મંગળવાર, 15 ડિસેમ્બર, 2015

बनी होगी जब वो ग़ज़ल

बनी होगी जब वो ग़ज़ल, शायर का दिल खोया होगा, मुखातिब का लब-ओ-लहजा सुन, हर दिल रोया होगा, उठी होगी दिल की गहराई में, बोह्तात कश्मकश कोई, जगा दिया होगा उसे भी, जब उसका दिल सोया होगा, किसी फ़सुर्दगी के बोझ तले, दब गया होगा दिल उसका, खुद का कन्धा दे के, खुद का ही तन्हा दिल ढोया होगा, मुहब्बत के दरख़्त को, फलक चूमने को कभी तो उसने, अपने प्यार का नुत्फा, उसके बेदर्द दिल में बोया होगा, अच्छे तख़य्युल की जरुरत होती है, नायब सुखन को, यही सोच के सुख़नवर, इश्क़ के सहरा में खोया होगा !! नीशीत जोशी (मुखातिब= speaker, लब-ओ-लहजा= style of speaking, बोह्तात= excess, फ़सुर्दगी= sadness, दरख़्त= tree, नुत्फा= seed, तख़य्युल= thought) 01.12.15

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