શનિવાર, 23 મે, 2015

बुलाने पे मेरे कभी तो आया करो,

बुलाने पे मेरे कभी तो आया करो, अकेला छोड के यूँ ना जाया करो, दीवारो पे लगी खामोश है तस्वीर, कभी दास्ताँ में उसे भी लाया करो, ज़ब्त में नहीं रहते जज्बात दिल के, बेचारे दिल को ऐसे ना रुलाया करो, दर्द भी पार कर लेता है हद अपनी, ऐसे सितम अब मुझ पे ना ढाया करो, तसव्वुर भी दम तोडता है महफिल में, मौजूदगी जताने ही सही, आया करो !!!! नीशीत जोशी 14.05.15

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