે ?
નીશીત જોશી 03.02.15
बामुश्किल झिझक हटी है अभी !!!!
मेरे दिल में ही बसता होगा
वह भी कहीं मेरे जैसे ही आहें भरता होगा,
पता करना वह मेरे जैसे ही तड़पता होगा,
ढूँढ लेना उसे किसी बागो में फूलो के बीच,
वह वहीँ खुशनुमा वादीओ में महकता होगा,
मुश्किल होगी काट पाना ये जिंदगी अकेले,
जैसे मैं मरता हूँ वह भी हर पल मरता होगा,
ढूंढना उसे महफ़िल में चरागों के आस पास,
यक़ीनन वह परवानो के जैसे जलता होगा,
ना ढूँढ पाओ अगर उसे हाथो की लकीरो में,
तो मान लेना वह मेरे दिल में ही बसता होगा !!!!
नीशीत जोशी 23.01.15
क्या करेगी ?
जलता चराग को हवा क्या करेगी ?
आईने के सामने अदा क्या करेगी ?
हो हौसला उड़ान का उन परिंदो को,
क़फ़स की पाबंधी नया क्या करेगी ?
जो हो फितरत से ही मसरूर यहाँ,
उसे अंजुमन की खफा क्या करेगी ?
तालीम पायी हो जिसने बेवफाई की,
माशूक़ होते हुए भी वफ़ा क्या करेगी ?
खाया हो धोका जिसने हरबार इश्क़ में,
जिंदगी उसे मौत दे के दगा क्या करेगी ?
नीशीत जोशी 18.01.15
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