રવિવાર, 23 એપ્રિલ, 2017

दर्द के कोई बहाने यूँ न होते !

2122-2122-2122 तेरी दुन्या के दिवाने यूँ न होते, महफिलों में वो तराने यूँ न होते ! ये तमाशा भी न होता प्यार का तब, बाद मरने फिर शयाने यूँ न होते ! प्यार से तो बेखबर था मैैं उन्हीके, जानते गर मुझ पे ताने यूँ न होते ! दीद से मिलती खुशी मुझको अगरचे, दिलशिकस्ता के ये माने यूँ न होते ! बात हो जाती मेरी तुझसे उसी दिन, दर्द के कोई बहाने यूँ न होते ! नीशीत जोशी

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