રવિવાર, 23 એપ્રિલ, 2017

क्या करे कोई !

221-2121-1221-212 अब क्या किसी के इश्क का दावा करे कोई, करता नही है कोई कि चर्चा करे कोई ! क्या जुर्म है ये इश्क?करो सात जन्म तक, चाहे सता सता के भी रूठा करे कोई! आँधी से भी चराग बुझाये न अब बुझे, फिर महफिलो में क्यों सर नीचा करे कोई ! हर वस्ल बाद हिज्र का होना तो तय है तब, फिर वस्ल का भी क्यों तो ये वादा करे कोई ! जिन्दा रखे है घाव, दिखाए किसे किसे, बँधे तबीब के हाथ यहाँ, क्या करे कोई ! नीशीत जोशी

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