हाथ बटाना तो चाहिए
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221-2121-1221-212
रूठे को एक बार बुलाना तो चाहिए,
शिकवे गिले को दिल से मिटाना तो चाहिए !
इक दूसरे के ग़म को हमें बाँटकर यहाँ,
इंसानियत का कर्ज चुकाना तो चाहिए !
खामोशियाँ ही तेरी रुकावट है राह में,
जब हो गया है प्यार जताना तो चाहिए !
जाने बग़ैर कैसै भला साथ देते हम,
क्या झूट और सच है बताना तो चाहिए !
उड जाएगा कफ़स को परिन्दा ये तोड कर,
मालूम उसका हौसला होना तो चाहिए !
माँ बाप तो ज़ईफ हैं अब उनके काम में,
ए 'नीर' तुझको हाथ बटाना तो चाहिए !
नीशीत जोशी 'नीर'
(ज़ईफ - कमज़ोर)
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