શનિવાર, 12 એપ્રિલ, 2014

दास्ताँ-ए-दर्द को दोहराया न करो

scale.php दास्ताँ-ए-दर्द को दोहराया न करो, बेवफाई का ज़हर पिलाया न करो, मारूफ हुआ शहर इश्क़ के चर्चे से, दावत दे मुझे वहाँ बुलाया न करो, मुश्किल में आ जायेगी शानोशौकत, खादिम कहके पास बैठाया न करो, वस्ल को हिज्र में बदल दोगे तुम तो, वायदो में फिर से उलझाया न करो, भूल चुके है हसना अब ज़िंदगी में, नाम दे कर इश्क़ का रुलाया न करो !!!! नीशीत जोशी (मारूफ= प्रसिध्ध) 06.04.14

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