રવિવાર, 20 સપ્ટેમ્બર, 2015
जरूरी तो नहीं
हर वाकिया हर किसीको बताया जाए जरूरी तो नहीं,
किसी पराये को अपना बनाया जाए जरूरी तो नहीं,
राह चलते नजरें तो बहोतो से चार होती होगी मगर,
हर किसीके साथ इश्क फरमाया जाए जरूरी तो नहीं,
आता नहीं काम कोई फिर भी समझे आरिफ खुद को,
हर करतब उनसे ही करवाया जाए जरूरी तो नहीं,
कोई अमीर है कोई है गरीब अपने नसीब से मगर,
गुनाहगार खुदा को ही बताया जाए जरूरी तो नहीं,
गर हो शामिल सुख में, तो दु:ख में भी होना चाहीए,
सभी को मशवरा ये समझाया जाए जरूरी तो नहीं !!
नीशीत जोशी 19.09.15
हमने आश लगा रखी है

લાગી છે લગન તારા નામની

मेंरा पेशा था हसाने का

મનથી મનને બાંધતી, કોઈ તો સાંકળ હશે.

શનિવાર, 5 સપ્ટેમ્બર, 2015
उड़ जायेगा जरूर

शे'रो में कहानी लिखी थी

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