શુક્રવાર, 4 સપ્ટેમ્બર, 2009

चल कही अब दुर तुजे ले जाये

चल कही अब दुर तुजे ले जाये

इस जहां से उस जहां ले जाये

ना होगी कोइ जुस्तजु

ना रहेगी कोइ आरजु

तुम और मै की दुनीया मे ले जाये

चल कही अब दुर तुजे ले जाये

ना होगी नफरते वहां

ना होगी कोइ झंजटे वहां

प्रेम के देशमे तुजे ले जाये

चल कही अब दुर तुजे ले जाये

तुम होगे और में बस वहां

करेंगे गुफ्तगु हम बस वहां

इस चमनसे पार तुजे ले जाये

चल कही अब दुर तुजे ले जाये


नीशीत जोशी

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