શનિવાર, 23 જુલાઈ, 2016

आँखें मगर आंसू मेरे, बहने नहीं देती कहीं

2212 2212 2212 2212 जीने नहीं देती मुझे, मरने नहीं देती कहीं, यादें तेरी अब तो मुझे, बसने नहीं देती कहीं, गूंगे रहे अल्फाज, खोले भी नहीं हमने कभी, खामोश हूँ तो, इश्क वो करने नहीं देती कहीं, उम्मीद को भी छोड कर, जाने लगे है हम कहाँ, मौजूदगी अब तो तेरी, चलने नहीं देती कहीं, रोने मुझे दे तो, बहा दूँ मैं समंदर आँख से, आँखें मगर आंसू मेरे, बहने नहीं देती कहीं, हम हौसले से ही बना लेंगे नसीबा भी यहाँ, अब तो फकीरी भी मेरी डरने नहीं देती मुझे ! नीशीत जोशी 07.07.16

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