રવિવાર, 22 મે, 2016
रूह पाक रख कर, उसे बुलाया जा सकता है
देकर उसे प्यार, बचाया जा सकता है,
बज्मे तन्हाई से, हटाया जा सकता है !
सिर्फ याद करने भर से, मिलती नहीं मुहब्बत,
जज्बात जता कर, मुहिब्ब पाया जा सकता है !
रो रहे है मुन्तज़िर, आँखों का वास्ता देकर,
उसे हसाने, दिलबर से मिलाया जा सकता है !
बहुत हुआ अब, भाषण गरीबी के खिलाफ,
रोटी का कोई इन्तजाम, कराया जा सकता है !
करते हो जुर्म, लडकी को कोख में मार कर,
जहन्नुम में, बेहद सताया जा सकता है !
गर चाहो तो, खुदा भी मिल जाएगा जहाँ में,
रूह पाक रख कर, उसे बुलाया जा सकता है !
नीशीत जोशी 20.05.16
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