શનિવાર, 23 મે, 2015

जगा दिया ख्वाब से

5140868327_4d22673ca4_o किसने जगा दिया हमे हमारे ख्वाब से, वस्ल थी हमारी मुहब्बत के हिसाब से, आते नहीं ऐसे तो वह हक़ीक़त में रूबरू, ख्वाब ने नजात दिलायी तन्हाई के अज़ाब से, फेर रहे थे उंगलियां गेसुओं में उनकी, हम हो गए निहाल उनके इश्क़ के ताब से, महक रही थी वादीओ में खुश्बू उनकी, लगा के गाझा, सजे थे वह गुलाब से, हुआ था शुरू अभी तो राझ-ओ-नियाझ, किसी हसद ने तभी जगा दिया ख्वाब से !!!! नीशीत जोशी (अज़ाब= punishment, ताब= power, हसद= envy) 22.05.15

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