સોમવાર, 20 એપ્રિલ, 2009




क्या परदा है की चीलमन से लगे बैठे हो,
साफ छुपते भी नही और दीखाय भी देते हो,
थोडी सी जलक दीखा दो मुजे,
क्यो परदे में छुप रहते हो,
क्या राझ है तेरे छीपने में,
क्यो छीप छीप कर मुश्काते हो,
क्या परदा है की चीलमन से लगे बैठे हो,
साफ छुपते भी नही और दीखाय भी देते हो |

ॐńíکhít jőکhíॐ

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