રવિવાર, 20 સપ્ટેમ્બર, 2015

हमने आश लगा रखी है

11889516_1018252958219971_8352683862812137416_n हद्द कर दी सितमगर ने सितम ढाने की, ठुकरा के मुहब्बत मेरी शब कर जाने की, लगा रखी है महेंदी दूजे के नाम की,और, करते है ताक़ीद बार बार जहर खाने की, खिलाते है कसम उन्हें भूलने की हमे,और, बिन उनके खुशहाल जिंदगी लाने की, वह करते रहे नफरत हमसे रक़ीब की तरह, हमने ख्वाइश रखी उन्हींसे प्यार पाने की, समझ गया है क़ासिद भी झूठे वादो का सबब, फिर भी हमने आश लगा रखी है उनके आने की !! नीशीत जोशी 16.09.15

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