રવિવાર, 23 એપ્રિલ, 2017
मैं जो मरता हूँ, मरोगे तुम भी क्या?
2122-2122-212
प्यार है तुमसे, करोगे तुम भी क्या?
मैं जो मरता हूँ, मरोगे तुम भी क्या?
बेवफा तुम हो नहीं सकते कभी,
खुदकुशी से अब, डरोगे तुम भी क्या?
मत झुको तुम, नफरतो के सामने,
प्यार में लेकिन, झुकोगे तुम भी क्या?
हौसला है, तो बुलंदी कुछ नहीं,
गर मिले तो, रख सकोगे तुम भी क्या?
तू नहीं, यादें सताती है तेरी,
दिल की वीरानी, सहोगे तुम भी क्या?
आ गया, वादा निभाने का ही पल,
गुफ्तगू करने, रुकोगे तुम भी क्या?
रातभर जागा रहा, दिल 'नीर' का,
दूर करने ग़म, उठोगे तुम भी क्या?
नीशीत जोशी 'नीर'
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો