શનિવાર, 20 નવેમ્બર, 2010

एक बार तो आओ

कैसे कहे हम जरा तुम सामने तो आओ,
मेरे लिये नही पर अपने लिये तो आओ,

आदत तो जान ली और भी जान जायेंगे,
दिदार-ए-इश्क करने एक बार तो आओ,

गर बंध हो जाये आंखे हमारी इन्तजारमे,
दर्मीयां की हद जानने के लिये तो आओ,

हाल-ए-दिल अब क्या पुछोगे हमसे तुम,
रोंद के इस दिलको तुम आजमाने तो आओ.....

नीशीत जोशी

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