રવિવાર, 20 સપ્ટેમ્બર, 2015
मेंरा पेशा था हसाने का
मौका था बातें बताने का,
टूटा आईना दिखाने का,
फुर्सत ना पायी कभी रोने की,
मेंरा पेशा था हसाने का,
दास्ताँ ख़ूबां की कहें ना कोई,
इल्जाम पाया दिल जलाने का,
ना थी तवक़्क़ो ये हश्र की,
हस हस के रोना जताने का,
फुर्सत ना पायी जिगर रोंदने की,
पेशा था वादा निभाने का,
तेरी अज़मत ले मुझे आयी है,
होगा इंतजाम दिल बसाने का !!
नीशीत जोशी
(ख़ूबां= sweethearts, तवक़्क़ो= expectation, अज़मत= greatness) 11.09.15
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